बाबा उमाकान्त जी महाराज के कुछ महत्वपूर्ण वचन:- (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 40.

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-


811. नदियों का पानी जीवन दान देने का सहारा बनेगा।


812. आत्म कल्याण ध्वनात्मक (निर्मायक) 5 नाम से ही होगा।


813.  कुछ न कुछ कर्म सबके बनते हैं।


814. यही घट भीतर सात समुंदर।


815. जरूरत से ज्यादा यह शरीर सुख का आदी हो गया।


816. किसके अंदर दया भाव नहीं होता है ?


817. गुरु भाई मरने के बाद भी एक दूसरे को नहीं भूलते हैं।


818. गुरु महाराज ने बहुत मेहनत किया।


819. गुरु महाराज का सतसंग ऊपरी लोकों में चलता रहता है।


820. गुरु के फोटो को भी याद कर सकते हो।


821.  काल नहीं चाहते कि जीव सतलोक पहुंचे।


822. प्रेमियों की लड़ाई कलयुग से है। 


823. महात्माओं का कार्य क्या होता है?


824. सन्त के रोम-रोम में प्रभु रमते हैं।


825. जो पांच नाम का सुमिरन नहीं करता हैं, वह लोट लोट चौरासी आया।


826. चाहे चूं करो चाहे मूं करो करना पड़ेगा।


827. अंदर की दौलत जाने में देर नहीं लगती हैं।

828. माता पिता का फर्ज बनता है, कि बच्चे के अंदर सेवा भाव पैदा करो।


829. अवतारी शक्तियों में जीवों पार करने की ताकत नहीं होती है।


830.  जो पैदा होता है वह मरता है।


831.  सच्चे भक्त कब माने जाएंगे ?


832.  सन्त सपूत होते हैं।


833. शरीर छोड़ने के बाद सतगुरु सतलोक से गुरु पद तक आते हैं।


834. कलयुग कहां कहां रहता है ?


835. अवतारी शक्तियों में जीवों पार करने की ताकत नहीं होती है।


836.  जो पैदा होता है वह मरता है।


837.  सच्चे भक्त कब माने जाएंगे ?


838.  सन्त सपूत होते हैं।


839. शरीर छोड़ने के बाद सतगुरु सतलोक से गुरु पद तक आते हैं।


840. कलयुग कहां कहां रहता है ?


841. पाप कर्म कैसे कटते हैं ?


842. साहब सबका बाप है बेटा काहु का नाहीं।


843. काल जीवों पर दाव कब नहीं मार पाता ?


844.  मन कब साथ देगा ?


845. महात्मा प्रेम का सम्मान करते हैं। .. महात्मा के यहाँ सब समान होते हैं।


846. धनी-मानी लोग सम्मान के भूखे होते हैं।


847.  गुरु भाइयों का रिश्ता आगे तक का होता है। 


848. गृहस्थाश्रम की जिम्मेदारी क्या होती हैं?


849. यह भूल और भ्रम का देश हैं।


850. जरूरी बातों को लिखकर रखो और लोगों को बराबर याद कराते रहो।


851. गुरु महाराज को आपसे उम्मीद रहा।


852. जो दूसरों के लिए करता है, वही परोपकारी होता हैं।


853. आमने-सामने बैठकर समझाने वाला ज्यादा कामयाब होता हैं।


854. गर्व से कहो कि हम उनके निर्देश पर काम करते हैं, जिसके लिए बाबा जय गुरु देव जी महाराज आदेश देकर गए हैं।


855. वह समय प्रेमियों निकल गया


856. अब क्यों पीछे हट रहे हों?


857. जीव, सीव और हंस किसे से कहते हैं ?


858. लोगों को समझाने, बताने, सुधारने की शक्ति सन्तों को ऊपर से मिलती है।


859. सामूहिक रूप से रात को भजन करने का आदेश भी नहीं दिया जाता है।


860. जो जानकर गलती करता है उसको सख्त सजा मिलती है।


861. अनजान की गलती माफी हो जाती है।


862. असली चीज को आपने छोड़ दिया।


863. पल भर में दुनिया को बनाने बिगाड़ने वाले को काल कहते हैं।


864. भाव से ही भक्ति होती है।


865. स्वभाव किसे कहते हैं ?


866. कबीर साहब जी के शिष्य नानक साहब जी थे। 


867. नाम कब तक चलेगा यह जगाने वाले पर निर्भर करता है।


868. यह दुखों का संसार है यहां कोई सुखी नहीं है।


869. पैसा कमाने के लिए भगवान का वेश बनाकर फोटो खिंचवा लेते हैं।


870. अंदर में तरह-तरह की खुशबू मिलती है।


871. विश्वास के साथ करोगे तो फायदा दिखेगा।


872. भजन, सतसंग, जानने-समझने का समय कब नहीं मिलेगा ?


873. दुनिया के झकोले से बचे रहोगे।


874. परमार्थी सेवा।


875. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।


876. सन्त विधि के विधान को भी टाल देते हैं। 


साभार:


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