मार्ग दर्शक भंडारा 2023 की कुछ रोचक बातें (1.)

जयगुरुदेव
भूमिका

वृक्ष न कबहूँ फल भखै, नदी न संचय नीर।
परमारथ के कारने, संतन धरा शरीर ॥

जिस तरह वृक्ष अपना फल नहीं खाते, नदी अपना जल ग्रहण नहीं करती ठीक उसी प्रकार से सन्त इस धरती पर केवल परमार्थ के लिए ही आते हैं, उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं होता । सन्त मनुष्य शरीर में हर स्वांस को जीवों के कल्याण के लिए खर्च करते हैं । वो कभी किसी  के साथ चमत्कार नहीं करते लेकिन दुःखी जीव जब दीन भाव से उनको पुकारते हैं तो वो अपने भक्तों की मदद अवश्य करते हैं और कई ऐसे काम भी उनके बन जाते हैं जो असंभव से दिखते हैं तो लोग उन्हें चमत्कार मान लेते हैं । 

महात्मा सरल भाव में रहकर जीवों को दया देने के लिए अलग-अलग जरिया बनाते हैं जैसे सतसंग, दर्शन, सेवा, भजन आदि के माध्यम से जीवों के कर्मों का भार हल्का कर पारलौकिक फायदा पहुंचाते हैं साथ ही उनको भौतिक लाभ देकर उनका लोक भी बना देते हैं ।

सन्तमत की ये परंपरा रही है कि संतों की पुण्य तिथि को उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी सन्त सतगुरु द्वारा गुरु महिमा का बखान एवं गुरु के महत्व को दर्शाने के लिए भंडारे के रूप में मनाया जाता रहा है । आदि सन्त कबीरदास जी से लेकर वर्तमान तक के सन्तों की श्रृंखला में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज एक विलक्षण महापुरुष हुए जिन्होंने 100 से अधिक वर्ष की आयु तक मनुष्य शरीर में रहकर, सन 1952 से लेकर सन 2012 तक जीवों के कल्याण के लिए अथक परिश्रम किया और सन 2012 में ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन इस नश्वर शरीर को छोड़कर निजधाम चले गए । 

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के निजधाम जाने के बाद उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, वक्त के सन्त सतगुरु परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज प्रति वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को अपने गुरु की पुण्य तिथि पर भण्डारा सत्संग का आयोजन करते हैं. 


जयगुरुदेव

विश्व विख्यात परम् सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के ग्यारहवां वार्षिक भंडारा को उनके जानशीन, परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 'मार्गदर्शक भंडारा' का नाम दिया और देश-विदेश से आये अपने लाखों प्रेमियों पर दया की बरसात करने के लिए गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के मौके पर तीन दिवसीय भंडारा कार्यक्रम का विशाल आयोजन 15, 16 व 17 मई 2023 को बाबा जयगुरुदेव आश्रम, पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के सामने, मक्सी रोड, उज्जैन (मध्य प्रदेश) में किया।

देश-विदेश से बाबाजी के अनुयायी परमार्थ के खोजी, जिज्ञासु नए लोगों को साथ लेकर लाखों की संख्या में अपने गुरु का भंडारा मनाने उज्जैन आश्रम आते हैं इसलिए यह कार्यक्रम हर वर्ष एक विशाल कुम्भ का रूप ले लेता है। पूर्व की भांति इस वर्ष भी कार्यक्रम के सफल आयोजन को ध्यान में रखते हुए लगभग डेढ़ महीने पहले से ही प्रेमियों ने जोर-शोर से कार्यक्रम की तैयारियाँ करना आरंभ कर दिया था जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न होने पाये ।

तेज धूप व लू के इस मौसम में इतनी बड़ी व्यवस्था करना कोई सामान्य बात नहीं होती है लेकिन भक्तों ने अपने गुरु से प्रार्थना की और उन पर भरोसा कर अपने काम में लग गए। गुरु कभी अपने भक्तों को तकलीफ में नहीं देख सकते इसलिए दया की धार बहा दी और कुछ ही समय में बारिश ने मौसम सुहाना बना दिया ।

उज्जैन आश्रम पर प्रेमी गुरु भक्ति और उत्साह पूर्वक अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे । जहाँ एक तरफ आवास की व्यवस्था के लिए जमीन को सेक्टरों में बांटकर नपाई शुरू हुई लेकिन रोज बारिश के चलते बाधाएं आने लगी तो दूसरी तरफ अंतर्यामी, परम् दयालु बाबा उमाकान्त जी महाराज जो जीव कल्याण के लिए दिन रात अथक परिश्रम करते हुए राजस्थान के दौरे पर थे, सतसंग के दौरान इशारा किया कि ये काल का देश है, दयाल के काम में बाधाएं आयेंगी लेकिन गुरु की दया हो जाएगी, गुरु मदद कर देंगे ।

जयगुरुदेव

बारिश का दौर लगभग 10 दिन चला और 2 मई 2023 को परम पूज्य उज्जैन वाले बाबाजी महाराज राजस्थान से वापस उज्जैन आश्रम लौटे, उसके बाद दया हुई और बारिश रुक गई । हालाँकि इस बीच व्यवस्थाओं में लगभग 10 दिन की देरी हो चुकी थी लेकिन सतगुरु समर्थ होते हैं उनकी दया का आलम लोगों द्वारा दी गई प्रतिक्रियाओं से नए-पुराने प्रेमियों को समझ में आया ।

कार्यक्रम के दौरान इतना विशाल सतसंग मंच, इतना बड़ा पंडाल, भारी संख्या में लगे लाउडस्पीकर, पूरे भारत के कोने-कोने से आये प्रेमियों सहित विश्व के अन्य 17 देशों से आये हुए प्रेमियों की आवास व्यवस्था, चल रहे सैकड़ों भोजन भंडारे, पानी की व्यवस्था, विशिष्ट एवं अति विशिष्ट लोगों के अलग से रहने व खाने की व्यवस्था, पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानघर व शौचालयों की व्यवस्था देखकर अचंभित हुए। कुछ जिज्ञासुओं ने जब पूछा कि जहाँ लाखों लोग एक साथ इकट्ठा हुए हैं वहाँ इतनी बड़ी अनुशासित व्यवस्था कैसे आप लोगों ने की? तब बहुत से सेवादारों ने अपने अलग-अलग अनुभव बताये ।

उनमें से कुछ निम्न प्रकार से हैं- • हमको महसूस होता था कि हम कुछ कर ही नहीं रहे हैं बल्कि गुरु की दया से सारी व्यवस्थाएं अपने आप होती रही हैं। रात-दिन मेहनत कर रहे सेवादारों ने यह भी बताया कि उनके शरीर में थकान का नाम ही नहीं था जबकि घर पर शादी-विवाह में लोग एक दिन में थक जाते हैं, परेशान हो जाते हैं ।

कुछ नए लोगों ने अपने अनुभव में बताया कि ध्यान भजन के समय पता ही नहीं लगता था कि हम लाखों लोगों के बीच में बैठे हैं ।

• अत्यधिक भीड़ के कारण नेटवर्क की व्यस्तता से मोबाइल फोन काम नहीं कर रहे थे लेकिन जिससे मिलना होता था वो टकरा जाता था और अक्सर ऐसा संयोग से हो रहा था ।

• गर्मी में कभी बादल आ जाते तो कभी ठंडी हवा चल पडती, इसका परिचय तब भी मिला जब हजारों लोग पंडाल के बाहर धूप में खड़े होकर लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह कार्यक्रम के साक्षी बने ।

ये सब अनुभव गुरु की दया की बरसात का जीवंत उदहारण हैं। परम् पूज्य उज्जैन वाले बाबाजी महाराज ने पहले ही बोल दिया था कि इस मार्गदर्शक भंडारा कार्यक्रम में जो लोग अपने हाथ से प्रसाद लेकर खायेंगे उनको महसूस होगा कि गुरु की दया की बरसात कैसे होती है ।

जयगुरुदेव

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के इस तीन दिवसीय भंडारा कार्यक्रम में बाबा उमाकान्त जी महाराज के दर्शन, सतसंग व नामदान का लाभ लेने हेतु न केवल भारत के कोने-कोने से बल्कि दुबई, अमेरिका, इंग्लैण्ड, मॉरीशस, मलेशिया, स्पेन, सिंगापुर, नाइजीरिया, हांगकांग, अफ्रीका, चीन, नेपाल, श्रीलंका, बहरीन, कतर, ओमान आदि 17 देशों से भक्तों का आगमन हुआ ।

देश-विदेश से आये हुए भक्त जन सतसंग सुनते हुए photo 

मार्गदर्शक भंडारा 2023 में हुआ कष्ट निवारक प्रसाद का वितरण

सतसंग में परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज द्वारा शाकाहारी जीवन अपनाने, जीवों पर दया करने, शराब जैसे बुद्धिनाशक व्यसनों को त्यागकर सदाचारी, देशभक्त, गुरु भक्त बनने का सन्देश देने के साथ-साथ जीते जी मनुष्य शरीर में ही ईश्वर का दर्शन कराने वाले नामधन (नामदान) की बरसात भी बाबाजी ने किया ।

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के ग्यारहवें वार्षिक भंडारे में कष्ट निवारक प्रसाद का वितरण 16 मई 2023 की रात्रि में प्रारंभ हुआ जिसका लाभ लेने के लिए अगले कुछ दिन तक भक्तों का आगमन जारी रहा । देश-विदेश से आये हुए नेता, सेठ, साहूकार और आम लोगों ने अपने हाथों से महाप्रसाद ग्रहण किया ।

जयगुरुदेव

साभार, (पुस्तक) मार्गदर्शक वार्षिक भंडारा 2023 
Margdarshak-bhandara-2023



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