अन्तर्यामी बाबा उमाकान्त जी महाराज के अनमोल वचन

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश

46. हमारे देश की नारियां देवी क्यों कहलायीं ? क्योंकि समर्थ गुरु से रास्ता लेकर अपनी आत्मा को जगायीं।

47 मन मनुष्य का राजा बन गया, जैसा वो कहता है, उसी तरह से शरीर के अंग काम करने लगते हैं। मन को वश में करने का चीमटा संतों के पास होता है।

48. जिभ्या के स्वादी मनुष्य के अंदर से दया खत्म हो जाती है और निभ्या के स्वादी मनुष्य के अन्दर से मां बहन की पहचान खत्म हो जाती है।

49. मनुष्य का मन कन्ट्रोल से बाहर होकर गलत कामों में लग गया, सही करने का तरीका केवल सन्तों के पास होता है।

50. समर्थ गुरु द्वारा दिया गया नाम से ही उद्धार होता है।

51. सन्तों की दया से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

52. जिस धरती पर जन्म लिये हो, उसकी शान को बनाये रखने के लिये देशभक्त बनो।

53. देश की सम्पत्ति आपकी अपनी है। इसको नष्ट करने का कोई कार्य मत करो।

54. जब दिव्य दृष्टि खुलेगी तब खुदा भगवान गाॅड एक ही दिखेंगे।

55. ख्वाहिशों की इबादत से सपने में भी वो भगवान मिलने वाला नहीं है।

56. याद रहे! सत्संग वचन से अच्छाई मिलती है व बुराई दूर हो जाती है।

57. दिव्य दृष्टि खुलने का रास्ता बताने वाले गुरु के मिल जाने पर ही लोक परलोक बनता है।

58. घड़ी बता रही है कि जीवन का एक-एक पल निकलता जा रहा है। सोचो मौत के बाद कहां जायेंगे ?

59. गुनाहों का अम्बार फकीर के रहमत की नजर से ही जला करता है। इसलिये उनके दरबार की हाजिरी जरूरी होती है।

60. सदैव याद रखो झूठ बोली हुई बात कुछ समय के बाद भूल जाती है। इन्सान उसको छिपाने के लिये कई झूठ बोलता है, फिर भी छिप नहीं पाती। सत्य बात हमेशा याद रहती है, इसलिये सत्य ही बोलो।

- sant umakant ji Maharaj, Ujjain
साभार, संत दर्शिका 

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