जयगुरुदेव
08.04.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*सन्त सतगुरु जो बोलते हैं, वही महामंत्र हो जाता है, इच्छा करते ही सन्तों का कार्य हो जाता है*
*सन्त सब (चीजें) प्राप्त करने का तरीका बताते हैं - सन्त उमाकान्त जी महाराज*
*सन्तमत कैसे खत्म होता है*
जिनकी बोली हुई एक लाइन से लोगों का जीवन सुधर जाता है, जिनकी इच्छा मात्र करने से कार्य सम्पूर्ण हो जाते हैं, जिनके पास किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है, जो उपरी लोकों से जरुरत के अनुसार जीवों को बुला लेते हैं, जो अपने भक्तों के इस नश्वर संसार के दुखों को भी दूर कर देते हैं, और जो अपने गुरु के आदेश के अनुसार जो अच्चा साधक होगा, जिसे भी ये लायक समझेंगे उसको बता कर जायेंगे, ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 8 जनवरी 2023 प्रातः सूरत (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
सन्त जब जहां भी रहते हैं, वहीं उसका महत्व रहता है। सन्त जो कह देते हैं वही मंत्र होता है। *मंत्र मूलं गुरु वाक्यम, मोक्ष मूलं गुरु कृपा* सन्त सतगुरु जो बोलते हैं उसको अगर कोई पकड़ लेता है तो वही उसके लिए महामंत्र हो जाता है। प्रेमियों! आप भाग्यशाली हो, हमारा भी आज भाग्य है कि गुरु महाराज के इस साप्ताहिक सतसंग में हमको कुछ कहने और आपको सुनने का मौका मिल रहा है। सतसंग बराबर सुनते रहना चाहिए।
*इच्छा करते ही सन्तों का कार्य हो जाता है*
सन्त उमाकान्त जी ने 19 मई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि क्या कमी है सन्तों के पास? कुछ नहीं। जो सोच ले, जिस चीज की इच्छा कर ले, वह काम हो जाए। कहते हैं प्रारब्ध में जो चीज नहीं होती है, वह जल्दी नहीं मिलती है। सन्तों के पास उसे भी देने का पावर होता है तो वह कहीं इधर-उधर से उसकी व्यवस्था करते हैं। काल के नियम को तोड़ते भी नहीं है तब स्पेशल जीव ऊपरी लोकों से बुला लेते हैं। काल के देश के ऊपर के जो जीव होते हैं। बहुत से पड़े हुए हैं, अभी (तक अपने घर) नहीं पहुंच पाए। उतरे तो उनके अंदर ऊपर जाने की ताकत ही खत्म हो गई, कोई मदद करने वाला मिला नहीं तो (घर) नहीं पहुंच पाए। तो (सन्त) उधर से ले आते हैं।
*सन्त सब प्राप्त करने का तरीका बताते हैं*
बाबा उमाकान्त जी ने 19 मई 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि आप कहां के हो? किसलिए आए हो? क्या है? जब सन्तों से परिचय बढ़ता है और जब बताते हैं कि हम यहाँ (मृत्युलोक) के भी नहीं, सहस्त्र दल कमल के स्थान के भी नहीं, त्रिकुटी के स्थान के नहीं, भंवर गुफा के भी नहीं हैं। हम तो सतलोक के हैं। तब जीव को सतलोक याद आता है, समझ में आता है। तब धीरे-धीरे यह जीवात्मा मुखातिब होती है और उनकी बातों को पसंद करती है।
यह समझती है, हां भाई! यह (सन्त तो) हमारे वहां स्थान के, घर के हैं तो विश्वास हो जाता है। और उसके बाद यदि आदमी को आवश्यकता होती है खाने की, पहनने की, तकलीफ दूर करने की तो उसको भी सन्त दूर करते हैं। तरीका बताते हैं, करवाते हैं, कर्मों को कटवाते हैं और फिर उसके बाद में नाम दान के बारे में बताते, समझाते, नाम दान देते हैं और मदद भी करते हैं तब जीवों का उद्धार हो पाता है।
*औरतें जीवों के कल्याण का काम नहीं करती हैं*
बाबा उमाकान्त जी ने 19 मई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि औरतों स्त्रियों को आदेश नहीं मिलता है। सन्त गति प्राप्त होने के बाबजूद भी इनको जीवों के कल्याण का आदेश नहीं होता है। ऐसी भी परिस्थिति कभी आती है कि वह देखता है कि सन्तमत का यहां पर समापन हो जाएगा, अब यह नाम लुप्त होने वाला है, आगे नहीं बढ़ पाएगा तब वह आदेश दे देता है। और ये आदेश पाकर के नामदान दूसरे को दे देती है। लेकिन जीवों का काम प्रमुख रूप से ज्यादातर पुरुष ही सन्त करते हैं। तो सन्त तो बहुत होते हैं लेकिन जिनको जीवों का काम करने का आदेश होता है, वही करते हैं।
*सन्तमत कैसे खत्म होता है*
बाबा उमाकान्त जी ने 8 जुलाई 2017 प्रातः जयपुर में बताया कि गुरु महाराज चले गए लेकिन (मुझे) आदेश देकर गए थे कि तुमको यह काम करना है। मंच से गुरु महाराज ने कहा था कि यह नए लोगों को नाम दान देंगे और पुरानों की संभाल करेंगे। गुरु महाराज ने दोनों बातें कही थी कि जब तक यह (बाबा उमाकान्त जी महाराज) रहेंगे तब तक यह काम करेंगे। और (जब जाने लगेंगे तब) जो अच्छा साधक होगा, उसको किसी को जिसको यह समझेंगे, यह बता करके जाएंगे और वह इस काम को करेगा और जितना जैसे कर पाएगा, कर पायेगा।
और उसके बाद में धीरे-धीरे-धीरे धीरे-धीरे सन्त मत का, समझ लो सन्त मत ऐसे खत्म होता है। सन्तमत चालू भी करते हैं और ऐसे धीरे-धीरे खत्म भी हो जाता है। वह समय परिस्थिति ऐसी आएगी कि उस समय को न हम देख पाएंगे न आप देख पाओगे। देख तो पाओगे लेकिन मनुष्य शरीर की आंखों से नहीं देख पाओगे।
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param dayalu baba umakantji maharaj |
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