भारत का नाम आगे बढ़ेगा, यहां शक्तियां काम कर रही है

जयगुरुदेव

25.04.2023
प्रेस नोट
मुंबई (महाराष्ट्र)

*भारत का नाम आगे बढ़ेगा, यहां शक्तियां काम कर रही है*

*शिष्य काबिल हो जाता है तो सतगुरु अपनी पावर दे देते हैं*

*समर्पण भाव वाले शिष्य की भी संभाल हो जाती है*


निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इसी लाइन में आगे उपयोग में लिए जाने वाले सभी विशलेषण जिनके लिए पूर्णतया सत्य हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 जनवरी 2023 दोपहर ठाणे, मुंबई में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

मेरे लायक जो आपका काम होगा, जब गुरु महाराज मौजूद थे, जो आप लोगों का काम हमसे करवाते थे और मैं करता था, वह काम तो मैं सब करता रहूंगा। लेकिन आप अगर यह कहो कि हम इनको गुरु मान लेंगे और यह हमारा उद्धार कर देंगे, साफ-साफ बता कर जा रहा हूं, जो पुराने गुरु महाराज के नामदानी हो, गुरु महाराज ही आपकी आत्मा की संभाल करेंगे। क्योंकि सन्त जिन जीवों को अपनाते हैं, छोड़ते नहीं है। और अगर उनके (इसी मनुष्य शरीर में) रहते-रहते अपने देश अपने लोक तक नहीं पहुंच पाए, यहीं रह गए तो उनको जरूर सौंप देते हैं जिनको अपना काम करने का अधिकार देते हैं फिर वह समझाते बताते रहते हैं। गुरु ऊपर से ही तार खींचते रहते हैं। गुरु महाराज ने तार खींचा तब आप यहां पर आए होंगे। लोग ऐसे नहीं आ पाते हैं, गुरु खींचते हैं और सुनने के बाद आदमी के समझ में आ जाता है, करने लग जाता है। देखो मुख्य काम यही है- भजन करो। भजन से ही काम होगा, आत्मा का कल्याण तभी होगा, बाकी और कुछ नहीं।

*समर्पण भाव वाले शिष्य की भी संभाल हो जाती है*

बाबा उमाकान्त जी ने 31 दिसंबर 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि नहीं भी सेवा भजन कर पाते हो लेकिन समर्पण भाव अगर है, गुरु के लिए हमेशा नहीं कर पाते हो लेकिन जब जरूरत पड़े तब आप अपने तन को, धन को, मन को लगा दो, ऐसे शिष्य की भी गुरु संभाल कर लेते हैं, ऐसे के कर्मों को भी काट देते हैं। जो जान में करता है, उसको तो भोगना पड़ता है लेकिन जो अनजान में कर डालता है उसके कर्मों को भी काट देते हैं। प्रेमियों! मुक्ति-मोक्ष पाने, जीवात्मा के कल्याण के लिए कर्मों को काटना या कटवाना ही पड़ता है। ऐसा ऐसा भी इतिहास रहा है कि सौ जन्मों के कर्मों के एक घंटे के सपने में महात्माओं ने काट दिया।

*शिष्य काबिल हो जाता है तो सतगुरु अपनी पावर दे देते हैं*

बाबा उमाकान्त जी ने 4 जनवरी 2023 ठाणे (मुंबई) में बताया कि घिरी बदरिया पाप की बरस रहे अंगार, सन्त न होते जगत में जल मरता संसार। यह संसार ही खत्म हो गया होता अगर सन्त न होते तो। सन्त हमेशा रहते हैं और वह ऊपर से भेजे जाते हैं। मनुष्य शरीर के अंदर ही ऊपर की शक्ति यह जीवात्मा रहती है। मां के पेट में बनते, पलते, बाहर निकलते हैं लेकिन उस वक्त पर जो गुरु रहते हैं, जो कि हमेशा रहते हैं, उनके पास में पहुंच जाते हैं और अपनी आत्मा को जगाते हैं। गुरु की सेवा करते हैं, गुरु के आदेश का पालन करते हैं। आदेश का पालन ही गुरु भक्ति होती है। और जब गुरु भक्ति करते हैं, गुरु मुखता आ जाती है और जब गुरु देख देते हैं कि ये (शिष्य) इसके काबिल हो गया तब है तब अपनी पावर दे देते हैं और इस दुनिया संसार से चले जाते हैं क्योंकि वो भी मनुष्य शरीर में ही रहते हैं। यहां का यही नियम है शरीर तो छोड़ना पड़ता है। फिर जिसको आदेश देकर जाते हैं, वह (जीवों का) काम करने लगता है। उसी को लोग आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जानशीन कहने लगते हैं। उसी से लोगों को लाभ फायदा मिलने लग जाता है। दया गुरु की रहती है, ऊपर से वह संभाल करते रहते हैं और संभाल उनके द्वारा करवाते हैं। जैसे राजा तो एक जगह बैठा रहता है लेकिन सिपाहीयों से कहता है कि इनके घर की रखवाली करो तो सब सिपाही घूमते रहते हैं, चोर से, डकैत से, अपराध से बचाने के लिए नियुक्त कर दिए जाते हैं। ऐसे ही मदद के लिए गुरु भी भेज देते हैं। सरकार देखो भेजती है कि जाओ अनुदान बांट दो। सरपंच को दे दिया, सरपंच ने घर, नाली बनवा दिया, बीमार की दवा करा दिया। तो इसी तरह का सिस्टम वहां पर भी है। होता सब वहां से है और करता कौन है? किसके माध्यम से कराते हैं? जो वक्त के सन्त सतगुरु होते हैं उनसे कराते हैं। जाने से पहले नाम बता कर जाते हैं, नहीं बताए तो इशारा करके जाते हैं तो पहचान कर ली जाती है।

*भारत का नाम आगे बढ़ेगा, यहां शक्तियां काम कर रही है*

बाबा उमाकान्त जी ने 1 जनवरी 2023 प्रात: उज्जैन आश्रम में बताया कि भारत का नाम तो आगे बढ़ेगा। यहां शक्तियां काम कर रही है। अब वह किसी भी रूप में हो, वो लोग लगे हुए हैं, भारत का नाम आगे बढ़ेगा। भारत का नुकसान कम होगा लेकिन विश्व में जनधन की हानि होगी। आपदाएं, भूकंप, आंधी, तूफान भी आएंगे। बीमारियां भी भारत की अपेक्षा ज्यादा आएगी। अगर आप लोग मेहनत कर ले गए तो यहां ज्यादा लोगों को राहत मिल जाएगी। अगर आप लोगों को शाकाहारी सदाचारी आप बना ले गए, अध्यात्मवादी ईश्वरवादी कर्तव्य परायणता अगर आप ने सिखा दिया तो यहां लोगों को ज्यादा तकलीफ नहीं होगी। अगर आप लोगों को बना ले जाओगे और अगर आप अपनी जगह पर सही रहोगे तो इसका भी असर होगा। जैसे एक बार एक ने कहा कि हमारे गुरु बड़े, दुसरे ने कहा हमारे गुरु बड़े। चलो परीक्षा ले लेते हैं। कहा अपने-अपने गुरु का नाम लेकर आग में हाथ डालो, डाला तो दोनों का हाथ नहीं जला। तो उसने अपने समरथ गुरु से पूछा, गुरुजी आपमें और उसमें क्या अंतर है? कुछ नहीं बोले। कहा कि गुरूजी हम तो आपको समरथ मानते हैं, लेकिन वह तो उनका चेला है, उसका हाथ क्यों नहीं जला? हमारा भी नहीं जला तो हमने और उनमें क्या अंतर है? बोले उससे कह दे अब (हाथ डाल कर देख ले), वहां तू न रहना। अरे! वहां तू था, तेरा हाथ था तो उसका हाथ बच गया, तेरी वजह से बच गया। ऐसा भी होता है। यह कुदरत की लीला कोई नहीं समझ सकता है। यह रहस्य गुरुदेव कर भेद न जाने कोई, जो जाने सतगुरु कृपा, जन्म मरण नहीं होए। यही समझ जाये आदमी तो जन्म-मरण छुटकारा पा जाए।








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