जयगुरुदेव
07.02.2023
प्रेस नोट
जोधपुर (राजस्थान)
*गुरु को याद करने से मन का वेग रुक जाता है*
*साधना करने के लिए प्रात: काल का समय अच्छा रहता है*
*ध्यान भजन अभ्यास में ज्यादा समय देना चाहिए*
बाहरी तकलीफों में आराम दिलाने के साथ-साथ साधना में तरक्की प्राप्त करने, आलस्य और नींद जैसे दुश्मनों को मात देने के गुर बताने वाले, जिनको याद करने पर मन के वेग को रोक देने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 2 सितंबर 2021 प्रातः जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि प्रातःकाल का समय अच्छा समय रहता है। ब्रह्म मुहूर्त जिसको कहते हैं। शाम की तुलना में सुबह शरीर में, दिल-दिमाग में ज्यादा ताजगी रहती है। दिन की बातें जो जैसी गुजरी, अच्छा बुरा गुजरा हुआ दिन शाम को याद आ सकता है लेकिन रात में सोने के बाद कल की बात भूल जाते हैं इसलिए सुबह का समय अच्छा रहता है। सुबह अगर घर में भी रहे तो उठ गए, अपना टट्टी मैदान (लैट्रिन) करके हाथ पैर धो करके बैठा जाए, जिससे आलस्य दूर हो जाए।
*ध्यान भजन अभ्यास में ज्यादा समय देना चाहिए*
महाराज जी ने 21 दिसंबर 2020 प्रातः रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि यहां बावल आश्रम पर रहने वाले प्रेमी सुबह ध्यान भजन करते हैं। सुबह 4:30 बजे घंटी बज जाती है और 5 से 7 बजे तक सुमिरन ध्यान भजन होता है। आप लोग जहां रहते हो वहां आप लोग बराबर करते रहो। पहले प्रार्थना बोले, फिर सुमिरन कर लिया। फिर 40-45 मिनट ध्यान फिर भजन करो। फिर नामध्वनी बोल करके समाप्त कर दिया करें। ज्यादा देर नामध्वनी, प्रार्थना बोलने से नये लोगों के ऊपर तो असर पड़ता है लेकिन पुरानों के लिए ध्यान भजन का समय ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ध्यान भजन में अभ्यास में ज्यादा समय देना चाहिए क्योंकि आधा पौन घंटा तक यह मन बहुत भगता है। और जब इसके रुकने का समय आता है तो आप उठ जाते हो तो वह बात नहीं बनती है। इसीलिए समय थोड़ा ज्यादा देना चाहिए। इस समय ठंडी है। रजाई कंबल ओढ़ कर कही भी बैठ जाओ। ठंडी के महीने में गर्मी मिलने पर गर्मियों में ठंडी मिलने पर नींद आती है। तो ठंडी में अगर ओढ़ने में थोड़ा सा सुराख कहीं रह गया तो ठंडी-ठंडी हवा आती रहेगी तब नींद नहीं आएगी। नींद आने लगे तो सबसे बढ़िया तरीका है कि थोड़ा सा कंबल खोल दिया जाए तब नींद नहीं आएगी। नींद जब पूरी हो जाती है तो नींद नहीं आती और शरीर में कमजोरी भी नहीं रहती है। शरीर का भी थोड़ा ध्यान रखना चाहिए। उम्र के हिसाब से और बुढ़ापे में कमजोरी आती है लेकिन जिनकी जवानी बचपन है उनके अंदर कमजोरी न आवे ऐसा तरीका आप लोग अपना लो। संयम-नियम का पालन करोगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा, कमजोरी नहीं आएगी।
*सबका मन भगता नहीं है*
सुमिरन में, ध्यान में भी गुरु को याद किया। भजन में भी शुरू में सम्पुट लगा देते हैं, गुरु का, पांचों धनियों का ध्यान कर लेते हैं फिर भजन पर बैठते हैं। आखिर में भी सम्पुट लगा दिया जाता है। आप समझो मन रुका, कहां? प्रार्थना में। सबका नहीं रुकता है और सबका भगता भी नहीं है। जो जैसी आदत डाल देते हैं उसकी वैसी आदत बन जाती है। लेकिन पूछा जाए तो ज्यादातर लोग कहेंगे की मन नहीं लगा। इक्का-दुक्का कोई चुप हो जाएगा तो समझ लो इसका थोड़ा बहुत लग गया। कोई कहेगा रुका-भगा, रुका-भगा। तो जब तक आदत नहीं डालेंगे प्रार्थना करने की, मन को रोकने की, सुमिरन करने की तब तक मन नहीं रुकेगा। इसलिए बैठना, आदत डालना जरूरी होता है।
*गुरु को याद करके मन का वेग रुक जाता है*
*मन के कहे करो मत कोई, जो गुरु कहें करो तुम सोई* उस समय पर गुरु का ध्यान, गुरु से प्रार्थना करना चाहिए कि मेरे मन को आप रोको, संभालो। अब मेरा मन विचलित हो रहा है आपके रास्ते पथ मार्ग से, आपकी मर्यादा से अलग हो रहा है तो उस समय पर गुरु रोकेंगे, मदद करेंगे। नहीं कुछ होगा तो बीच में कोई आ जाएगा। कोई न कोई चीज आपको भगाने से आकर रोकेगी और आपके मन का वेग रुक जाएगा।
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गुरु की वाणी |
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