सन्त उमाकान्त जी महाराज के शिक्षात्मक कथन

जयगुरुदेव
सन्त उमाकान्त जी महाराज के शिक्षात्मक कथन

1 ऐ इन्सान! तू आंखें खोल। महात्मा फकीर तुझे बुला रहे हैं। उनके चले जाने के बाद तेरे दिल में यादगार और तड़प ही रह जायेगी।

2 याद रखो! भारत जैसे देश में जब मां, बहन, बहु, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है तब महाभारत जैसा विनाश होता है इसलिए चरित्रवान बन जाओ।

3 सदैव याद रखो! जो तुम कर रहे हो, उसको मालिक देख रहा है और जो कह रहे हो उसको वह सुन रहा है। एक दिन पल -पल का हिसाब तुमको देना पड़ेगा।

4 दिल दुखाकर लाया हुआ धन खून की तरह से होता है। इसलिए मेहनत और ईमानदारी की ही कमाई करो।

5 क्रोध को पी जाओ। क्रोध आवे तो चुपचाप बैठकर आंख बन्द करके मालिक को याद करने लग जाओ।

6 आत्म धन के बराबर कोई भी धन नहीं है। इसी धन से अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

7 जग के धन, मान व प्रतिष्ठा किसी का भी बराबर साथ नहीं दिया, इसमें लिप्त लोगों को धोखा ही मिला।

8 अरे इन्सान! तूने अपने जबान के स्वाद के लिये दया (रहम) छोड़ दिया

9 लूट-पाट, रिश्वतखोरी का अन्न खिला करके परिवार व बच्चों का भविष्य खराब मत करो।

10 ऐसा खराब समय आगे आ रहा है कि नास्तिक को भी खुदा, भगवान एक मिनट मे याद आ जायेगा।

11 हिंसा हत्या बन्द करो। हत्या बढ़ी तो भूत चैन से जीने नहीं देंगे।

12 साधु, महात्मा, पंडित, मुल्ला, मौलवी, फकीर, ग्रन्थी, पादरी, पुजारी, महन्त, मठाधीश के अब आपके बैठने का समय नहीं है, कुदरती कहर से बचने और बचाने में लग जाये।

13 नाम वह शक्ति है, पावर है जो समस्त संसार को चला रहा है। बेशुमार त्रिलोकियां, अगणित ब्रह्माण्ड उस नाम के आधार पर टिके हैं और विहार कर रहे हैं। कभी नाम की कमाई से चीजें प्राप्त होती थीं, अब भी हो सकती हैं बल्कि कलयुग में तो और आसानी से प्राप्त हो सकती हैं। जब आप सत्संग सुनेंगे तब बातें समझ में आ जायेंगी।

14 समुद्र देवता, पवन, देवता, मेघराज, अग्नि देवता लोगों के बुरे कर्मों से नाराज हो गये हैं। सजा देंगे पाप से बचो और बचाओ।

15 दुनिया बनाने वाला ही जब मिल जाता है तो दुनिया की चीजों के लिये भागना नहीं पड़ता है, वह स्वतः ही मिल जाती हैं।


परम् पूज्य महाराज जी


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