5. मांसाहार सभी बुराइयों की जड़ : सन्त उमाकांत जी महाराज

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश: 

शाकाहारी और मांसाहारी जीवों के स्वभाव में अंतर 

सिद्धार्थनगर: बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत उमाकांत जी महाराज ने कहा कि शराब और मांसाहार ही राजनीति और समाज में सभी बुराइयों की जड़ है। जबसे मांसाहार बढ़ा है, अपराध और भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी हुई है। जीव हत्या सबसे बड़ा पाप है। इसके लिए संविधान में बदलाव जरूरी है। जिस दिन संविधान बदल गया देश सुधर जाएगा और झगड़े-फसाद बंद हो जाएंगे।

उमाकांत जी महाराज गुरुवार को बीएसए परिसर में शिष्यों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर सारे बीमारी की जड़ में खान-पान है। बाहर का दूषित भोजन, मदिरा सेवन और मांस का आहार करने से पशुओं की बीमारी मनुष्य के अदंर पहुंच रही है। जिसका इलाज ढूंढने में डाक्टर और वैज्ञानिकों को भी अलग से शोध करना पड़ रहा है। 

कहा कि मांस खाने और शराब पीने से मनुष्य के अंदर का ब्लड दूषित हो जाता है, जब यह दूषित होता है तो व्यक्ति का ब्लड प्रेशर चढ़ जाता है। गुस्सा आता है। और वह गलत काम कर बैठता है। जब हम गलत कामों में लिप्त रहेंगे तो अच्छाई कैसे आएगी। आपका एक बेटा शाकाहारी हो और दूसरा मांसाहारी तो दोनों में अंतर देख लो। एक के अंदर क्रोध होगा तो दूसरा शांत। जो शांत होगा वह बुराई के रास्ते पर नहीं जा सकता। 

एक कमरे में कुत्तों को रख दो उन्हें रोटी डाल दो। दूसरे कमरे में गाय-बैल व बकरी रख दो। इन्हें भी चारा डाल दो। कुत्ते एक दूसरे को नोचने के लिए रात भर लड़ेंगे और दूसरे पशु आराम से रात गुजार लेंगे। उन्हें खरोच भी नहीं आएगी। मांस मनुष्यों के लिए नहीं है। पशुओं का व्यापार करना, उन्हें काटना, बेचना और उन्हें खाने की प्रवृत्ति जिसमें भी है वह सीधे तौर पर प्रकृति का उल्लंघन कर रहा है। यही कारण है कि प्रकृति भी समय-समय पर उन्हें दंड दे देती है। आग लगती है तो हवा चलने लगती है। बारिश होती है तो तेज आंधी आती है। यह सब कुछ हमारे पापों की देन है।

खान-पान की शिक्षा देते हुए उमाकांत जी ने कहा कि आज मनुष्य घर में नहीं होटल में खाना खाने जाता है और शौच घर में करता है। होटल का खाना दूषित होते हुए भी वह ग्रहण करता है। बच्चों को पाव रोटी कदापि न दें। यहां तक कि उनसे यह कहें कि वह बाहर का कोई सामान ग्रहण न करें। 

जीव हत्या रोकने और मांस का व्यापार करने से परहेज बताते हुए संत ने कहा कि जिन लोगों ने यह व्यापार छोड़कर दूसरा व्यापार किया उनकी तरक्की हुई। मांस और अंडा बेचने वालों की कभी तरक्की नहीं हो सकती। मछली गंदगी ग्रहण करती है और मांसाहारी उसे ग्रहण करते हैं। तो फिर मछली की बीमारी उन्हें क्यों नहीं होगी। यही हाल अन्य जीवों के मांसों का भी है। 

कहा लोग अर्थ को धन संपदा समझते हैं, जबकि अर्थ का सही मायने शरीर से जुड़ा है। संत के संगत में आने से ही इसका सही अर्थ मिलता है।
उमाकांत जी ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों से अपनी बुराई छोड़ने के लिए कहा। बोले-यही मेरी दक्षिणा है। उन्होंने नए शिष्यों को नामदान दिया। इस दौरान सांसद जगदंबिका पाल, एएसपी मुन्ना लाल ¨सह ने भी बाबा जी का आशीर्वाद लिया। सत्यदेव पाठक, लक्ष्मण ¨सह चौधरी, डा. श्याम वर्मा, सूर्य लाल अग्रहरि, दिलीप कुमार, सत्य प्रकाश, कन्हैया लाल गुप्ता, तीर्थ पटेल, जय भगवान आदि लोग मौजूद थे।

- सन्त उमाकांत जी महाराज 

(शेष क्रमशः अगली पोस्ट 6. में...)👇🏽https://www.amratvani.com/2023/02/Uttam-ahar-shakahar%20.html

Sant umakant ji maharaj ke vachan 




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