*सन्तमत छोटा बनकर चलने का रास्ता है*

जयगुरुदेव

27.01.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.) 

*सन्तमत छोटा बनकर चलने का रास्ता है, सेवा से ही सब कुछ मिलता है, सेवक को सुख की कामना नहीं होती*

*गुदड़ी में हीरा होता है, साधकों का बाहरी व्यवहार सामान्य लेकिन अंदर का खजाना भरा रहता है*

*ऐसा बनो कि अन्य युगों का इतिहास पीछे हो जाए*

काल और माया के चंगुल से बचाने वाले, गुरुमुख बनाने वाले, किसी का भी कर्जा नहीं रखने वाले, मानवीय व शारीरिक सीमाओं से परे एक ही समय में कई जगहों पर अपने भक्तों की पुकार को सुन कर संकट में सबकी मदद करने वाले, सेवा का महत्त्व समझा कर हर तरह का लाभ दिलवाने वाले, आत्मा की खुराक नाम दान देने के एकमात्र अधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 फरवरी 2021 प्रातः पेंड्री आश्रम, दुर्ग (छत्तीसगढ़ )में दिये व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जीव का फंसाव तो है लेकिन समझ में आने पर निकलने का भी रास्ता है। इसीलिए सतसंग की बातों को, गुरु को बराबर याद रखना चाहिए। मन मुखता न आवे, मन के हिसाब से न चलने लग जाएं, गुरु के वचन न कट जाए, गुरु का रास्ता न छूट जाए, इस बात का आप सब लोगों को ध्यान रखने की आवश्यकता है। तो जब (आप हमें) रोटी खिलाते हो तो कुछ न कुछ तो अदा करना ही करना पड़ता है। सतसंग में नये लोग आएंगे। उनको गुरु महाराज की दया से नाम दान दिया जाएगा, कुछ सुनाया और समझाया जाएगा क्योंकि आगे का समय बड़ा भंयकर आ रहा है तो बचत के लिए रास्ता निकालना पड़ता है।

*सतगुरु अंदर के कान से सुनकर अंदर से मदद करते हैं*

महाराज जी ने 13 सितंबर 2021 सायं रजनी विहार आश्रम, जयपुर (राजस्थान) में बताया कि जयगुरुदेव नाम गुरु का नाम है तो गुरु का उस समय ध्यान करना चाहिए। तब तो आवाज उन तक पहुंचेगी। गुरु महाराज तक आवाज आखिर पहुंचेगी कैसे? गुरु महाराज शरीर से चले गए। वैसे भी कोई कहीं बोलता था तो इन बाहरी कानों से सब एक साथ नहीं सुन सकते थे लेकिन अंदर के कान से सुनते थे। अंदर में गुरु का स्थान यानी गुरु पद पर डोर को बांध करके रखते हैं। उनकी पावर शरीर में तो रहती है लेकिन वहीं से संभाल करते हैं। तो वहां तक आपकी आवाज पहुंच जाएगी और जो जगा हुआ नाम है जयगुरुदेव, उस नाम से जब उस मालिक का स्मरण करके पुकारोगे, मालिक उन्हीं गुरु में से होकर के मदद कर देगा। तो जयगुरुदेव नाम ही आपको बचाएगा, संकट में भी और अंत समय में भी।

*सन्तमत छोटा बनकर चलने का रास्ता है*

महाराज जी ने 13 फरवरी 2021 सायं पेंड्री आश्रम, दुर्ग (छत्तीसगढ़) में बताया कि यह जो अपना सन्तमत है, यह छोटा बनकर के रहने, करने का है। छोटे बन जाओगे तो किसी की नजर नहीं रहेगी। कहीं भी बैठ जाओगे, भजन कर लोगे। बहुत बढ़िया कपड़ा पहनोगे तो शर्म खाओगे। बड़ी गाड़ी में चलोगे तो भजन भाव भक्ति में कहीं शरीक नहीं हो पाओगे। जमीन पर कैसे बैठें? सम्मान का भूत सवार हो जाएगा। इसीलिए यह रास्ता छोटा बनकर चलने का है। सेवा के द्वारा ही सब कुछ मिलता है। सेवा जो करता है, वह सुख की इच्छा कामना नहीं करता है।

*गुदड़ी में हीरा होता है, साधकों का बाहरी व्यवहार सामान्य लेकिन अंदर का खजाना भरा रहता है*

महाराज जी ने 29 मार्च 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि गुदड़ी में हीरा होता है। देखने में कुछ नहीं लगते हैं, उनका खाना-पीना रहना-सहना साधारण रहता है लेकिन अंदर का खजाना भरा हुआ रहता है। वह ऐसी दौलत है जिसको छुपा कर ही रखा जाता है। उस दौलत का पता जो पढ़े-लिखे, अप टू डेट, बढ़िया पर्सनैलिटी वालों को पता नहीं चलता है। उनको तो (लोग) बाहर के रूप को देखकर के पहचान जाते हैं, प्रणाम सलाम करते हैं लेकिन साधकों को जल्दी नहीं पहचानते हैं। साधक के बगल बैठने से, बात करने, मिलने-जुलने से उसका असर आता है, लेना चाहिए।

*ऐसा बनो कि अन्य युगों का इतिहास पीछे हो जाए*

महाराज जी ने 16 सितंबर 2021 सायं दाभोली, सूरत (गुजरात) में बताया कि आप अपना एक अलग प्लेटफार्म बनाओ। आध्यात्मिक प्लेटफार्म बनाओ। ऐसा बनो कि आपको सब चाहने लग जाए। ऐसा लोगों की आंखों के तारे बन के दिखा दो कि अन्य लोगों का इतिहास पीछे हो जाए। तो आप जैसे बराबर लगे हुए हो, लगे रहो। नए लोगों को भी बताते-समझाते रहो। शाकाहारी का प्रचार बराबर चलता रहेगा। शाकाहारी नशा मुक्त लोगों को बनाओ। नामदान का जब मौका आवे तब दिला दो। जैसे शरीर को खिलाने का पुण्य मिलता है, जिस मुंह से खाता है उसी से आशीर्वाद देता है। ऐसे ही जीवात्मा को जब भोजन मिलेगा, वह भी आशीर्वाद देगी। इसीलिए नामदान दिलाना, भजन कराना बड़ा ही पुण्य का काम होता है। यह भी आप लोग करते रहो।






परम् पूज्य महाराज जी 


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