बच्चों को अपराधी जीवन में जाने से कैसे बचाएं

जयगुरुदेव  

25.11.2022
प्रेस नोट
जोधपुर (राजस्थान)

*बच्चों को अपराधी जीवन में जाने से कैसे बचाएं*

*बाबा जयगुरुदेव मंदिर भूमि पूजन व शिलान्यास सतसंग घोषणा*

*विषयों की आसक्ति किसे कहते हैं*

निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 15 नवंबर 2022 प्रातः जोधपुर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में लोक-परलोक दोनों बनने के उपाय बताए।

*बच्चों को अपराधी जीवन में जाने से कैसे बचाएं*

बहुत से बच्चे अपराधी जीवन में चले जाते हैं। हमारे पास बढ़िया कार, बढ़िया चीजें होनी चाहिए। उसी के लिए वह लूटपाट, चोरी, डकैती में फंस जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि गार्जन, माता पिता को बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को देखते रहो और आवश्यकता की पूर्ति करो। आवश्यकता से ज्यादा कोई चीज के लिए जब उनका मन करे तो उनको समझाओ कि भाई इस समय तुम्हारा पढ़ने का समय है। अभी तुम पढ़ाई कर लो। कमाई करने लगोगे तो बहुत सारी चीजें आपको मिल जाएगी। तो अभी एक लक्ष्य एक उद्देश्य बनाओ की पढ़ाई करके अच्छे नंबर ले आओ। 

*बाबा जयगुरुदेव मंदिर भूमि पूजन व शिलान्यास सतसंग घोषणा*

बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था की अधिकृत वेबसाइट जयगुरुदेवयूकेएम के अनुसार बावल आश्रम, रेवाड़ी में बनने वाले भव्य बाबा जयगुरुदेव मंदिर का भूमि पूजन व सतसंग 2 दिसंबर 22 को क्रमशः प्रातः 8 व प्रातः 11 बजे से तथा शिलान्यास व सतसंग 8 दिसंबर 22 को क्रमशः दोपहर 12 व दोपहर 1 बजे से होगा। स्थानीय सम्पर्क 8708806400, 8295989874

*देखने का विषय*

आदत बन जाती है, कोई भी चीज देखने की। जैसे जब जानवरों में आसक्ति हो जाती है तब पालतू या अन्य जानवर को जब तक देखता नहीं लेता, हाथ फेर कर स्पर्श का विषय जब तक प्राप्त नहीं करता तब तक उसको चैन नहीं पड़ता है। देखने का विषय आदमी, औरतों, पहाड़ों, फुलवरिया हो, जिससे भी आसक्ति हो जाए। देखने से आसक्ति होती है। एक-दूसरे को देखते हैं तो एक-दूसरे को देखने की आदत बन जाती है। मन उधर लग जाता है उन्हीं से प्रेम हो जाता है। प्रकृति प्रेमी बढ़िया हवा बगीचा, फूलों की खुशबू, गार्डन में बैठे रहते, देखते रहते हैं, मन नहीं कहता है हटने को।

*सुनने का विषय*

किसी सुनने वाली चीज की तरफ अगर मन लग गया जैसे प्रार्थना, सतसंग, अच्छी बात धर्म कर्म की हो या निंदा बुराई, फिल्मी गाना हो तो आसक्ति हो जाती है। सुनने की आदत बन जाती है फिर वही सुनाता है। अपने जीवन की घटना सुनते हुए महाराज जी ने बताया कि साथ के एक ने बताया कि वो रोज रात को कोई न कोई गाना सुनकर ही सोता है। बगैर सुने नींद नहीं आती। तो यह क्या है? कान का विषय है, कान में वह चीज पड़नी ही चाहिए। 

जिभ्या का विषय

आसक्ति जिस चीज से हो गई। रसगुल्ला खीर आदि मिले तो मिले ही मिले। एक औरत ने मुझसे कहा कि उनके पति डॉक्टर के मना करने के बावजूद पकौडा खुद बना कर खाने लगते हैं। मना करने पर डांटते हैं तो आप इनको समझाओ। तो जिधर का विषय मिल गया, उधर इस मन की आसक्ति हो जाती है। अगर ऐसे प्रभु के प्रति आसक्ति बनाई जाए तो प्रभु की अभी दया हो जाए।

https://youtu.be/zHd25P3OG-Y?t=1040

परम् पूज्य संत उमाकांत जी महाराज





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