जयगुरुदेव
भविष्य की झलक अतीत के आइने से
सन साठ व सत्तर के दशक में बाबा जयगुरुदेव ने फरमाया
पूंजीपति भी राजाओं की तरह खत्म होंगे
ये दिन जल्द आ रहा है कि पूंजीपति महाराजाओं की तरह खत्म होंगे और धन दुर्व्यवहार से कमाया है वह सब खत्म हो जाएगा। कर्म अनुसार सभी प्राणियों को घोर कष्ट उठाना होगा। बीमारी भयंकर रूप से उठेगी, भूचाल आयेगा। लड़ाई झगड़े होगे, समष्टि रूप से एक बड़ा विद्रोह हो जाएगा। पता लगेगा नहीं कितने आदमी रहेंगे, कितने खत्म हो जायेंगे। यहां तक होगा कि बहुत से मुल्क खत्म होंगे । ऐसा होगा कि जैसे वह थे ही नहीं। यह क्यों होगा ? क्योंकि पाप भयंकर रूप से बड़ गया है।
काला धन 24 घण्टे में सफेद करके दिखा दूंगा
ऐ किसानों, नौजवानों, अधिकारी, कर्मचारी! यदि तुम मेरा साथ दे दो तो मैं सब काला धन 24 घण्टे में सफेद करके दिखा दूंगा और एक पैसा टैक्स उसका नहीं देना पड़ेगा। और यदि मेरा साथ न दिया तो तुम पछताओगे और अपनी गल्तियों की माफी मांगोगे। - बाबा जयगुरुदेव
इस जमाने में कोई क्या भगवान की याद करेगा
आप लोग, जब कभी भगवान की पूजा में बैठते होंगे मन्दिर में, मस्जिद में जब खुदा की इबादत करते होंगे, आंख भी खुली होगी। भगवान की मूर्ती भी सामने होगी। लेकिन उस समय आपको क्या याद आता होगा कि घर में गल्ला नहीं, घर में तेल नहीं, घर में घी नहीं, घर मे चीनी नहीं, घर में मसाला नहीं, पुस्तक नही तो फीस नहीं और ये नहीं और कपड़ा नहीं, हर वक्त चौबीसों घण्टे आपके ये सब चीजें सामने नाचती रहती हैं।
तो पूजा कौन कर लेगा। पूजा तो वह करता है कि सुविधाजनक सामान मिल जाये और आराम से मिल जाये। मेहनत कितनी खेत में करें, दफ्तर में करें लेकिन सामान तो मिल जाये और जो हमको वेतन मिले उसमें सुविधा कम से कम तो मिल जाये। लेकिन वेतन मिलता कम और महंगाई है दस गुनी ज्यादा तो हम पूरा नहीं कर पायेंगे। तो हमारे बच्चे रोयेंगे, हमारी बच्चियां रोयेंगी। और घर में कोई रिश्तेदार आ गया तो क्या होगा ? हम ये चाहते हैं कि सबको रोटी, सबको काम, सबको कपड़ा, सबको न्याय, सबको मकान, सबको सुरक्षा, ये जीवन की जो वस्तुयें हैं, शरीर रक्षा के लिए वे सबको मिलें।
तुम्हें मजबूरन सुनना पड़ेगा
अब आप सुन लें। एक आदमी दुनिया में ऐसा पैदा हो गया है कि दुनिया के लिए इतना खराब और इतना अच्छा कि जो पिछले अब तक के इतिहास को बदल देगा। लेकिन तुम अभी उधर ही जा रहे हो, और जब वक्त आ जायेगा तब तुम्हें पता चलेगा, मामूली बात नहीं है, बड़ी बात है। उस बड़ी बात को समय आने पर ही कहना चाहता हूं। तुम्हे मजबूरन सुनना पड़ेगा। चाहे तुम किसी भी अवस्था में सुनो। - बाबा जयगुरुदेव
महात्माओं ने कभी राज नही किया
बाबा जी का कोई भी विचार इस प्रकार का, कोई स्वयं व्यक्तिगत नहीं है कि बाबा जी कोई राज करने वाले हैं। क्योंकि महात्माओं ने कभी राज नहीं किया। रामदास जी से आशीर्वाद शिवाजी को मिला। उन्होंने कोई राज किया नहीं । - बाबा जयगुरुदेव
मेरा परिचय
मैं कोई फकीर और महात्मा नहीं हूं। मैं न कोई औलिया हूं। न कोई पैगम्बर और न अवतारी हूं मैं भी आपकी तरह से इन्सान और आदमी हूं। जैसे आप हैं वैसे मैं भी हूं औ जो हक आपको उस खुदा ने अधिकार दिए मुझे भी दिया है। आपने उसका उपयोग किया या नहीं किया, आप जानें, मैंने उसका उपयोग किया। मैं मुर्शिद और गुरुओं के चरणों में गया और अपने गुनाहों की माफी मांगी, न मालूम किसा जन्म के होंगे उस समय पर उनके चरणों में मस्तक को रखा और उनकी मेहरबानी और दया लेकर जो उन्होंने दी थी उसकी रियाज और अभ्यास और साधन और योग किया।
बाबा जी आपके सामने बैठे हैं। ये भी किराये के मकान में हैं। मुझको भी इस किराये के मकान को खाली करना है। मैंने उसके दिए हुए मकान से अपना काम कर लिया और जब भी उसका हुक्म हो जाए, आज्ञा हो जाए, फौरन खाली करने के लिए तैयार हूं। इस किराये के मकान का नाम तुलसीदास और एक छोटा सा आश्रम है, जहां कि कई लाख आदमी प्रतिवर्ष जाया करते हैं। सच्चे सनातन धर्म का प्रचार करता हूं। जीवात्मा जहां से आई उसी घर में पहुंचाने का रास्ता इस मनुष्य रूपी मकान में सबके पास है उस रास्ते को बतलाता हूं। मैं ईश्वर को और आत्मा को मानता हूं। रामायण, गीता, वेद, पुराण, शास्त्र इन सबको सिर माथे रखता हूं। उसमें जो शिक्षा लिखी हुई हैं उसका पालन स्वयं करता हूं।
जयगुरुदेव नाम का प्रचार करता हूं...
लेकिन विशेष बात आपको एक यह मिलेगी कि सारे हिनदुस्तान में जयगुरुदेव नाम का प्रचार करता हूं और जयगुरुदेव नाम उस परम् पिता सर्व शक्तिमान, उस प्रभु का है जो जन्म में और मरण में नही आता है। जो छोटा और बड़ा नहीं होता है। जहां सुबह और शाम नहीं होती। जो हिन्दु और मुसलमान नहीं बनता । वह परम् पिता परमात्मा वह प्रभु उसका नाम जयगुरुदेव।
पूरे हिन्दुस्तान में जयगुरुदेव नाम मिलेगा...
सारे हिन्दुस्तान में जिधर भी जायेंगे आपको जयगुरुदेव नाम का प्रचार मिलेगा। मुझको बच्चा बच्चा जानता है लेकिन बात असली यह है कि जब आपका कपड़ा गन्दा हो जाय तो साबुन लगायें, या धोबी कपड़े को साफ करके आपको दे दे। इसी तरह से ब्राह्मण, क्षत्रियों, वैष्यों, वास्तव में मैं कोई जाति का धोबी नहीं हूं लेकिन वैसे मैं धोबी का काम सदैव ही करता रहूंगा और आपके बीच मे राम ने, कृष्ण ने, कबीर ने, रैदास ने, तुलसीदास ने, मीराबाई ने और बड़े बड़े ऋषि मुनि आए, बाल्मीकि के गुरु भी आए, उनहोंने भी यही काम धोबी का किया था। मैं भी वही धोबी का काम करता हूं। क्या करते हैं काम ? मन को, बुद्धि को, चित्त को, अन्तःकरण को, जीवात्मा को, आंख को और कान को साफ करता हूं।
शिवनेत्र खोलता हूं...
और शिवनेत्र, ज्ञानचक्षु, दिव्यनेत्र, तीसरा नेत्र है। जो मनुष्य रूपी मकान में सबके पास है उसको खोलता हूं और उसके बिना, मनुष्य रूपी मकान में खुले हुए न स्वर्ग में जा सकते हैं, न बैकुण्ठ में, न ब्रह्मा का दर्शन, न विष्णु कादर्शन, न शिव का दर्शन, न ईश्वर का और न पारब्रह्म का दर्शन।
महात्मा मिलेंगे तभी दर्शन होगा...
ये अनिवार्य और जरूरी है कि कोई आपको महात्मा मिल जायें जो आपके मनुष्य रूपी कपड़े को साफ कर दें। और दिव्य नेत्र, ज्ञान चक्षु आपका खुल जाए तो परमात्मा की मणि जो राम नाम रूपी मणि सबके अन्दर जल रही, जिसका अधिकार प्रायः प्रत्येक प्राणी को, प्रत्येक जाति वालों को मिला है, उसमें कोई विभाजन नही कर दिया कि मुझको केवल यही पा सकता है और ये नहीं पा सकता।
तब आपको जब कभी इच्छा हो भगवान को मिलने की, मनुष्य शरीर मे मरने के पहले, तो बाबा जी के पास में आप चले आइयेगा। आपका कोई ग्रहस्थ आश्रम नहीं छुड़ाया जायेगा। न साधू बनाना है, न घर को छुड़ाना है, न कपड़ो को छुड़ाना है, न खाना छुड़ाना है, न कोई काम छुड़ाना है। अपने अपने घर में स्त्री, पुरुष रहो, दिन में काम करो, खेती करो, नौकरी करो, व्यवसाय करो, शाम को आओ बच्चों की सेवा करो। आप मनुष्य रूपी मकान में भगवान का जो मन्दिर है और उसी मन्दिर में परमपिता हमेशा बैठा हुआ है। अपनी आंख के खोलने का रास्ता बाबाजी से ले लो। ये रास्ता जो सत्संग में नामदान के रूप में मिलेगा।
सत्संग सुना नहीं...
नर नारियों, बच्चे-बच्चियों। जब बिना गुरु के मन्दिर में पूजा इबादत, मस्जिद में इबादत करोगे तो भगवान खुदा यीशु कैसे मिलेगा। सत्संग ही महान है, सत्संग से धुलाई होगी। सत्संग से ही पता चलेगा कि सुरत कहां से आई। अभी आपने सत्संग नही सुना। सत्संग सुनना होगा और सत्संग में नाम की प्राप्ति होगी।
गुरु मंत्र नहीं, दीक्षा नहीं, नामदान।...
तो पहले युगों में सतयुग, त्रेता, द्वापर में कहते थे मंत्र, गुरुमंत्र, दीक्षा। अब यह तीनों कुछ नहीं। अब इसे नामदान। नामदान के बराबर कोई दान नहीं। सरल आसान, सीधा अच्छा है। लेटकर करो, 15 मिनट करो, कभी खेत में करो, कचहरी में करो, दफ्तर मे करो, दुकान मे करो, समय आपको नहीं मिलता है तो टटटी मे बैठकर कर लो। दो मिनट मेहनत करो दो मिनट की मजदूरी, 10 मिनट मेहनत करो 10 मिनट की मजदूरी। भगवान के दरबार में मेहनत की मजदूरी नही रखी जाती। लेकिन करोगे तो पाओगे, नहीं करोगे तो नहीं। हमसे ज्यादा साफ कहने वाला कोई है भी नहीं।
नाम की कमाई करो, सभी सद्धियां मिल जायेंगी। वह रसायन क्यों नही कमाते। नाम रसायन से सब देवता ब्रह्मा, विष्णू इत्यादि हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। यह युक्ति् नाम की लेकर कमाई करो। मैं जानता हूं कि आप इसको नहीं जानते हैं। मैने गुरु महाराज की अमूल्य चीज को जमीन में डाल दिया। मैंने कई महात्माओं को कहा कि आपके पास यह हीरा है आप इसे संसार मे बांटे तों सबका कल्याण हो जाये।
बुरा काम छोड़ना होगा...
इस प्रकार की सुगम, साधारण शिक्षा सारे भारतवर्ष में देता हूं। जाति पाती का कोई भेदभाव नहीं कुछ चरित्रता तथा सदाचार की बातें । जो बुरी हैं उसे सबको छोड़ना होगा, चाहे वह हिन्दू मुसलमान छोटा बड़ा क्षत्रिय, वैष्य, कोई भी हो। उनको ये बुराईयां सभी छोड़नी होंगी। चोरी हिन्दू मुसलमान छोटे बड़े के लिए, डकैती हिन्दू मुसलमान छोटे बड़े के लिए वर्जित और बुरी है। इन कामों के लिए मुसलमानों की पुस्तकां में और हिन्दुओं की पुस्तकों में सबके लिए मना किया गया है। लेकिन हम सब उन सब कामों को करते हुए बुरे रास्ते पर उतर गए और मानव कर्म छूट गया और मानव धर्म भी छूट गया और आत्मिक धर्म भी छूट गया। आत्मकल्याण का मार्ग भी छूट गया, आत्मकल्याण के सद्गुण और सद्विचार भी चले गए। मानव विचार भी हमारे अन्दर नहीं रहे।
धर्म की स्थापना के लिए कोई न कोई महान् आत्मा आती है...
धर्म की स्थापना के लिये कोई न कोई महान आत्मा आती है। यह तो पशुओं के विचार इस समय उत्पन्न् हो गये और उसको छुड़ाने के लिये भारत में किसी न किसी को आना ही पड़ता है। यह आपकी धर्म पुस्तकें बताती हैं। कभी बौद्ध बनकर, कभी राम बनकर, कभी कृष्ण बनकर, कभी कबीर बनकर, कभी तुलसीदास बनकर और कभी मोहम्मद, महावीर, शंकराचार्य बनकर। जब जैसा समय आता है मनुष्यों को कष्ट होता है, मनुष्य पीड़ित होते हैं, हाहाकार होता है। झूठ, छल, कपट, फरेब, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। हिंसायें होने लगती हैं। न्याय, नीति और सत्य नाम की कोई चीज रहती नहीं। तो ऐसे समय पर सारे देश में मानव में अधर्म फैल जाता है। धर्म की स्थापना के लिये कोई न कोई इस मनुष्य रूपी किराये के मकान में होता है और इसी के द्वारा समाज का, मनुष्य का, देश का और सब चीजों का परिवर्तन होता है और वह सब न्याय, सब नीतियों को जानते हैं।
आमदनी का दसवां भाग गरीबों-मोहताजों साधू फकीरों की सेवा में खर्च करो...
हम लोगों के लिये यह कहा गया था कि हम अपनी हक हलाल की कमाई में से दसवां हिस्सा गरीबों, मोहताजों, साधू-फकीरों की सेवा में खर्च करें और अपने शरीर को पाक रखें। हम लोग समझ से काम लेते तो इतनी खराबी न होती, आखिर तो जिम्मा आपके सिर मढ़ा गया। प्रजातंत्र प्रणाली का जो अधिकार था उसका भी दुरुपयोग किया। प्रजातंत्र में राजा बनाने का अधिकार आपको मिला। आप जिसको राजा बनायेंगे वह जो करेगा, भोक्ता बनोगे अपने कर्मो का भार है ही।
बाबा जी को कोई ख्वाहिश नहीं
मेहनत और ईमानदारी से काम करो, लोग कह डालेंगे कि बाबाजी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति की ख्वाहिश रखते हैं तो मुझे किसी पद की क्या ख्वाहिश होगी ? जहां 10 करोड़ लोग कतार लगाकर भाव के फूल चढ़ाते हों उस से बड़ा क्या पद ? अगर आराम चाहते हो तो मेहनत और ईमानदारी से काम करो फिर एक घण्टे भगवान की सच्ची पूजा करो खुदा की सच्ची इबादत करो और ग्रन्थ साहब का समझकर पाठ करो। यह नहीं कि ऐसे ही कर लिया, अगर सब लोग इसमें लग जाये तो सब खामियाजा खत्म, सबके दिल पाक साफ। आपने अपना निशाना गिरने का बना लिया है इसलिये महात्मा दौड़ेंगे। जब गिरने लगोगे तब बचायेंगे। अगर गांधी महात्मा के साथ में महात्मा शब्द न लगा होता तो गांधी कुछ नहीं कर सकते थे। पर महात्मा के नाम कब तक आप रोटी खाओगे। आपको भी महात्मा कुछ बनना है।
जयगुरुदेव
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