जयगुरुदेव
24.06.2022
प्रेस नोट
रांची (झारखंड)
महात्मा ऐसे वैद्य जो शरीर और इसे चलाने वाली जीवात्मा दोनों की करते हैं बीमारी दूर
नहाते समय रगड़ कर साफ न करने से बन्द रोम छिद्र पैदा करते हैं चर्म रोग
मनुष्य शरीर में चूक जाने पर सजा भोगने के लिए कीड़े, मकोड़े, पेड़, पौधे की योनियों में बन्द होती है जीवात्मा
अनमोल मनुष्य शरीर के लक्ष्य जीते जी प्रभु प्राप्ति को न प्राप्त कर पाने पर जीवात्मा की होने वाली दुर्गति से सचेत करने वाले, कई तरीकों से जीवात्मा पर चढ़े कर्मों के आवरण को हटा कर स्थाई सुख शांति प्राप्त करने का रास्ता नामदान देने वाले त्रिकालदर्शी दुःखहर्ता परम दयालु मौजूदा सन्त सतगुरु उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी ने 19 जून 2022 को रांची झारखंड स्थित आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
जीवात्मा किसको कहते हैं? परमात्मा की अंश को। बहुत छोटे टुकड़े को अंश कहते हैं। जैसे हीरा का छोटा टुकड़ा अन्य धातुओं से ज्यादा कीमती रहेगा। ऐसे ही यह परमात्मा की अंश जीवात्मा, इसकी कीमत बहुत ज्यादा है, इसमें ताकत पावर बहुत ज्यादा है।
मनुष्य शरीर पाने की कीमत न समझने, चूकने पर जीवात्मा को मिलती है चौरासी लाख योनियों में भारी तकलीफ
यही जीवात्मा इस शरीर को चलाती है। यही जीवात्मा जो आपके अंदर हैं, कीड़ा, मकोड़ा, सांप, गोजर, बिच्छू, ऊंट, बकरी, भैंसा, बकरा सब में वोही जीवात्मा बंद है। जब आदमी की चूक हो जाती है, जिस काम के लिए यह मनुष्य शरीर मिला, वह काम जब नहीं कर पाता, खाने-पीने, मौज-मस्ती में समय निकाल देता है, आदमी के समझ में नहीं आता है कि मनुष्य शरीर किस लिए मिला, वह तो उसी तरह से जैसे पशु-पक्षी खाते बच्चा पैदा करके चले जाते हैं,
मनुष्य भी सोचता है कि हम भी इसी काम के लिए भेजे गए हैं तो सजा मिल जाती है। फिर आत्मा कीड़ा, मकोड़ा साप-बिच्छू के शरीर में बंद कर दी जाती है। देखो पेड़ खड़े हैं। कोई 25-50-100 साल, इससे भी ज्यादा खड़े रहते हैं। तो इसी में डाल दिया जाता है, खड़े रहो। सजा भोगने के लिए अन्य योनियों में डाल दिया गया। कीड़ा-मकोड़ा सांप-गोजर आदि में बंद कर दिया जाता है, अब जान बचाते फिरो।
छोटे-छोटे जानवर बड़े मांसाहारी जानवरों से इधर-उधर जान बचाते फिरते हैं
देखो छोटे जानवरों को मांसाहारी जानवर खा लेते हैं। उनसे नजर बचाकर के चलते, भागते रहते हैं। अगर चूहा बिल्ली को, बिल्ली कुत्ता को देख ले तो जान बचाते रहते हैं। ऐसे बचाना पड़ता है। चूक जाने से इनमें बंद किया जाना पड़ता है।
5 महीना 10 दिन का बच्चा मां के पेट में जब हो जाता तब परमात्मा की अंश जीवात्मा डाली जाती हैं
जब जीवात्मा शरीर में डाली जाती है तो शरीर का विकास तेजी से शुरू हो जाता है। हाथ, पैर, आंख, कान सब बनने लगते हैं। हड्डियां मजबूत होने लगती हैं। मांस बढ़ने लगता है। मांस के ऊपर खाल चढ़ने लगती है। लेकिन फिर भी 9 महीना लगता है बच्चा बनने में। कम समय में अगर बच्चा बन जाए, जल्दी पैदा हो जाए तो जल्दी जिंदा नहीं रहता, बहुत कमजोर रहता है।
नौ महीना बच्चे को मां के पेट रूपी कैदखाना में बंद रहना पड़ता है
कैदखाना यानी जेल। जेल से बाहर अपनी इच्छा के अनुसार नहीं निकल सकते हो। जैसे जेल में बंद कैदी चाहे कि हम अपने रिश्तेदारों परिवार वालों से मिलें, बाहर घूमने जाये तो कैसे जा सकता है? ऐसे ही नौ महीना जेल खाने में बंद रहती है जीवात्मा। बाहर जब निकली तब भी इस मनुष्य के अंदर बंद है। इन्हीं आंखों के बीच में जीवात्मा बंद है क्योंकि रास्ता हो गया बंद। कैसे बंद हो गया?
जैसे शरीर के रोवों के किनारे छोटे-छोटे छिद्र बंद होने से दाद, खाज, खुजली हो जाती है ऐसे ही जीवात्मा पर कर्मों की गंदगी चढ़ने से हो जाती है बंद
जैसे शरीर के रोवों की जब रगड़ कर सफाई नहीं होती है, साफ करके नहीं नहाते हो, रोवों के किनारे छेद बंद हो जाते हैं तब रोग हो जाता है। उसको क्या कहते हैं चर्म रोग, खुजली, दाद, एक्जिमा आदि यह सब हो जाता है क्योंकि सुराख बन्द होने से सफाई नहीं हुई। ऐसे ही जीवात्मा जिस रास्ते से (शरीर में) डाली गई है, निकलती भी उसी रास्ते से। वह रास्ता जान-अनजान में बने कर्मों की वजह से बंद हो गया। उसी रास्ते से देवी-देवताओं को देखा जा सकता है, स्वर्ग बैकुंठ में घूमा जा सकता है, निकल करके ऊपर की दिव्य आवाज जो 24 घंटे हो रही है, उसी से सुना जा सकता है। इसलिए समरथ गुरु की खोज करनी चाहिए जो सब उपाय बता दें और आपका मानव जीवन सफल हो जाये।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev