*"जब उस प्रभु की कृपा हो जाती है तब सच्चे संत और उनका सत्संग मिलता है..."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 09.01.2022*

*सतसंग दिनांक: 01.जनवरी.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: जयगुरुदेवयूकेएम / Jaigurudevukm*

*"जब उस प्रभु की कृपा हो जाती है तब सच्चे संत और उनका सत्संग मिलता है..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

इस दुनिया के तमाम पराए कामों से अलग जीवात्मा के असली काम यानि पूरे समर्थ संत सतगुरु को खोज कर इसी मनुष्य शरीर में जीते जी मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की याद दिलाने वाले,
इस समय के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने उज्जैन आश्रम, मध्यप्रदेश में दिए गए सतसंग संदेश में बताया कि,

इस शरीर को चलाने वाली शक्ति यानी ताकत वो जीवात्मा, परमात्मा की अंश है। वह इस शरीर में बंद की गई है।
इसी शरीर के अंदर से जीवात्मा के निकालने का रास्ता है। जीवात्मा जहां से भेजी गई है, वहां इस शरीर में से ही पहुंच पाएगी, इसलिए इसमें बंद की गयी है। एक ही रास्ते से मां के पेट में, पिंड में इसे डाला गया है।
जब कोई भेदी या जानकार मिल जाता है, तो वो रास्ता बता देता है तब उसी रास्ते से निकल कर के जीवात्मा प्रभु के पास पहुंच जाती है, जहां से यह आयी हुई है।

जैसे कोई रास्ता कहीं जाने का अगर किसी को मालूम हो जाए तो कितनी ही बार आए और जाए। शरीर के अंदर ऐसा रास्ता है, उससे निकल जाओ और फिर वापिस आ जाओ।
यह जो रिश्ता है? घर-परिवार, माता-पिता आदि का ये स्थाई नहीं है। देखो! आपको यह नहीं मालूम है कि हम हमारे पिछले जन्म में भी कहीं थे? *बहुत जन्म बीते आपके। पहले कहीं और थे, उस समय माता-पिता-भाई आदि कोई और थे।*

*"दुनिया में सब रिश्ते शरीर छूटते ही खत्म हो जायेगें....इसलिए जीवात्मा का अपने पिता से सच्चा रिश्ता पहचानो?"*

प्रेमियों! यह दुनिया का रिश्ता है, यह शरीर के साथ सब जुड़ा हुआ है। सब रिश्ते एक दिन शरीर छूटते ही खत्म हो जाएंगे। जैसे पहले के रिश्ते छुटे, ऐसे ये भी छूट जाएंगे।
लेकिन जीवात्मा तो परमात्मा की अंश है, ये रिश्ता कभी खत्म नहीं होता है। कहने का मतलब यह है कि असली पिता परमात्मा ही है।

बेटा कितना भी नालायक हो जाए, कितना भी पिता को भूल जाए, लेकिन पिता नहीं भूलते हैं। वो गुस्सा करते हैं, किसी से कह देते हैं कि नहीं मानता है तो इसको चांटा लगाओ, कड़क मास्टर जी के पास भेज दो, कान ऐंठ करके पढ़ाएंगे, यह सब करते हैं।

लेकिन अगर जेल में बंद हो जाए तो वो छुड़ायेंगे ही। पूरी ताकत लगाएंगे जेल से निकालने के लिए। ऐसे ही आप फंस गए हो, यहां पर आकर के, पिता को देख भी नहीं पाते, अपने पिता को भूल गए हो *लेकिन पिता आपको नहीं भूले हैं, वो बराबर याद करते रहते हैं। यदि पिता को देखने लग जाओ तो उनसे प्रेम हो जाए।*

*"प्रेम से प्रगट होय मय जाना...."*
प्रेमियों! अपने ही पिता होते हैं। परिवार का कोई होता है, वो बड़ा प्यारा होता है जब तक मिलते-जुलते रहते हैं। लेकिन मिलना-जुलना जब बंद हो जाता है वह रिश्ता भूल जाता है।
जैसे आदमी का इस समय का स्वभाव है कि जहां जिसके पास रहेगा, मिलेगा-जुलेगा तो उसी से प्रेम हो जाता है और असला रिश्ता घर, परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों का भूल जाता है।

ऐसे ही जो आपका असला रिश्ता परमात्मा से, पिता से है? वह रिश्ता आप भूल गए हो। लेकिन अगर आप देखने लग जाओ, उसको मिलने लग जाओ, आपको उनसे फिर प्रेम हो जाएगा तब मन नहीं मानेगा।
वो जरूर पिता से मिलने कि इच्छा करेगा। थोड़ी देर के लिए किसी से मिलते हो तो प्रेम हो जाता है। उससे बराबर फोन से बात करते रहते हो, समय मिलने पर आप उससे मिलने चले जाते हो।

इसी तरह से जब पिता का, परमात्मा, पति परमेश्वर जिसे कहा गया है, उनका दर्शन जब आपको हो जाएगा तब आपको प्रेम हो जाएगा।
*जब उनसे प्रेम करोगे, उनसे मिलने की जब तड़प पैदा होगी आपके अंदर? तो उनका नाम है दीनानाथ, दया निधान, गरीब परवर, वो तुरंत दया करते हैं।*

*"दुनिया में कोई किसी पर क्या दया करेगा? जितनी दया आपके ऊपर और जीवों के ऊपर उस परमात्मा की अभी हो रही है...."*
अब यह सब जानकारी जब कोई कराता है, तभी हो पाती है। नहीं तो आदमी शरीर के लिए ही सब कुछ करने में लगा रहता है।
खाने, कपड़े, घर-मकान का इंतजाम, बाल-बच्चों का परवरिश ही अपना असला काम समझ लेता है।
*धन और नाम कमाना, इज्जत बढ़ाना यही अपना और इस शरीर का असला काम समझ लेता है। और जीवन का अमूल्य समय बेकार चला जाता है इसलिए चेत जाओ।,*
*इसलिए दुनिया के पराए कामों से हटकर अपने असली काम यानि जीते जी अपने असली पिता परमेश्वर को प्राप्त कर लो।*

JaigurudevAmritVani


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