*"लडाई, मार-काट, खून-खराबा दिख रहा है...* *अगर लोग नहीं संभलेंगे तो इससे भी ज्यादा तकलीफें बढ़ जायेंगी।"* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश*जयगुरुदेव*
*सतसंग संदेश / दिनांक 08.01.2022*

*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 01.जनवरी .2022*

*"लडाई, मार-काट, खून-खराबा दिख रहा है...*
*अगर लोग नहीं संभलेंगे तो इससे भी ज्यादा तकलीफें बढ़ जायेंगी।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

नववर्ष 01:01:2022 के अवसर पर आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश में आए हुए व ऑनलाइन सतसंग सुनने वाले प्रेमी भक्तों को वर्ष 2022 के बारे में दिए व यू ट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम *(Jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
पहले लोग दूसरे के धन को जहर की तरह से मानते थे। दूसरे की मां-बहन को अपनी मां-बहन की तरह समझते थे। लेकिन अब आगे ये भावनाएं लोगों की बहुत खराब होंगी। लोगों की नीयत खराब होगी। *इस से आपको बचाना है।*

*"कुल मिलाकर के 2022 का समय..."*
इस 2022 में आए दिन आपको सुनने को मिलेगा कि बलात्कार, अपहरण, गैंग रेप हो गया। तनिक देर में आदमी का मन मचल जाएगा और परिणाम उसका आपको सुनने को मिलेगा।
क्या हुआ? पीट दिया लोगों ने, हाथ-पैर तोड़ दिया। फिर जेल चले गए, अपराध किया तो फांसी की सजा हुई। इससे प्रेमियों आपको बचना है।

संयम नियम का पालन नहीं करोगे तो बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं भी बहुत आयेंगी। बाढ़ सूखा से त्रस्त होंगे लोग। भूकंप के भी झटके लगेंगे। यह सब कर्मों का फल लोगों को मिलेगा।
*कर्म का फल सबको भोगना पड़ता है इसलिए कर्म खराब अपने मत होने देना। लोगों को समझाते रहना। कुल मिलाकर के 2022 का समय अच्छा नहीं है।*

*"देश विदेशों में सुख, शांति और सुकून के संकेत नहीं दिख रहे हैं ..."*
इस 2022 में प्राकृतिक आपदाएं भी दिखाई पड़ रहीं हैं। तकलीफें, बीमारियां भी दिखाई पड़ रही हैं। लड़ाई झगड़ा, हिंसा हत्या भी दिखाई पड़ रहा है।
मनमुटाव भी दिखाई पड़ रहा है। यह जो धार्मिक लोग हैं, इनमें भी मनमुटाव दिखेगा। यह राजनेता हैं, इनमें भी मनमुटाव दिखेगा। यह जो आतंकवाद है, जितने भी वाद हैं, सब बढ़ेंगे।

सीमाओं में भी चौकसी करनी पड़ेगी। विदेशों में भी सुकून, शांति के संकेत नहीं दिख रहे हैं। लड़ाइयां, मारकाट, खून खराबा यह सब दिख रहा है।
कुल मिला कर के देखो! यह कोई भविष्यवाणी नहीं है। अगर लोग संभलेंगे तो इसमें कमी भी होती चली जाएगी। अगर नहीं सभलेंगे तो इससे भी ज्यादा तकलीफें बढ़ जाएंगीं।
*यह समझो! आपको इसमें बहुत संभल कर के चलने की जरूरत है।*

*"संयम नियम का पालन नहीं करोगे तो बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप से लोग त्रस्त होंगे।"*
संयम नियम का पालन नहीं करोगे तो बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं भी बहुत आएंगी। बाढ़, सूखा से त्रस्त होंगे लोग। भूकंप के भी झटके लगेंगे।
यह सब कर्मों का फल लोगों को मिलेगा। कर्म का फल सबको भोगना पड़ता है।
*इसलिए कर्म खराब अपने मत होने देना। लोगों को समझाते रहना।*

*"ज्यादातर अपराध क्यों होते हैं?"*
भविष्यवाणी तो नहीं करना है मुझे। लेकिन समझाना है जो आगे होने वाला है। बुरा कर्म करने वाले जो लोग हैं, उनसे आप बचो।
यह सब ज्यादा अपराध क्यों होता है? शराब, नशे की- गोलियों, जड़ी-बूटियों, पदार्थ पीने की वजह से ऐसा होता है। आदमी को बस वही धुन सवार रहता है।
काम की वासना अगर जग गई तो फिर वह मां, बहन, बहू को भी नहीं देखता। जैसे जानवर नहीं देखते हैं कि मेरी बहन है, मां है कि कौन है? ऐसी ही प्रवृत्ति उनमें आ जाती है।

*"इससे बचने का क्या तरीका है?"*
मांसाहारी व्यक्ति की संगत करने से भजन में बाधा आ जाती है। यदि गुरु के वचन हमेशा याद रखोगे, गुरु को मस्तक पर सवार रखोगे तो आप नहीं फंसोगे।
*चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।*

चंदन ठंडा होता है और यह जहरीले सांप में जहर की वजह से बहुत गर्मी होती है। सांप उसमें लटके रहते हैं, उनके लटके हुए भी चंदन अपनी शीतलता को नहीं छोड़ता है।
ऐसे ही आप अगर गुरु को सामने रखोगे, गुरु को समर्पित अपने को किए रहोगे, अपने मन को खास रूप से समर्पित करोगे तो आपके मन को उधर जाने से गुरु रोकेंगे, आप बचे रहोगे।
जब गुरु के आदेश का पालन, सुमिरन ध्यान भजन, जो गुरु बताते हैं, उसको जब करते रहोगे, गुरु के वचन का पालन करोगे, गुरु के वचन को याद रखोगे, तन मन से सेवा का भाव रखोगे, *तब तो बचत हो सकती है वरना बहुत मुश्किल है।*

*"आपको क्या करना है?"*
तो समझो! खराब समय आने वाला है इसलिए आपको शाकाहारी, नशामुक्त और अपराधों से दूर रहना है।
सेवा भाव, परोपकार भाव आपको रखना है। सत्य रूपी धर्म का पालन करना है। हिंसा-हत्या से दूर रहना है।
हो सके तो किसी की मदद कर दो। बुरा मत चाहो। आप भजन भाव भक्ति की ही बातें दुनिया से करो।
*जब यह सत्य है कोई भी चीज आपके अपने काम आने वाली नहीं है। यह क्षणिक है, थोड़े सुख के लिए ही है तो इसमें आप क्यों फंसते हो? इससे आप दूर रहो।*

Amratvani


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ