*इस घोर कलयुग में जोर से चल रहे काल-माया के आवेग से बचने के लिए गुरु को मस्तक पर सवार रखो, मर्यादा में रहो।*

*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 25.08.2021*
सीकर, राजस्थान

*इस घोर कलयुग में जोर से चल रहे काल-माया के आवेग से बचने के लिए गुरु को मस्तक पर सवार रखो, मर्यादा में रहो।*

नामदान दे कर जीते जी प्रभु प्राप्ति का, मुक्ति - मोक्ष पाने का रास्ता बताने के साथ - साथ सामाजिक जीवन में रिश्तों में पवित्रता बनाये रखने की शिक्षा देने वाले,
उज्जैन के परम संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 13 अगस्त 2021 को सीकर, राजस्थान में, और यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित अपने सन्देश में बताया कि,
प्रेमियों! गुरु की जो मर्यादा है, सीख है, उसके अंदर, उसी किले में रहना। जो उन्होंने मेहनती, ईमानदार, चरित्रवान होने का बताया उसी में रहना।
कहा गया है -
*गुरु माथे पर राखिये, चलिए आज्ञा माहि।*
*कहै कबीर ता दास को, तीन लोक भय नाहि।।*

जो गुरु को मस्तक पर सवार रखता है, गुरु को सर्वस्व सौंप देता है, गुरु के आदेश के पालन में लग जाता है, गुरु पल-पल उसकी रक्षा करते हैं।
कहते हैं जिधर भक्त चलते हैं, भगवान का हाथ उनके पैरों के नीचे हुआ करता है। सतसंग में दृष्टांत इसलिए सुना करके समझाया जाता है कि आपके समझ में कोई बात आ जाए। सीधे बात बताने में जल्दी समझ में नहीं आती है।
*कहने का मतलब यह है कि कम खाओ, गम खाओ और लंगोटी के मजबूत रहो।*

*भजन करो, शक्ति अर्जित करो, पवित्रता से रिश्तों को निभाओ।*

प्रेमियों! भजन करो, शक्ति अर्जित करो। जिस लक्ष्य के लिए *नामदान* लिया है, उस लक्ष्य को पूरा करो। दोबारा इस दु:ख के संसार में आपको आना न पड़े, ऐसा काम करो।
इस समय पर इस घोर कलयुग में माया और काल का प्रभाव बहुत जोर से चल रहा है, कभी भी परमार्थ के रास्ते से गिरा सकता है। इन दोनों को आप एक तरह से सम्मान-इज्जत दो लेकिन आप उसमें फंसो नहीं।
आपका - समाज - परिवार का जो भी रिश्ता है, उसे पवित्र रूप में जिस तरह से निभाना चाहिए वैसे निभाओ। गृहस्थ आश्रम में, समाज के नियम के अनुसार समाज में उस तरह से रहो।

*आप भी संकल्प बना कर गुरु के मिशन में, आदेश में लगो तो हनुमान की तरह इतिहास में आपका नाम हो जाएगा।*

जो प्रेमी संकल्प बना लेते हैं, जैसे *राम काज कीन्हे बिना, मोहे कहां विश्राम।* जैसे हनुमान जी ने संकल्प बना लिया था तो आज उनकी जगह-जगह पूजा हो रही है।
जगह-जगह हनुमानगढ़ी बना हुआ है। पत्थर के ऊपर तेल-सिंदूर लगा कर रख दो तो वहां पर भी हनुमान के नाम पर पूजा होने लगती है। ऐसे थोडे ही उनकी पूजा होने लग गयी। संकल्प बनाया था उन्होंने।
*अपने को भूल कर के राम की दया लेकर के राम का काम किया तो राम के नाम के साथ हनुमान जुड़ गए।*

jaigurudev


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