*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 19.08.2021*
झुंझुनूं, राजस्थान
*भारत देश में पूरे संत मौजूद हैं, जो मुक्ति - मोक्ष का रास्ता यानि नामदान लुटा रहे और विदेशों के लोग फायदा उठा रहे हैं।*
आन्तरिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के तौर तरीके बताने वाले, जीते जी मुक्ति-मोक्ष देने का रास्ता यानी नामदान देने वाले,
समय के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 17 अगस्त 2021 को झुंझुनूं, राजस्थान में संदेश देते हुए बताया कि,
आप यदि वैद्य से पूछो कि कब भोजन करना चाहिए? तो कहते हैं की दाहिने नाक का स्वांस चले तब। इस तरह बहुत सारे संयम और नियम पहले लोग जानते थे।
अब सतसंग नहीं सुनते हैं तो जानकारों का सतसंग नहीं मिलने से उसी तरह का जीवन हो गया है जैसे पशु और पक्षियों का। यानी खाओ, बच्चा पैदा करो और दुनिया संसार से चले जाओ।
ऐसा काम करने में लोग लग गए हैं। गलती किसी की नहीं है। जैसा समाज-परिवार के लोग होते हैं, देश होता है उसी हिसाब से आदमी चलता है। जब समझ में आ जाता है तब सब बदल जाता है।
*विदेश से भी लोग यहां आकर नामदान लेकर जाते हैं।*
विदेशों के लोग यहां आते हैं और नामदान लेकर जाते हैं। जो भाषा भी नहीं समझते हैं, हिंदी भी नहीं बोल पाते हैं लेकिन जब उनको समझ में आ गया तो नामदान लेकर के गए हैं।
अब तो ज्ञाता हो गए, विद्वान-जानकार हो गए, अब तो वह उपदेश करने लग गए। आप समझो गलती किसी की नहीं है। लेकिन जान करके गलती करोगे, होशियारी न लाओगे तो गलती मानी जाएगी।
*आप नामदान लो और दक्षिणा में अपनी बुराईयां दे दो।*
*नामदान वह दान है जिसकी कोई कीमत लगाई नहीं जा सकती।* जिसको पहले के संत लोग दूसरे जन्म में देते थे। पहले जन्म में गुरु भक्ति कराते थे। दूसरे जन्म में नाम देते थे।
अब आप पहली बार आए हो तो आपको बता दिया जा रहा है। पहले तो लोटा, धोती, लंगोटी, अनाज तमाम तरह के दक्षिणा लेते थे। अंगूठा तक का दक्षिणा मांग लिया।
लेकिन आपसे तो कोई दक्षिणा मांगी नहीं जा रही। न आपका कोई घर, बाल-बच्चे छुड़ाये जा रहे, न कंठी न कोई छाप लगाया जा रहा है। अब यह जरूर है कि आप दक्षिणा देना चाहते हो? नामदान दीक्षा मंत्र लेते समय जो दक्षिणा देने की मर्यादा रखना चाहते हो तो दे दो, मौका है।
*आपको लेकिन देना क्या है? आप अपनी बुराइयों को यहीं छोड़ जाओ। बुरे काम मत करना - यही है दक्षिणा।*
देखो! मांस - मछली - अंडा - शराब या शराब जैसा नशे का सेवन कुछ भी मत करना। बाकी आपको छूट है। हजम कर सको तो सौ गिलास रोज दूध पी लो, दो किलो घी रोज खाओ।
शाकाहारी फल फ्रूट सब खा सकते हो, पूरी छूट है। तो अच्छा खाओ, है तो अच्छा मकान में रहो। छीन कर के, चोरी कर के, किसी का दिल दुखा कर नहीं लाना है।
मेहनत - ईमानदारी की कमाई कर के जैसे चाहो वैसे रह सकते हो। दूसरी औरत के साथ बुरा कर्म मत करना। दूसरे पुरुष के साथ बच्चियों बुरा कर्म मत करना। बाकी आपको छूट है।
हम जात - धर्म - घर कुछ नहीं छुड़ा रहे। हमारे यहां तो कोई जाति - पातीं नहीं है। *हमारे यहां तो बस एक ही जाति है - मानव जाति। हम तो सब से प्रेम करते हैं, सबको अपना मानते हैं।*
*"जयगुरुदेव" नाम की ध्वनि बोलना है।*
जिन जिन के घर में तकलीफ रहती है, आप बच्चियों शुरू कर दो। एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को *जयगुरुदेव* नाम की ध्वनि बोलवाओ।
बोलना कैसे है? यह भी बता दें...
*जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव*
इसी तरह से बोलना रहेगा। परिवार के लोग, अन्य लोगों को भी बैठाना और जब बैठने लग जायेंगे तब उनका मन लग जाएगा। उनका मन साफ हो जाएगा और *तकलीफों में जब आराम मिलेगा तब विश्वास हो जाएगा।*
*जैसा बताया जाए वैसे करोगे तो जल्दी और ज्यादा फायदा मिलेगा।*
और आप लोगों को जो नाम बताऊंगा, नामदान दूंगा, उस हिसाब से आप करना। जैसा भजन-ध्यान लगाने को बताऊंगा, वैसे करना तो आप लोगों को और ज्यादा फायदा होगा।
*और ज्यादा देखने सुनने को आपको मिलेगा। आपके शरीर में, आपके बोली बानी में, आपकी दृष्टि में उससे ताकत आ जायेगी।*
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Jaigurudev |
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