*【Sant Mat- Chetavni | सन्त मत चेतावनी 】* 8.
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गुरुदेव जगाने आये हैं।
परिवर्तन होगा दुनिया में,
संदेश सुनाने आये हैं।।
उठा लो धनुष-बाण निज हाथो में।
गुरु विश्वामित्र बन दुनिया का,
संताप मिटाने आये हैं।।
मोह निशा को भंग करो।
भगवान कृष्ण बन गीता का,
ये पाठ पढ़ाने आये हैं।।
और मानवता भी चली गई।
बनकर भगवान बुद्ध शांति का,
संदेश सुनाने आये हैं।।
पूरन तुमको करना है।
तुम निमित मात्र ही जग जाओ,
यश तुमको दिलाने आये हैं।।
गुरुदेव जगाने आये हैं।
परिवर्तन होगा दुनिया में,
संदेश सुनाने आये हैं।।
ऐसी सुन्दर बखरी।
न चौड़ी न सकरी।।
जे में ईंट लगे न पथरी।।
पुरा परोस को अखरी।।
छोड़ो माया मकरी।।
बनवा दई मोरे कारीगर ने,
ऐसी सुन्दर बखरी।।
जब दांत दिये तोको अन्न भी दे है।।
सबकी सुधि लेत वो तेरी भी ले है।।
जहान को देत वो तोको भी दे है।।
सोच करे कुछ हाथ न अइहै।।
मेरी कहीं एकहि न मानी।
इत उत फिरत भुलानी।।
मेरी कहीं एकहि न मानी।।
कंकर पत्थर पानी।।
मोह जात उरझानी।।
हित अनहित नहीं जानी।।
आपन बनत सयानी।।
झूठे को पतयानी।।
अद्भुत खेल कहानी।।
दुनिया अजब दीवानी,
मेरी कहीं एकहि न मानी।।
कल प्रातः को जाने खिली न खिली।।
सुगन्ध समीर मिली न मिली।।
तन मन से चोट झिली न झिली।।
फिर अन्त समय में हिली न हिली।।
कल प्रातः को जाने खिली न खिली।।
जन जागरण हेतु बोले जाने वाली-
जयगुरुदेव चेतावनी
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बाबा जयगुरुदेव का हम सन्देश सुनाने आये हैं।।
सन्तों के श्री मुख से आया, आगे तबाही बड़ी बड़ी।।
पड़ने वाले कुदरत के थप्पड़ से वो बच जायेगा।।
जागो जागो दुनिया वालों तुम्हें बचाने आये हैं।
बाबा जयगुरुदेव का हम सन्देश सुनाने आये हैं।।
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
उसने नर तन सफल बनाया।
जिसके हृदय में राम नाम बन्द है,
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
गोस्वामी नानक ने दर्शन पाया।
जिसके हृदय अमीरस कन्द है,
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
सतगुरु जी की वाणी को मानो।
जिसके रोम रोम गुरु गोविन्द है,
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
मुक्ति पाने की शिक्षा यहीं है।
गुरु दर्शन में मिलता आनन्द है,
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
उसे हर घड़ी आनन्द ही आनन्द है।।
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Jaigurudev