जयगुरुदेव| पिछली यादें


★★ रक्षा यात्रा का पावन सन्देश ★★


जब तरुणाई अंगड़ाई लेती है तब इतिहास के पन्ने पलट जाते है। इतिहास इसका साक्षी है।
नौजवानों! अब खाने पीने मौज मस्ती में लगे रहने का समय नहीं रह गया।  चेतोगे नहीं तो देश और दुनियां में कोहराम मच जाएगा। कुदरत लोगों को उनके अच्छे बुरे कर्मों की सजा देने लग जाएगी।

जैसे फौज के जवान सीमा पर खून पसीना बहा करके देश की रक्षा कर रहे हैं। ऐसे ही आप लोगों को आगे बढ़कर लोगों को नैतिक शिक्षा देकर सत्य, अहिंसा, परोपकार जैसे मानव धर्म का पाठ  पढ़ाकर सुख-शान्ति स्थापित करना है और चरित्रवान रहना, चरित्र मनुष्य के जीवन में निखार लाता है। चरित्रवान उन्नति के शिखर पर चढ़ता है। इसलिए तुम्हारा चरित्र न गिरने पावे।


*बच्चों!*

शराब कभी भूल कर मत पीना और मांस का त्याग कर दो। तभी तुम्हारे अन्दर ईश्वरीय शक्ति, खुदाई ताकत का इजहार हो सकेगा और देश व समाज के लिए कुछ कर सकोगे।


*व्यापारियों!*

तुम शराब पीना बन्द कर दो। शरीर में पेट को वैश्य कहा गया। पूरे अंगों का पोषण इसी से होता है। पेट खराब हो जाने पर शरीर के अंग खराब हो जाते हैं। आपको अन्नदाता कहा गया लेकिन शराब जैसे नशे का सेवन करोगे, बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी तो आपका नाम खराब हो जाएगा। इसलिए मांस और शराब का त्याग करके मेहनत और ईमानदारी की कमाई करो जिससे बरकत मिल सके और वो मालिक आपकी इबादत (पूजा) कुबूल कर सकें।


*काश्तकारों!*

अधिक संख्या में काश्तकार जब से मांस और शराब का सेवन करने लगे, तबसे उनके पैदा हुए अन्न की ताकत खतम हो गई। रोग, लोगों के अन्दर बढ़ गया।
*जैसे पिये पानी, वैसी होवे बानी।*
सात्विक जनों द्वारा उत्पादित अन्न तथा सात्विक रसोइया द्वारा तैयार भोजन से मन, चित्त, बुद्धि सही रहती है। आंखों में मां-बहन की पहचान रहती है, सात्विक भोजन ग्रहण करने से शरीर में सात्विक रस बनते हैं, उन्हीं रसों से खून बनता है। खून से विचार, विचार से कर्म होते हैं। कर्मों का भोक्ता बनना पड़ता है। ये सृष्टि का नियम है इसलिए महात्माओं ने मूल आधार बताया कि जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन। ज्ञातव्य है कि बलवान, धनवान, प्रतिष्ठावान रावण की बुद्धि खान-पान से भ्रष्ट हो गई थी।


*अधिकारियों व कर्मचारियों!*

जनता आपके बच्चे के समान। आप जिस स्थान पर हो मेहनत और ईमानदारी से उनका काम करो। आपकी वजह से इनका दिल नहीं दुखना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी की कमाई में बरकत है। रिश्वत जैसी चीज दूध से भरे हुए बर्तन में दो बूंद दही डालने की तरह से है। रिश्वत मेहनत की कमाई  की लक्ष्मी को दूषित कर देती है। जिसका असर अपने शरीर तथा बच्चों पर आ जाता है। बच्चों के मानसिक तथा बौद्धिक विकास में बाधा आ जाती है।


*चिकित्सकों!*

सुबह उठो मालिक को याद करो और उससे यश मांगो, प्रभु (अल्लाह ताला) हमारे हाथ में यश दो जिस मरीज की नाड़ी पकड़ूं उसको ठीक कर सकूं। आपसे प्रार्थना है कि आप लोग चिकित्सा सेवा को व्यापार न बनायें। दाल में नमक की तरह खावें। जिससे मन, बुद्धि, चित्त सही रहे और भगवान की याद आवे।
आपके सामने जैसे तमाम मरीज दुनिया छोड़कर जा रहे, ऐसे किसी दिन समय पूरा हो जाने पर आपको भी जाना पड़ेगा।


*राजनेताओं!*

जनता ने आपको जो पावर, इस समय देश के लोगों को सुख और समृद्धि दिलाने का दिया है, इसको न करके जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद स्वयं की सुख समृद्धि लाने में अगर लगे रहे तो प्रजातंत्र में जनता ही राजा होती है। इनके बारे में आपने अगर न सोचा तो ये दूध में पड़ी हुई मक्खी की तरह से आपको निकाल कर फेंक देगी। आपका कोई नाम लेवा नहीं रहेगा। इसलिए जिस आसन पर आप बैठे हो उसकी गरिमा बनाये रखना आपका परम् धर्म है।

भ्रष्टाचार की जननी मांस और शराब का खाना-पीना बन्द नहीं किया और बन्द नहीं कराया तो भविष्य में शाकाहारी सदाचारी सच्चे, अच्छे, खरे लोगों के हाथ में सत्ता चली जाएगी, आप हाथ मलते रह जाओगे।
देश के माननीय धर्माचार्य, महात्माजन, मठाधीश, आश्रम के महन्त, मौलवी, पण्डित, ग्रंथी, पादरी आप लोगों से प्रार्थना है कि आप लोग अब अपने स्थान से चलकर जनता के बीच में जाइये और उनको शाकाहारी, सदाचारी बनने-बनाने की शिक्षा दीजिए। गऊमाता, धरती माता, अपनी माता की रक्षा का पाठ पढ़ाइए।

आपने लोगों को मांस, मछली, अण्डा, शराब आदि नशों से मुक्त करा करके इस मानव मन्दिर को पाक-साफ कर दिया तो गुरु  महाराज की दया लेकर इनके अन्दर ऐसी आध्यात्मिक शक्ति भर दी जाएगी कि बड़े-बड़े देश के लोग इनके सामने नतमस्तक हो जाएंगे। भारत विश्व गुरु बन जाएगा।


*नोट-*
सभी लोग हड़ताल, तोड़फोड़, हिंसा-हत्या, आन्दोलन से दूर रहें। अधिकारियों कर्मचारियों का सम्मान करें और नियम कानून का पालन करें।

- सन्त उमाकान्त जी महाराज
  बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन म.प्र.
  फोन- 9754700200, 9575600700

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Jaigurudev