जयगुरुदेव | ◆ आपके प्रश्नोत्तर ◆ [4]

 *प्रश्न १७. स्वामी जी ! मनुष्य शरीर दुर्लभ क्यों कहा गया है ?*

उत्तर-  इस सृष्टि में जितने भी जीव चाहे वह पिंड से पैदा होते हों अथवा अंड से उन सबमें अधिक मनुष्य का जन्म उत्तम है। इस सृष्टि को बनाने वाला और सारी सृष्टि मनुष्य के अंदर है,  देवताओं के शरीर से भी उत्तम शरीर मनुष्य का बनाया गया है। इंसान को परमात्मा ने अपनी शक्ल पर बनाया है और इसी चोले में उसे परमात्मा से मिलने का अधिकार प्राप्त है । सृष्टि का सारा रूहानी राज सिर में आंखों से ऊपर के भाग में छुपा हुआ है ।

परमात्मा से मिलने का रास्ता भी मनुष्य के अंदर है और इसी रास्ता का जिक्र सभी धर्मों की पुस्तकों में किया गया है लेकिन धर्मों के मानने वालों को इस चीज की जानकारी नहीं है । वह केवल बाहरी कर्मकांड, रस्मो रिवाज, पोथियों को पढ़ना, पूजा पुण्यदान, पाक जीवन बिताना,  सामाजिक सेवा करना आदि से ही संतुष्ट है । 

और इसके द्वारा अपने को पुण्यात्मा मानता है और इसके फलस्वरुप मौत के बाद मुक्ति की आशा रखते हैं । इन सबसे शुभ कर्म का लाभ तो मिल सकता है लेकिन मुक्ति मोक्ष का मिलना कदापि संभव नहीं। 
मुक्ति और मोक्ष ईश्वर के भी आगे रूहानी मंडलों पर पहुंचने के बाद प्राप्त होती है । इसका भेद केवल संत सतगुरु ही बताते हैं और रूहानी मंडलों का सफर जीव के साथ साथ चलकर तय कराते हैं । यह जीते जी मरने की साधना है फिर उसके बाद मौत का खौफ समाप्त हो जाता है।


 *१८.  स्वामी जी ! भजन के वक्त नींद बहुत आती है क्या करें ?*

उत्तर- भजन के वक्त जो नींद आने की शिकायतें करते हैं वे सच्चे शौक के साथ भजन ध्यान में नहीं बैठते हैं । वे केवल एक दैनिक कार्यक्रम समझकर साधना में समय देते हैं। दिन में काम जब भी 5 मिनट 10 मिनट की फुर्सत मिले तो आंख बंद करके ध्यान को तीसरे तिल में जमाओ यह अभ्यास बराबर जारी रखो । 


बाहरी काम के लिए ध्यान की थोड़ी मात्रा की जरूरत रहती है। अधिकांश समय में मन किसी ना किसी तरह के काम से बाहर भटकता ही रहता है। कभी यह चैन से नहीं बैठता है। इस ध्यान का आंतरिक उपयोग करने से दुनिया के काम का हर्ज नहीं होगा । फिर ऐसा होगा कि हम उस काम को पहले से भी अच्छे तरीके से कर सकेंगे । चिंता भजन की होनी चाहिए। जब किसी बात की चिंता होती है तो नींद उड़ जाती है।


*१९.स्वामी जी ! भजन के लिए समय नहीं मिल पाता क्या करें ?*

उत्तर - खाने-पीने के लिए समय है दुकान दफ्तर के लिए समय है और सभी कामों के लिए समय निकल आता है लेकिन अपनी आत्मा के छुटकारे के लिए समय तुम्हें नहीं मिलता है। भजन ही अपना काम है और दुनिया के जितने भी काम है सब इंद्रियों के काम हैं पराए काम है।
भजन करना तुम्हारे हाथ में है। गुरु की सहायता सदा तुम्हारे साथ रहती है गुरु तुमसे दूर नहीं वह तुम्हारे अंदर तीसरे तिल में विद्यमान है ।
दुनिया के कामों को करते हुए तुम्हें भजन के लिए भी प्रतिदिन समय निकालना चाहिए इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

अगर पूरा समय ना दे सको तो जितना हो सके उतना दो 5 मिनट 10 मिनट आधा घंटा ही सही हर रोज बैठना आवश्यक है। भजन ही मौत के बाद साथ जाता है और तुम्हारे लेखे का है बाकी सब कुछ यहीं रह जाता है। बीते हुए दिन फिर वापस नहीं आएंगे इसलिए प्रेम विश्वास के साथ लगातार आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।


*२०. स्वामी जी ! ध्यान व भजन के वक्त मन अक्सर भाग जाता है क्या करें ?*

उत्तर - पहली बात यह है रोज नियम से भजन पर बैठो नागा ना होने पावे । जो समय निर्धारित करो ठीक उसी समय पर बैठ जाओ। प्रातः काल का समय भजन के लिए अच्छा होता है वातावरण शांत रहता है । मन का स्वभाव है भागने का और वह भागेगा । कोशिश इस बात की करनी चाहिए कि जब वह भागे तो उसे वापस खींच कर तीसरे तिल में ले जाओ । इस अभ्यास को बराबर करते रहना चाहिए । 

धीरे-धीरे मन मान जाएगा। अगर बिरह अंग लेकर भजन ध्यान में बैठो तो मन शांत और स्थिर हो जाता है उछल-कूद नहीं करता । इसलिए भजन पर बैठने के पहले एक विरह अंग की प्रार्थना करो इससे मन में टिकाव आएगा। अभ्यास से और फिर गुरु की दया से मन भजन में लगने लगेगा।  लगे रहो हिम्मत नहीं हारना चाहिए।


*२१. स्वामी जी ! भजन में मुझे शब्द सुनाई नहीं देता दया कीजिए ?*

उत्तर-  जब एकाग्रता आएगी तभी शब्द सुनाई देगा। मन के एकाग्र होने से शब्द स्पष्ट सुनाई देने लगेगा । जो अनपढ़ हैं और सीधे साधे स्वभाव के हैं वह सीधे निशाने पर जैसा बताया गया है बैठ जाते हैं तो उन्हें अनुभव होने लगता है। अंतर में प्रकाश भी दिखाई देता है और नाम भी सुनाई पड़ता है। पहले ध्यान को तीसरे तिल में सुमिरन के द्वारा टिकाओ तब धीरे-धीरे शरीर पैरों की तरफ से सुन्न होना शुरू हो जाएगा।

अगर पैर और बाहें सुन्न नहीं होती तो इसका अर्थ यह है कि मन बाहर भटक रहा है निशाने पर नहीं है। मन को स्थिर करो । तुम भजन में कम समय देते हो और इसके अलावा जब भजन में बैठते हो तो उस वक्त मन पर चिंता का बोझ रहता है । नियमित समय पर रोज भजन में बैठो । सही तरीके से काम करोगे तो शब्द सुनाई देगा, आनंद आएगा।

जयगुरुदेव ●

शेष क्रमशः पोस्ट न. 5 में पढ़ें  👇🏽

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