गुरु भक्तों के प्रत्यक्ष अनुभव (post 2)

.   जयगुरुदेव

*● प्रेतात्मा बोली  (सत्य घटना)●*
     4. Pretatma boli

एक बच्ची के ऊपर एक प्रेतात्मा लग गई। उसके घर वाले बड़े परेशान। वो जब बोलना शुरु करे तो यही कहे कि हमें बाबाजी के पास ले चलो।
ऐसे ही एक दिन बोलने लगी कि मैं तो बाबा जी के सत्संग में जाती थी, मुझे बहुत अच्छा लगता था लेकिन मेरे मां बाप मान्साहारी थे उनको नहीं पसन्द नही था। आखिर में उन्होंने हमको मार डाला। अब मुझे बाबा जी के पास ले चलो। बाबा हमको अपने पास रख लेंगे तब हम इसको छोड़ देंगे।

उस बच्ची के पिताजी उसको लेकर आश्रम पर आये । पहले जब मन्दिर पर उसे लेकर गए तो वह बोली कि मुझे यहां बहुत अच्छा  लग रहा है। अगर बाबा आज्ञा दे देते तो मैं यहीं रह जाती। उसके बाद उसके पिताजी अपनी लड़की को लेकर स्वामी जी महाराज की कुटिया में गए। जब स्वामी जी बाहर निकले तो उन्होने सारी बात बताई और कहा कि यह प्रेतात्मा कहती है कि अगर बाबा मुझे मन्दिर पर जगह दे देते तो मैं वहीं रह जाती।

स्वामी जी का उत्तर था कि रहे न उसको मना कब किया’। स्वामी जी का कहना था कि बच्ची अचेत होकर गिर  पड़ी और जब उसको होश आया तो वो बोली कि पापा हम लोग यहां कैसे आ गए ?


*● गुरु की रक्षा हरदम संग ●*
     5. Guru ki raksha hardam sang

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर 1-7-2001 को मैं ट्रेन से कानपुर से मथुरा अपने बच्चों व कई प्रेमियों के साथ जा रहा था। भीड़ के कारण कासगंज से छत पर यात्रा करनी पड़ी। कमालगंज का सिग्नल पार करने के बाद कुछ दूर पर एक टेलीफोन का खम्भा टूटकर गाड़ी पर गिर पड़ा। जिससे तार में फंसकर मेरा लड़का नारायण गिर पड़ा। 

उसकी उम्र 15 वर्ष थी और कक्षा नौ पास कर चुका था। गाड़ी लगभग 35 किलोमीटर की रफ्तार पर थी। बच्चा मेरे पीछे बैठा था। उसे गाड़ी से गिरते केवल मैंने ही देखा। मैं चिल्लाया कि गाड़ी रोक दो! बच्चा गिर गया है। कई  आवाज लगाने के बाद 3 किमी. की दूरीपर गाड़ी खड़ी हुई। मैं,  मेरा भतीजा व पड़ोसी गंगाराम सिंगनल के पास लैटे थे। गार्ड ने गाड़ी वापस लाकर हाथरस सिटीमें जी0आर0पी0 द्वारा अस्पताल रवाना किया। उसकी सब हड्डियां टूट गई थीं। उसे उन्नाव लाकर भर्ती कराया और स्वामी जी का प्रसाद देता रहा, साथ मे दवा भी।

18 दिन अस्पताल में रखने के बाद डाक्टर की सलाह से घर पर डेढ माह तक प्लास्टर चढाया खिंचाव कराया व लिटाये रक्खा। गुरु की दया से बच्चा बिल्कुल ठीक हो गया और पढने जाता है। गुरु हर क्षण सम्हाल करते रहते हैं और मौत के मुंह से भी अपने जीवों को निकाल लेते हैं इसका स्पष्ट अनुभव मुझे देखने को मिला।

पूरा - जिला उन्नाव, राम खेलावन साहू


*● मेरा अनुभव ●*
     6. Mera anubhav

मैं ग्राम फतेहपुर पो. अजमेरी बादशाहपुर टांडा अम्बेडकर नगर की निवासी जंग बहादुर की मां हूं ।
महामानव कुम्भ में मैंने स्वामी जी महाराज से नामदान लिया था। मैं 26 मई को सुलेमपुर बाजार जा रही थी कि किसी ने सड़क पर पहले से बम रक्खा था। 

मैं अचानक बम के पास पहुंच गई और बम फटकर मेरी साड़ी के अन्दर से साड़ी फाड़कर कुछ दूर जाकर गिरा और जलने लगा और धुवें से एकदम अंधेरा हो गया। कुछ सुझाई नहीं दे रहा था। मैं बहुत घबड़ा गई और थर-थर कांपने लगी। दोनों हाथों से आंख मूंदकर जयगुरुदेव-जयगुरुदेव जोर से मालिक का नाम बोलने लगी। 

पूरी बाजार एकदम थर्रा गई। कुछ देर के बाद मेरे पास लोग दौड़े। मैं मालिक का नाम भजती रही। लोग कह रहे थे कि बुढ़िया मरी नहीं कैसे बच गई यह तो जयगुरुदेव का नाम भज रही हैं। मैं बाल-बल बच गई थी और देखने वाले दंग रह गए थे। मालिक की दया का परिचय मुझे इस प्रकार मिला।


*● फकीरी दुआ से ब्रेस्ट कैन्सर रोग खत्म ●*
    7.  Fakiri dua se brest cancer khatm

बोरोवली बम्बई के प्रसिद्ध दांत के डॉक्टर आर. एन. बापट मेरे परम मित्र हैं। पिछली जुलाई 2001 में मैं उनसे मिलने गया। वो काफी उदास थे। मैंने पूछा कि चिन्ता का कारण क्या है। उन्होनें बताया कि अमेरिका  में उनके भाई रहते हैं और बैंक ऑफ अमेरिका में बड़े अधिकारी हैं। वहां भाभी जी को स्तन कैंसर हो गया है। इसके कारण पूरा परिवार बहुत दुखी है।

मैं कुछ देर तक सोचता रहा फिर सलाह दिया कि हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी की अगर कृपा हो जाये तो आपकी भाभी को आराम हो सकता है। मैंने उन्हें आश्रम सम्पर्क करने के लिये इन्टरनेट का बेवसाइट व ई-मेल नम्बर सब दे दिया और कहा कि आप गुरु महाराज से दया मांग सकते हैं। उन्होनें उसी रात फोन द्वारा अपनी भाभी जी को सूचना दे दी और कहा कि गुरु महाराज से दया मांगो।

दो-तीन महीने बाद जब मैं अपने मित्र से मिलने गया तो बातचीत के दौरान उनकी भाभी का हाल पूछा कि कैसी हैं। उन्होने बताया कि मेरी भाभी ने वैसा ही किया जैसा आपने बताया था। उन्होनें बाबाजी से सम्पर्क किया उसके बाद धीरे धीरे उनको आराम होने लगा और अब तो वो स्वस्थ्य हैं। 

मैंने मन ही मन स्वामीजी महाराज को याद किया और कहा कि मालिक आप कितने दयालू हैं जो सात समुद्र पार भी जीवों की फरियाद सुनते हैं और दया करते हैं। 

मेरे डॉक्टर मित्र ने यह भी बताया कि बाबाजी की दया मेरे भाई साहब पर भी हुई । जिस दिन अमेरिका वर्ल्ड सेन्टर पर सितम्बर में आतंकवादी हमला हुआ था उन्हें अन्दर से कुछ प्रेरणा हुई और वे उस दिन कार्यालय नहीं गये। । उस वक्त में भी उसी बहुमंजिली इमारत में था जो धराशायी हो गई थी। अगर मेरे भाई साहब उस दिन कार्यालय गये होते तो उनका भी वही हाल होता जो कितने हजार लोगों का हुआ, और कितने घर उजड़ गये।
भाई साहब व भाभी जी अब अमेरिका से भारत आयेंगे तो बाबाजी के दर्शन के लिये अवश्य जायेंगे।

(डॉ. ओ.पी. पोद्दार)
7 से 13 मार्च 2000


*● रक्षा तो होती ही है ●*
   8. Raksha to hoti hi hai

उन जीवों के बड़े भाग्य हैं जिन्हें जीवन में समर्थ सन्त सतगुरु मिल गए हैं। ऐसे गुरु अपने प्रेमी के साथ बराबर अंग संग रहते हैं और सम्हाल किया करते हैं। 10 मई 2001 की घटना है मैं घर में चौकी पर लेटा था। 

मुझे ध्यान नहीं रहा और एकाएक जब चौकी पर खड़ा हुआ तो मेरा सिर घूमते हुए पंखे से टकरा गया। जब थोड़ा होश  आया तो देखता हूं न कहीं खून गिरा है न कहीं खरोच लगी है। मैं सोचने लगा कि मेरा तो सिर कट जाना चाहिए था मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। गुरु महाराज ने मेरी पूरी सम्हाल की और मैं बच गया। मैंने लाख लाख शुकराना किया गुरु महाराज का। मुझे जीवन दान मिल गया था। डॉ. दिलीप कु. शर्मा -ग्रा. तेलाई, पोस्ट- कचनी, सीधा म.प्र.

7 अगस्त  2001


*● रक्षा हरदम संग ●* 
    9. Guru raksha hardam sang

जनवरी 1989 की बात है। मेरा खेत नदी के किनारे था और ड्राइवर ट्रेक्टर चलाकर खेत जो रहा था। मेरा छोटा भाई नन्दकुमार झा ड्राइवर को भोजन लेकर खेत पर गया। ड्राइवर जब भोजन करने लगा तो मेरा भाई स्वयं ट्रेक्टर चलाने लगा। थोड़ी देर बाद जब वो नदी के किनारे खेत जो रहा था तो ट्रेक्टर एकाएक उलट गया और मेरा भाई उसके नीचे आ गया। 

कुछ देर बाद मल्लाहों की टोली मछली मारने के लिए आई । उसने जब ट्रेक्टर उलटा हुआ और भाई को देखा तो समझ लिया कि वो मर गया है। दो घण्टे लग गए  उसे निकालने में। लोगों ने भाई को घर पहुंचाया। उस दिन मैं पास के गांव में किसी काम से गया हुआ था। जब लौटकर आया और भाई की हालत देखी तो स्तब्ध रह गया। 

मैं डाक्टर को बुलाने जाने लगा तो भाई ने कहा जब मैं ट्रेक्टर के नीचे दबा था तो किस डाक्टर ने मुझे बचाया ? जिसने अन्दर से दया की वो बाहर से  भी करेंगे। पूछने पर उसने बताया कि ‘मैं कीचड़ में ट्रेक्टर के नीचे दबा हुआ था। स्वामी जी दिखाई दिए। उन्होने अपना हाथ उठाया तो हाथ में से एक तेज रोशनी की धारा मेरे नाक तक आने लगी। मैं बिल्कुल ठीक था,  मुझे कोई कष्ट नहीं था। जब लोगों ने मुझे ट्रेक्टर के अन्दर से बाहर निकाला तो बहुत तेज दर्द महसूस हुआ। दर्द की टेबलेट खाने से आराम मिला।’ 

कुछ दिन बाद जब मैं स्वामी जी महाराज से मिला तो मुझे देखते ही स्वामी जी ने कहा कि अरे झा साहब तुम्हारा छोटा भाई साधन भजन करता है कि नहीं ? मैं यह सुनकर रोने लगा और कहा कि सरकार यदि आप न होते तो मेरा भाई इस संसार में नहीं होता। फिर स्वामी जी ने कहा कि अगर मालिक दया न करे तो उसे कौन पूछे। यह कहकर स्वामी जी मुस्कुराने लगे। 

- मृत्युंजय झा, बिहार 
( साभार, शाकाहारी पत्रिका, 21 से 27 जुलाई 2001 )

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