जयगुरुदेव- प्रार्थनाएं (post no.1)
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अब अपना बना लो हमे सतगुरु प्यारे
रहूँ जिससे निर्भय सहारे तुम्हारे ।।१।।
बताओ तुम्ही किसके जाऊँ द्वारे ।।२।।
मगर कौन बिन तेरे स्वामी उतारे ।।३।।
दया करके अब तो लगा दो किनारे ।।४।।
दयालु शरण मैं हूँ आया तुम्हारे ।।५।।
जयगुरुदेव पतवार मेरी सम्हाले ।।६।।
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नही आधार कोई ध्यान फिर कैसे लगाऊ मैं।।१।।
तेरे सतधाम का कैसे पता भगवान पाऊँ मैं।।२।।
मिले गुरुदेव बोले राह वह तुमको बताऊ मैं।।३।।
मगर इस बीच ये कैसा हुआ किस्सा सुनाऊ मैं।।४।।
पड़ा मझधार मे हूँ पार अब क्यों कर के पाऊँ मैं।।५।।
तुम्हारा नाम जयगुरुदेव तजि किसको बुलाऊँ मैं।।६।।
तड़फ मे आ मिलो स्वामी गले तुमको लगाऊ मैं ।।७।।
नही आधार कोई ध्यान फिर कैसे लगाऊ मैं।।८।।
*प्रार्थना 4*
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तो दुनियां में कोई हमारा नहीँ है।।
तो फिर बन्दा तेरा तुम्हारा नहीँ है।।
तो कहना नहीँ कि गोहारा नहीँ है।।
उसे मोह के बस सुधारा नहीँ है।।
इसी से दया भीख मैं मांगती हूँ,
तुम्हें छोड़ कोई हमारा नहीँ है।।
उसे कोई यमदूत मारा नहीँ है।।
उसे और कोई उबारा नहीँ है।।
उसे कोई देता सहारा नही है।।
दिखाई भी देता किनारा नहीँ है।।
मैं डूबुंगी अगर तुमने तारा नहीँ है।।
तुम्हें छोड़ दिनों का प्यारा नही है।।
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लगन लगी है दर्शन की कर दो पूरी मन की ।।१।।
अखियन के प्रभु तुम हो तारे।
भूख नही मोहे धन की -
कर दो पूरी मन की।।
लगन लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की ।।२।।
तुम्हरे दरस को तरसे ये अखियाँ ।
प्यास बुझा दो नैनन की
कर दो पूरी मन की ।
लगन लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की ।।३।।
करूणा भरी झलका दो घाघर।
ज्योति जला दो जीवन की
कर दो पूरी मन की ।
लगन लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की ।।४।।
जोड़ लिया प्रभु तुमसे नाता,
कृपा हो जाये भगवन की
कर दो पूरी मन की ।
लगन लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की ।।५।।
मिट गई उसकी पाप की रेखा,
दासी बना लो चरणन की
कर दो पूरी मनकी ।
लगन लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की ।।६।।
उजड़ा हुआ मेरा जीवन वसा दो,
सुन लो अरज निर्धन की
कर दो पूरी मन की।
कर दो पूरी मन की ।।
आस लगी है दर्शन की
कर दो पूरी मन की।।७।।
जयगुरुदेव
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