जयगुरुदेव- चेतावनी (post no. 1)

*चेतावनी १*
aao re logon sant sharan me
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आओ रे लोगों सन्त शरण में,
काम यही एक आएगा।
ये नर तन अनमोल मिला है,
बार बार नहीं पाएगा।।

मात गर्भ में उल्टा लटका,
नो महीने दुख पाया था।
सुमरूँगा मैं नाम तुम्हारा,
ये कह बाहर आया था।।
आते ही तू भूल गया,
वहां क्या कह कर के आया था।
यम की अदालत में तू पगले,
कौन सा मुँह दिखलायेगा-
ये नर तन अनमोल मिला
बार बार नहीं पाएगा।।

ऊँचे ऊँचे महल बनाये,
तूने सुख से रहने को।
जोड़ जोड़ भर लिया खजाना,
अपना अपना कहने को।।
ना जाने कब यम परवाना,
आ जायेगा लेने को।
न जाएगी माया संग में,
सब कुछ यही रह जायेगा-
ये नर तन अनमोल मिला....
बार बार नहीं पाएगा।।

सोच समझ ले रे मन मूरख,
जो हरि दर्शन पाना है।
नाम सनातन गुरु से ले ले,
आवागमन मिटाना है।।
कहत कबीरा कल क्या होगा,
ये न किसी ने जाना है।
जब उड़ जाए जीवन पंछी कौन तुझे समझाएगा-
ये नर तन अनमोल मिला....
बार बार नहीं पाएगा।।


*चेतावनी २*
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adhi rat dhali jivan ki

आधी रात ढली जीवन की होगा अभी सवेर रे,
आजा बंदे गुरु शरण में काहे करता देर रे ।।

चार दिनों का जीवन तेरा, दुनिया चलती चाकी रे,।
पिस रहे हैं सभी इसी में, कौन बचा यहां बाकी रे ।।
अगर कहीं बचना चाहो तो- गुरु की माला फेर रे। 
आ जा बन्दे गुरु शरण में,
काहे करता देर रे ।।

आत्मशांति का सच्चा पथ तू, और कहीं नहीं पाएगा।
लाखों जन्म गवा कर प्राणी,
आखिर पथ पर आएगा।।
पढ़ा रहा धन माल यहीं पर -
खाली गए कुबेर रे ।
आजा बंदे गुरु शरण में,
काहे करता देर रे ।।

माता बहनों सीता बनकर, इस धरती पर रहना है।
ध्रुव और प्रहलाद बनाकर, गंगा बनकर बहना है ।
मालिक के घर देर भले हो, लेकिन नहीं अंधेर रे।
आ जा बन्दे गुरु शरण में, काहे करता देर रे ।।

दिन भर काम करो जीवन का
फिर सत्संग में आओ रे।
मन मेल विकार हटाकर,
आवागमन छुड़ाओ रे।।
दास कहे निशदिन गाए जा,
जय गुरुदेव नाम की टेर रे।
आ जा बन्दे गुरु शरण में,
काहे करता देर रे ।।


*चेतावनी ३*
ak bar bhajan karle
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एक बार भजन कर ले मुक्ति का जतन कर ले,
कट जायेगी चौरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।१।।

यह नर तन का चोला हर बार नही मिलता,
डाली से जो गिर जाये वो फूल नही खिलता ।
मौका यह मिला है गुलजार चमन कर ले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।२।।

युग बीत गये कितने हुई कितनी बड़ी हानि,
मन अर्पण कर प्रभु को छूटेगी मनमानी ।
सुख मय होगा जीवन पर पहले नमन करले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।३।।

मस्तानों की टोली मे तू नाम लिखा अपना,
फिर साफ नजर आये दुनिया है एक सपना ।
सत्संग की गंगा मे आकर मज्जन करले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।४।।

सन्तों ने जो गाया है हृदय मे उतारो तुम,
कुछ सेवा व्रत लेकर जीवन को सवारों तुम ।
गुरु आज्ञा जो माने जीवन को सफल करले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।५।।

इन कानों से सुन बन्दे तू सन्तो की वाणी,
इस मन को ठहरा कर बन जा ज्ञानी और ध्यानी ।
तेरी जीभ हिले न मुख मे तू ऐसी  रटन कर ले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।६।।

जब माँ के गर्भ मे था छाया था अँधियारा,
प्रभु बाहर करो मेरे मै भजन करूँगा तुम्हारा ।
उन गर्भ के वादों को मत भूल याद कर ले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।७।।

जब समय निकल जायेगा पछतायेगा बन्दे,
अब आजा शरण गुरु की दे काम छोड़ गन्दे ।
सतगुरु के चरणों मे तू गर्दन नीची कर ले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।८।।

एक बार भजन करले मुक्ति का जतन करले,
कट जायेगी चोरासी गुरु का सुमिरन कर ले ।।९।।


*चेतावनी ४*
andheri duniya 
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अँधेरी दुनिया.. भजन बिना कैसे  तरिहे।
अनाड़ी दुनिया.... भजन बिना कैसे तरिहे।।

माटी का एक नाग बनाकर,
पुजे लोग लुगाई।
जिंदा नाग जब घर में निकले,
ले लाठी धमकाई रे।...
अँधेरी दुनिया... भजन बिना कैसे तरिहे।।

जीते बाप को रोटी न देवे,
मुरदे को ये खिलवाये।
मुठ्ठीभर चावल देकर,
कौवे को बाप बनावे रे।...
अँधेरी दुनिया... भजन बिना कैसे तरिहे।।

सवाशेर कीे रोटी बनावे,
वो देवी को दिखलावे।
वा देवी कछू खावे न पीवे,
पुजारी आपही खावे रे।।...
अँधेरी दुनिया... भजन बिना कैसे तरिहे।।

पहाड़ फोड़ के पत्थर लावे,
वाकी मूरत बनावे।  
वो मूरत कछू बोल न पाँवे,
पुजारी आँख फसावे रे।।...
अँधेरी दुनिया... भजन बिना कैसे तरिहे।।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,
भजन बिना कैसे तरीयो रे।
अंधेरी दुनिया भजन बिना कैसे तरीहो।।

शेष क्रमशः पोस्ट 2. में पढ़ें ...
जयगुरुदेव|

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