*रोज कुछ ना कुछ शरीर से सेवा करते रहना चाहिए।* - waqt guru baba umakantji maharaj, ujjain


समय का संदेश 
29.11.2024
हाथरस, उत्तर प्रदेश

1. *रोज कुछ ना कुछ शरीर से सेवा करते रहना चाहिए।* 
1.41.12 - 1.43.30

जैसे यहां पर आप पहले आ गए और तैयारी कर दी। भोजन का समान ले आए, भोजन बन रहा है। कोई सामान ले आया, आटा ले आया, चावल ले आया, दाल ले आया सब आपने सहयोग किया। 

उसमें इकठ्ठा हो गया और लोग बना रहे हैं। अब भूखे जो हैं थोड़ा ही मिले प्रसाद रूप में लेकिन भूखे को मिल जाएगा। तो ये सेवा रोज की तो रहेगी नहीं। लेकिन कर्म रोज इकठ्ठा करोगे तो कैसे कटेंगे? इसलिए रोज कुछ न कुछ शरीर से सेवा करते रहना चाहिए। जैसे शाकाहारी बनाना लोगों को जरूरी है। 

नशा से मुक्त करना जरूरी है। ईश्वरवादी बनाना यानी भगवान को लोग भूल रहे हैं, भगवान के बारे में बताना जरूरी है। तो ये सब काम अपने-अपने हिसाब से सब लोग करते रहो। कोई अधिकारी है तो अधिकारी को समझाओ। कर्मचारी हो तो कर्मचारियों को समझाओ। किसान हो किसान को समझाओ। बच्चियाँ बच्चियों को समझाओ। विद्यार्थी विद्यार्थी को, मजदूर मजदूरों को अपने-अपने स्तर से ही समझाते रहो। 

सन्तों के यहां तो कोई जात-बिरादरी नहीं होती लेकिन समाज में रहते हो, जाती-बिरादरी है, आपका संबंध है, शादी-ब्याह करते हो, खाते-खिलाते हो। उनको अपने-अपने हिसाब से समझाते रहो कि भाई इस मानव मंदिर को गंदा मत करो। देखो जब से यह मांसाहार बढ़ा तब से बीमारी बढ़ गई। खून बेमेल हो गया। तरह-तरह से कोरोना जैसे असाध्य रोग लोगों को होने लग गए। तो मांस मत खाओ। पाप लगता है। 

जीव हत्या का पाप लगता है। जीव हत्या हो ऐसा कोई काम मत करो। न जीव की हत्या करो, न जीव हत्या को बढ़ावा दो। अब कोई कहे कि हम तो पैसा देकर मांस लाते और खाते हैं लेकिन मांस खाना अगर वो छोड़ दें तो जीव की रक्षा होगी कि नहीं होगी। पाप लगता है। लाने वाले को, काटने वाले को, बनाने वाले को खाने-खिलाने वाले को। ये सब बातें जब बताओगे, समझाओगे तो मान जायेंगे। बहुत लोग मान गए।

2. *गुरु की दया को लेना आप सीख जाओगे तो कोई चीज की कमी नहीं रह जाएगी।*
1.46.08 - 1.48.06

गांव के सीधे-साधे लोग, आप जब बात को बताओगे, समझाओगे तब वो छोड़ेंगे। नहीं तो जुबान का स्वाद जल्दी छोड़ पाते हैं? नहीं छोड़ पाते हैं। चाहे नभ्या का स्वाद हो, चाहे जिव्हा का स्वाद हो यही तो बरबाद कर दे रहा है आदमी को। अरे यही कह देना मेरी तरफ से कि बाबा हाथ जोड़ कर के बोले हैं कि 

हाथ जोड़ कर विनय हमारी। 
तजो नशा बनो शाकाहारी।। 
छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी। सतयुग लाने की करो तैयारी।। 

यही आप समझा दो उनको। तो शरीर से सेवा करो और इसी में से खर्च करो। जो आपकी बचत हो कमाई में से। बरकत जो मिले। दिल-दिमाग को लगाओ तो तन मन धन सबकी सेवा आपकी हो जाएगी। इससे गुरु खुश होंगे। 

जब गुरु आपके खुश हो जाएंगे, प्रेमियों जो पुराने लोग हैं वो समझ लो कि जब गुरु महाराज खुश हो जायेंगे तब आपको जो कह रहा था-
             
"देत ना मानें हार।" 

फिर कोई चीज की जरूरत आपको महसूस ही नहीं होगी। वो पूरी किए रहेंगे। इसका मुझे अनुभव है। मैंने आपको बताया न कि मैं जब वहां से गया तो मेरे पास कुछ भी नहीं था और अब गुरु महाराज की ऐसी दया है कि जो सोच लेता हूं कि ऐसा होना चाहिए जनहित के लिए, वो सब काम होता चला जा रहा है। तब आप कहोगे कि बाबा आप कोई सौतेले बेटे होंगे। ऐसा कुछ नहीं। वही गुरु हमारे भी और वही गुरु जो आप गुरु महाराज के शिष्य हो वही गुरु महाराज आपके भी हैं। लेकिन हम उनकी दया को लेना सीख गए। आप भी इसी तरह सीख जाओगे तो कोई चीज की कमी नहीं रह जाएगी। लोक भी आपका बन जाएगा। परलोक भी बन जाएगा।

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समय का संदेश
04.12.2024
रसूलाबाद, कानपुर देहात, 
उत्तर प्रदेश


1. *बच्चों और अभिभावकों के लिए विशेष संदेश।* 
2.22.50 - 2.26.57

(गुरु महाराज ने नामदान के बाद प्रेमियों को भजन के बारे में बताते हुए कहा) इसी तरह से भजन करना रहेगा सब लोगों को और अगर बच्चों को भी कराओगे, मैंने देखा यहां बच्चे और बच्चियां जो बैठें हैं स्कूल में पढ़ने वाले ये सब बैठे थे अभी। इससे इनके संस्कार बनेंगे और अगर संस्कार आपने नहीं बनाया और इन बच्चे-बच्चियों पर ध्यान नहीं दोगे तो आगे चल कर यही गलत बच्चों के साथ पड़ करके बिगड़ जाएंगे। 

आपकी सब मेहनत बेकार चली जाएगी। ये जो कमाते हो इनके लिए, वो सब ये बर्बाद कर देंगे। आपकी जो इनसे उम्मीद है कि अच्छे औहदे पर जाएंगे, हमारा नाम करेंगे, देश सेवा करेंगे, इन सब आशाओं पर पानी फिर जायेगा। इसलिए आप जितने भी लोग यहां पर आए हो, बच्चों का ध्यान रखो। बच्चें कहां गए घर से निकलने के बाद, स्कूल पहुंचे कि नहीं पहुंचे? गलत बच्चों के साथ तो नहीं पड़ गए। 

शाम को लौटें तो प्यार के साथ पूछ लो कि क्या पढ़ा, क्या पढ़ाया, होमवर्क क्या दिया? इन सब चीजों की जानकारी जब रखोगे तो बच्चों को भी यह रहेगा कि हां पूछताछ होगी। हमको स्कूल जाना चाहिए। अच्छे बच्चों का साथ करना चाहिए। यह ज्यादा जरूरी है। आप कमाने खाने में तो लगे ही रहते हो और उसी तरह की बात इन बच्चों से भी करते हो तो बच्चे सीख नहीं पाते। मारने पीटने की बजाय, डांटने की बजाय इनको समझाओगे तो यही बच्चे बहुत अच्छे निकल जाएंगे।

देखो बच्चों! सुनो मेरी बात। सब लोग एक बात सुन लो। यह जयगुरूदेव नाम किसी आदमी इंसान का नाम नहीं है। यह प्रभु का नाम है। यह गुरु महाराज का जगाया हुआ नाम है। इसमें अभी प्रभु की शक्ति है। यह मुंह से लेने वाला वर्णनात्मक नाम है। अभी जो आपको पांच नाम बताया यह सुनने वाला ध्वनात्मक नाम है। 

यह दोनों नाम रहे हैं। यह पांच नाम हमेशा से रहा है लेकिन समय-समय पर जब महापुरुष आए हैं तो एक नाम को उन्होंने इन्हीं सब कामों के लिए जगाया है कि जिससे लोगों का फायदा हो, जिससे लोगों को विश्वास हो, जिससे हमारा मिशन पूरा हो वह काम हो उसके लिए जगाया है उन्होंने, जैसे राम भगवान थे, कृष्ण भगवान थे, कबीर साहब, सत साहब नाम जगाये, नानक साहब वाहेगुरु नाम जगाये, ऐसे ही गुरु महाराज ने "जयगुरुदेव" नाम जगाया है। 

तो बच्चों देखो कहीं भी मुसीबत में पड़ जाओ, कोई भी तकलीफ हो तो "जयगुरुदेव" नाम बोलना। अब ये "जयगुरुदेव" नाम याद कैसे रहेगा- जब रोज "जयगुरुदेव" नाम की ध्वनि बोलोगे तब "जयगुरुदेव" नाम फट से मुंह में आ जाएगा और नहीं तो जिनको रोज याद करते हो मम्मी-मम्मी, पापा-पापा, दादा-दादा, वही याद आएंगे उस समय और वह बचा नहीं पाएंगे। इसलिए जयगुरुदेव नाम की ध्वनि रोज बोलना रहेगा।

जयगुरूदेव नाम बोलना और पढ़ाई खूब मेहनत से करो लेकिन परीक्षा के समय कोई सवाल भूल जाओ, तब आंख बंद करके जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोल देना अंतर में थोड़ी देर।

 उस वक्त पर जो सवाल का जवाब दिमाग में आ जाएगा, वही लिख करके चले आना। सवाल कोई मत छोड़ना कि हमको नहीं आता है। लिख करके चले आना और पढ़ाई अगर किए रहोगे एक बार भी अगर पढ़ लोगे तो उस समय में वो याद आ जाएगा और अगर याद आ जाएगा तो लिख दोगे। अच्छे नंबर पा जाओगे। अब जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलना कैसे रहेगा, बता देता हूं -

जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव

 इसी तरह से बोलना। रोज अगर बोलेंगे बच्चों और बच्चियों सब लोग समझो और परिवार के लोगों को बुलवाओगे तो बहुत कुछ तकलीफें जो आपकी बनी रहती हैं इसी से कम हो जायेंगी। कैसे बोलना रहेगा -
जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव।

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समय का संदेश
29.11.2024
हाथरस, उत्तर प्रदेश


1. *एक के सहारे हो जाओ। सच्चा पति (परमात्मा) ही बचाता है।* 
1.28.46 - 1.29.46

द्रौपदी के कितने पति थे? पांच पति थे। वो पांचों ऐसे देखते रहे, उठे तक नहीं, जब उसे दुशासन नंगी कर रहा था तब। और एक पति होता तो नंगा करने देता? चाहे जान चली जाती। लेकिन सब ऐसे देखते रहे कि वो उठे, वो उठे, वो उठे, जिसको असला पति (परमेश्वर) मानती थी कृष्ण को, उनको पुकारा तब कृष्ण आए और बचाये। इसी तरह समझना चाहिए कि ज्यादा भटकोगे अगर, इधर उधर जाओगे तो फंस जाओगे। और फंसाव की यह दुनिया है। क्योंकि देश ये जो किसका है? काल भगवान का है। काल भगवान निकलने नहीं देना चाहते हैं। तब तो फंसते चले जाओगे।

2. *स्वामी जी महाराज चिट्ठी में क्या लिखकर के भेजते थे?* 
1.11.50 – 1.12.10

(परम पूज्य महाराज जी ने कहा) गुरु महाराज के पास रहता था आश्रम पर। जहां पुराना बना हुआ है। गुरु महाराज भेजा करते थे प्रचार के लिए। यहां तक कि चिट्ठी लिख-लिख कर के भेजते थे कि कि *उमाकान्त तिवारी को भेज रहा हूं। समझ लेना मैं ही आ रहा हूं।*

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जयगुरुदेव




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