*भवसागर क्या होता है?*


जयगुरुदेव 
समय का संदेश
14.11.2024
कटनी, म. प्र.

1. *भवसागर क्या होता है?* 
1:21:30 - 1:22:29

भवसागर यही दुनिया संसार कहलाता है। जहां जन्मना मरना होता है, वह सब भवसागर कहलाता है। अब आप देखो कि धरती के नीचे भी लोक है - पाताल लोक, वह भी भवसागर में आता है, वहां भी जन्मना और मरना होता है। और यहां भी जन्मना मरना होता है और इससे ऊपर जो लोक हैं उनकी भी मृत्यु होती है। समय पूरा होता है जब यह ब्रह्मा विष्णु महेश यह जो तीन देवता हैं तो इनको भी, इनका भी स्थान बदलता है। यह भी समझ लो कि एक तरह से इस गति में आते हैं तो यह भवसागर है समझे आप। समझ लो कि जैसे यह पिंड लोक है, अंड लोक है यह सब इस और पाताल लोक यह सब जो है यह सब भवसागर में आते हैं। जन्मना मरना पड़ता है।

2. *कलयुग से पहले सन्त गति वाले नहीं थे।* 
1:23:28 - 1:24:45

कैसे पार होंगे भवसागर से - जब कोई खेवटिया मिलेगा, जब कोई नाव मिलेगी। ऐसा लगाने वाला और हवा अनुकूल मिलेगी तब यह पार हो पाएगा। तब आप समझो कि जीव पार हो पाएगा, भवसागर से निकल पाएगा। तो वो कौन होते हैं खेवटिया भव सागर से पार करने वाले - यह हमारे गुरु महाराज जैसे सन्त होते हैं ।यह हमेशा धरती पर रहे हैं जब से यह कलयुग आया है। इसके पहले जो थे वह सन्त गति वाले नहीं थे। 

सतलोक पहुंचने वाले नहीं थे। आप यह समझो, मान लो सुने हुए होंगे कि इसके ऊपर लोक हैं लेकिन देखें नहीं। जो वेद में लिखा हुआ है, नेति- नेति यानि इसके आगे और है लेकिन देखा नहीं उन्होंने। लेकिन जो सन्त आए इस धरती पर, उन्होंने सब लोक देखा। सतलोक देखा, अलख लोक देखा, अगम लोग देखा , अनामी लोक देखा। हमारे गुरु महाराज जैसे सन्तों ने, कलयुग में यहां जो आए वह पूरे सन्त कहलाए हैं। तो आप यह समझो कि इनको मालूम होता है कि जीवों को कैसे भवसागर पार करवाएंगे, मुक्ति दिलाएंगे तो उसका रास्ता बताते हैं।

3. *जिनको मरते समय तकलीफ होती है उनको मरने के बाद भी तकलीफ भोगनी पड़ती है।* 
1:01:36 - 1:02:29

प्रेमियों! जो मरने की अवस्था होती है, बड़ी कठिन होती है। उस समय बहुत तकलीफ होती है। और जिनको मरते समय तकलीफ होती है, उनको मरने के बाद भी तकलीफ भोगनी पड़ती है। आप यह समझो कि यह मनुष्य शरीर तो छूट जाता है और मनुष्य शरीर जैसा ही पिशाच का शरीर होता है। पिशाच के शरीर में इस जीवात्मा को बंद करके 86 हजार योजन यमपुरी है, वहां ले जाते हैं। वहां पेश होना पड़ता है, वहां सब का हिसाब होता है। कहते हैं-

 राम झरोखे बैठकर, 
सबका मुजरा लेय। 
जा की जैसी चाकरी, 
वाको वैसा देय।। 

जिसकी जैसी चाकरी( कर्म) होती है, उसको वैसा वह फल देता है।

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समय का संदेश
14.11.2024
कटनी, म. प्र.

 *1. गुरु को मनुष्य शरीर में ही मानकर के आप अंधकार में पड़ गए।* 
1:38:26 - 1:39:21

जो पुराने लोग हो वो आप समझो, गुरु को मानुष मत समझो। वो जो चीज आपको देकर के गए, नामदान जो देकर के गए, नाम जो देकर के गए उनका सुमिरन करो, ध्यान लगाने के लिए जो बता करके गए, ध्यान लगाओ। भजन करने का जो बता कर गए तरीका, उस हिसाब से भजन करो। तब आप गुरु को समझ पाओगे, और नहीं तो गुरु को मनुष्य शरीर में ही मान करके आप अंधकार में पड़ गए, अंधकार में ही पड़े रह जाओगे, इसी में डूबते उतराते रह जाओगे। कहा ना- 

"गुरु को मानुस जानते, 
ते नर कहिए अंध। 
महादु:खी संसार में, 
आगे यम के फंद।।" 

उनको संसार में भी दुख झेलना पड़ता है और यमराज के फंदे में भी लटकना पड़ता है। तो ऐसा काम अब नहीं होना चाहिए।

 *2. पांच नाम में कोई काट-छांट नहीं कर सकता।* 
1:49:50 - 1:50:43

पांच नाम ऐसा है जो भवसागर से पार करेगा, वो मैं अब आपको बताऊंगा। वो नाम जब से यह धरती बनी है, आसमान बना है, देवी देवता ये बने हैं, तब से ये बराबर चला आ रहा है। इसमें कोई काट-छांट नहीं हुआ, छोटा बड़ा यह नहीं हुआ, और यह ऐसा नाम है कि इसको कोई काट-छांट भी नहीं कर सकता। इसको कोई जला करके नहीं खत्म कर सकता है, इसको कोई सड़ा नहीं सकता है, इसको कोई एकदम से नष्ट नहीं कर सकता है यह नाम। यह ऐसा पांच नाम है। "पांच नाम का सुमिरन करे, सन्त कहें तब भव से तरे।"




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