जयगुरुदेव ✵ गुरु के वचन सम्हार ।।
मांस, शराब, नशाखोरी अपराध की जननी
बाबाजी ने नशे और मांसाहार के दुष्प्रभावों को समझाते हुए कहा कि लोग असली पूजा और असली खानपान को भूल कर नकल में मांसाहारी हो गए। मांसाहार से खून बेमेल हो जाता है, शरीर में क्रोध बढ़ जाता है। अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है शराब और मांस। तो आप इससे बचें और जनता को बचायें।
✵ शराब बंदी : दुर्घटनाओं और अपराधों में कमी का समाधान
बाबा जी ने कहा अगर भारत में शराब बंद हो जाए तो बहुत सी दुर्घटनाएं और अपराध रुक सकते हैं और इससे अनेक लोगों की जान-माल की रक्षा होगी। जनता की मेहनत ईमानदारी का काफी पैसा भी इनमें बर्बाद होने से बच जाएगा।
जो भी सरकार आए, उसका सम्मान और सहयोग किया जाना चाहिये। सरकार को चाहिए कि शराब, मांस की बिक्री पर रोक लगा दे। क्योंकि जानवरों के मांस और शराब को बेचकर कोई भी देश समृद्ध नहीं हो सकता। सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करके इस धार्मिक देश की जनता के दिल में जगह बना लेना चाहिए।
✵ बच्चों में नशे की प्रवृत्ति और चारित्रिक पतन गम्भीर चिंता का विषय।
भारत जैसे धार्मिक देश में बच्चों और युवाओं के चरित्र का पतन एक बड़ा अभिशाप बन सकता है। जहाँ सती सावित्री, अनुसुइया, पार्वती और सीता जैसी देवियां हुई, वहीं आज की बच्चियां शराब और व्यभिचार में फंस रही हैं। राम और कृष्ण जैसी अवतारी शक्तियों के इस देश में आज युवा शराब के नशे में धुत हो रहे हैं।
अगर नशेबाजी का यही हाल रहा तो कुछ समय बाद 50% नौजवानों की सारी शक्ति खत्म हो जाएगी और वे पागलों की तरह घूमेंगे। उनके अंदर से मानवता, देशभक्ति, और माता-पिता के प्रति प्रेम खत्म हो जाएगा। सोचिए जिस देश में नशाखोरी और चरित्रहीनता बढ़ेगी, वह देश कैसे तरक्की करेगा? कैसे विश्व गुरु बन पायेगा? कैसे आध्यात्मिक गुरु बन पायेगा? इस विषय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
सभी नौजवानों से अपील है कि वे संकल्प लें कि किसी भी तरह के बुद्धिनाशक नशे का सेवन नहीं करेंगे। नशे में जब आपकी बुद्धि ही काम नहीं करेगी, तो आप कुछ भी गलत काम कर बैठोगे।
सरकार से अपील- नौजवानों के हित के लिए नशा खत्म करो। जिनके हाथ में पावर है, वे उस पावर का इस्तेमाल करें। यदि नशे वाली चीजों की सप्लाई को रोका नहीं गया और नशे की फैक्ट्रियों को खत्म नहीं किया गया तो बच्चों की जवानी बर्बाद हो जाएगी। देश का विकास रुक जायेगा।
✵ कलयुग में सतयुग आने के संकेत
युग परिवर्तन का समय नजदीक है। बहुत बड़ा परिवर्तन होगा। लिंग पुराण के चालीसवें अध्याय में लिखा है, सूरसागर में लिखा है, जगन्नाथ दास की उड़िया किताब में लिखा है। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज बराबर कहते रहे कि कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा।
वर्तमान में वक्त के सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज के समक्ष लाखों लोगों ने संकल्प लिया कि "हम बाबाजी के बच्चे हैं, सतयुग लाकर ही दम लेंगे"। इतिहास गवाह है कि जब-जब युग बदला है, तब-तब बहुत जनहानि हुई है। त्रेता जाने को हुआ तब बहुत मरे, द्वापर जाने को हुआ तब बहुत मरे, अब कलयुग जाएगा तो भी विनाश अवश्यम्भावी है। लेकिन कलयुग जब जायेगा तो कलयुगी लोगों को तो ले जाएगा इसलिए बहुत मरेंगे।
अब सोचने वाली बात यह है कि सब अगर मर ही जाएँ तो सतयुग को देखेगा कौन? सतयुग लाने का मतलब क्या निकलेगा? इसके लिए आवश्यक है लोगों को सतयुग देखने के लायक बनना होगा। मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है, जो दूसरों की भलाई कर सकता है, परोपकार कर सकता है। अपने हिस्से की रोटी दूसरों को खिलाकर उसकी भूख को मिटा सकता है, प्यास को मिटा सकता है। वह समझा करके मुक्ति-मोक्ष दिला सकता है। पशु-पक्षी ये नहीं कर सकते। इसलिए परोपकार करो! अकाल मृत्यु से बचो और लोगों को भी बचाओ। शाकाहारी बनो, चरित्रवान बनो, नशामुक्त बनो और लोगों को बनाओ, ईश्वरवादी, खुदापरस्त बनो जिससे आने वाले सतयुग को अपनी आँखों से देख सको।
✵ जितना जल्दी आप मेहनत कर ले जाओगे उतना जल्दी सतयुग आ जाएगा
बाबा जयगुरुदेव जी के तीन दिवसीय जीव जीवन रक्षक भण्डारा कार्यक्रम में पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि असली परमार्थ वही है जो दूसरों के लिए किया जाए। परमार्थ और परोपकार से जीवन में संतुष्टि मिलती है। अधिक सेवा करने से सभी कर्म कट जाते हैं और किसी चीज की कमी नहीं रहती है। गुरु महाराज का प्रसाद ऐसा तीर है जो लोगों की बुराइयों को खत्म करेगा, अच्छाई लाएगा और लोगों के दिल, दिमाग, भावना को बदलेगा।
आप एक अभियान चलाइए। गुरु की दया लेकर जब सेवा करेंगे, सफलता मिलेगी तब जैसे खुश होकर हनुमान उछलते-कूदते थे, वैसे ही उछलोगे-कूदोगे। उस समय तो एक हनुमान थे, इस समय आप प्रेमियों लाखों हनुमान कार्यकर्ता हो। जितना जल्दी आप मेहनत कर लोगे, उतना ही जल्दी अच्छा समय, सतयुग आ जाएगा।
✵ सन्तमत में मन्दिर का महत्व
सन्तमत में मन्दिर और बाहरी दिखावे का कोई स्थान नहीं है, लेकिन सन्त लोगों को उबारने के लिए यह सब करते हैं। गुरु महाराज ने अपने गुरु महाराज का मन्दिर बनवाया था और कहा था कि इसमें जीवित देवता बरकत दे रहे हैं। मन्दिर पत्थर का है और फोटो दादागुरु महाराज का है, लेकिन असल में बरकत देने वाले जीवित देवता गुरु महाराज ही थे। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक मैं यहाँ हूँ, जो कुछ मिल रहा है, ले लो, बाद में तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।
प्रेमियों की इच्छा थी कि गुरु महाराज का एक चिन्ह बन जाए। जगह-जगह छोटे-छोटे आश्रमों में मन्दिर बने हुए हैं, लेकिन प्रेमियों की इच्छा पूरी करने के लिए एक बड़ा मन्दिर हरियाणा में रेवाड़ी जिला के बावल में (जयपुर से दिल्ली जाते समय) हाईवे पर दाहिने हाथ की तरफ बन रहा है।
✵ बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का निर्माणाधीन मन्दिर
देखो प्रेमियों! गुरु महाराज का मन्दिर एक महत्वपूर्ण मन्दिर होगा। एक समय ऐसा आएगा जब बहुत से लोगों को वहाँ जाने से फायदा होगा। वहाँ से कोई खाली हाथ नहीं लौटेगा। जैसे आप सतसंगों में आते हो, भाव और भक्ति के अनुसार सबको फायदा मिलता है, वैसे ही मन्दिर में जिस तरह का भाव रखकर जाओगे, उसी तरह का लाभ होगा। मन्दिर जिस काम के लिए बनाया जा रहा है, वह काम शुरू होगा, तब देखना। लेकिन वह बनाया किसलिए जा रहा है? यह तो बाद में पता चलेगा। परंतु वह एक अद्भुत और फायदेमंद स्थान बनेगा।
✵ वक्त गुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज के कुछ अनमोल वचन
➤ समरथ गुरु बंधन से मुक्त होते हैं, इसीलिए वह दूसरों को भी बंधन मुक्त कर सकते हैं।
➤ सच्चे सन्त के दर्शन, सतसंग और आशीर्वाद से नहीं बनने वाले काम भी बन जाते हैं।
➤ कई जन्मों के पुण्य जब इकठ्ठा होते हैं, तब वक्त के समर्थ सन्त के दर्शन, सतसंग और नामदान का लाभ मिलता है।
➤ सन्तों का दर्जा त्रिकालदर्शी से ऊँचा होता है। जिसको आदि अंत का पता होता है, वही सन्त होते हैं।
➤ पहले के समय में महात्माओं के मार्गदर्शन से लोगों में इतना आत्मबल, आत्मशक्ति थी कि जिस चीज की इच्छा करते, वो पूरी हो जाती थी, जो आज भी संभव है।
➤ धन, बल, पद-प्रतिष्ठा पाकर मौत और प्रभु को भूलना नहीं चाहिए।
➤ जैसे मकड़ी अपने बनाये जाल में फंसकर मर जाती है, ऐसे ही मनुष्य अपना घर बसाने के लिए धन इकट्ठा करने में ही फंसकर, अपना जीवन रूपी अनमोल समय गवां देता है।
➤ क्या आपको मालूम है? इस दुनिया संसार में कहाँ से आये हो? क्यों आये हो? और मरने के बाद कहाँ जाओगे? इसकी चिंता करो। मुक्ति-मोक्ष का उपाय करो।
➤ यह मनुष्य शरीर जीते जी प्रभु दर्शन के लिए मिला है। समरथ गुरु को खोजो, उनसे नाम लेकर के आत्मा का कल्याण कर लो।
➤ जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश ये देवता नाराज हो चुके हैं, सजा देने के लिए तैयार हैं। बचने के लिए सत्य, अहिंसा, परोपकार व सेवा धर्म को सब लोग धारण कर लो।
➤ विश्व के सभी राजनेता, मजहबी धार्मिक गुरु, तिफ्रकाबाजी, आतंकवाद, संभावित विश्व युद्ध नहीं हो, ऐसा कार्य करें। इससे इबादत भजन के लिए मिलने वाले शरीर की रक्षा होगी और बर्बाद होने वाला धन देश के विकास में लगेगा।
➤ कोई भी काम सीखकर करोगे तो कामयाबी मिलेगी और मेहनत, ईमानदारी से कमाई करोगे तो बरकत भी मिलेगी।
➤ विवाह का अटूट बंधन टूटने न पावे इसलिए क्रोध मत करना और एक को क्रोध आ जाय तो दूसरा चुप हो जाना।
➤ ध्यान दें! बच्चे और बच्चियों के चरित्र का गिरना भारत जैसे धार्मिक देश के लिए खतरनाक होगा।
➤ जिसका दूध पियो, जिसको माँ कहो, उसका मांस खाना बहुत बड़ा पाप है।
➤ अपनी माता, धरती माता, गौमाता की रक्षा कर मातृ धर्म का पालन करो। *
➤ शराब, मांस, जीव हत्या का पैसा जहां भी लगेगा वहीं विनाश करेगा। *
➤ याद रहे ! हर पशु-पक्षी व मनुष्य में मालिक की अंश जीवात्मा है। इनकी हत्या करने से कोई देवी देवता खुश नहीं हो सकते। इसलिए बलि मत चढ़ाओ।
➤ प्रारब्ध को आगे पीछे करने की पावर वक्त के समरथ सन्त सतगुरु में होती है।
➤ आप किसी के दिल को दुखाने का काम मत करो। किसी पंडित, मुल्ला, पुजारी, जाति-धर्म की निंदा मत करो। कोई राष्ट्र विरोधी, धर्म विरोधी, जाति विरोधी काम मत करो।
➤ पापी मन व पापी शरीर से की गई पूजा उपासना इबादत कभी स्वीकार नहीं होगी इसलिए जिस्म को गुनहगार मत बनाओ।
➤ मिट्टी पत्थर का मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा गिर जाए तो फिर बन सकता है लेकिन मानव मंदिर के ढहने से जान वापस नहीं आ सकती। बचो और बचाओ।
➤ हड़ताल, तोड़फोड़, आन्दोलन, धरना-प्रदर्शन, आगजनी यह किसी समस्या का हल नहीं है। इससे सदा दूर रहो।
➤ नियम कानून का पालन करो, अधिकारी, कर्मचारियों का सम्मान करो, हो सके तो उनकी मदद कर दो, उनके काम में बाधा मत डालो।
✵ चेतावनी
क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
इस दुनिया के ठाठ-बाट में, क्यों बन्दे तू भूला है।
धन, सम्पत्ति, मान, प्रतिष्ठा, पाकर क्यों तू फूला है।।
धन सम्पत्ति, माल, खजाना, यहीं पड़ा रह जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
भाई, बन्धु, मित्र, प्यारे, मरघट तक संग जायेंगे।
स्वारथ के दो आँसू देकर, लौट लौट घर आयेंगे।।
कोई न तेरे साथ चलेगा, काल तुझे ही खायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
कंचन जैसी काया तेरी, तुरन्त जलाई जायेगी।
जिस नारी से स्नेह करे तू, वो भी देख डरायेगी।।
एक मास तक याद रखेगी, फिर तू याद न आयेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
राजा, रंक, पुजारी, पण्डित, सबको एक दिन जाना है।
आंख खोलकर देख बावरे, जगत मुसाफिरखाना है।।
'जयगुरुदेव' नाम ही आखिर, तेरा साथ निभायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।
✵ प्रार्थना
यह विनती गुरुदेव हमारी ।। टेक ।।
गुरुपद स्नेह छूटे नहिं कबहूँ, भाव छुटे संसारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
नित नव प्रेम जगे तुम्हरे प्रति, रहहुँ नाम आधारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
शब्द कूप की सुरत हमारी, बनी रहे पनिहारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
शब्द अमिय रस पियई निरंतर, झूले अधर मझारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
सहसकमल दल छिन में उतरे, त्रिकुटी लेय संभारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
निरखै हंस रूप वह अपना, खोले द्वार किवारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
गुफा पार सतनाम समाये, सुख दुःख से होये न्यारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी ।।
✵ भोजन को प्रसाद बनाने की विनती
भोग धरे सतगुरु स्वामी आगे । लीन्हे व्यंजन भाव से पागे ।।
नभ मण्डल में बजा है नगारा ।
सात्विक भोजन है यह सारा ।।
काल करम को हटाओ छिन में ।
भक्ति शक्ति लाओ अब मुझ में ।।
मुझ में अभाव आवे नहीं कबहीं ।
गुरु जी भोग लगाओ अबहीं ।।
भोग धरा जयगुरुदेव स्वामी आगे ।
करो प्रसाद अमीय रस आके ।।
भोग धरे सतगुरु स्वामी आगे ।
लीन्हे व्यंजन भाव से पागे ।।
जयगुरुदेव : परिचय
वक्त के सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज का मुख्य आश्रम उज्जैन, मध्य प्रदेश में है। गुरु महाराज सतसंग व नामदान देने के लिए देश-विदेश में जाया करते हैं। बाबा उमाकान्त जी महाराज से नामदान लेकर व उनके बताए अनुसार चलने से अनेक लोगों को शारीरिक व मानसिक दुःख-तकलीफों में राहत और खोई बरकत वापस मिली है।
चौबीस घंटे में से थोड़ा समय अपनी आत्मा के उद्धार के लिए निकालकर, शिव नेत्र यानी तीसरी आँख को खोलकर इसी मनुष्य शरीर रूपी मंदिर, जिस्मानी मस्जिद या गुरुद्वारा में जीते जी प्रभु का दर्शन- दीदार एवं ऊपरी लोकों के देवी-देवताओं का साक्षात् दर्शन किया जा सकता है। आप अपने जीवन के बचे हुए समय में से थोड़ा सा समय निकाल कर, एक बार गुरुजी महाराज का दर्शन जरूर करिएगा।
✩ जयगुरुदेव
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साभार, (पुस्तक) जीव जीवन रक्षक भंडारा 2024
Jeev-jivan-rakshak-bhandara-2024
सतसंग मंच पर विराजमान स्वामी जी महाराज एवं वक़्त गुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज
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