सतगुरु के दो शब्द

जयगुरुदेव 

जब मैं गुरु की तलाश में था तो एक साधुओं के झुण्ड के साथ हो लिया। कहीं भण्डारा होना था वहीं सब जा रहे थे। मैं भी साथ चला गया। वहा पर जो महन्त जी थे उन्होने मुझसे कहा कि ले जाओ ये कढ़ाही साफ करो। मैंने कढ़ाही साफ किया। एक साधू वहां पर बैठा था। उसने मुझे चिमटा मारा। 

मैंने पूछा कि क्यों मारा? वह बोला कि ऐसे सफाई किया करो। महन्त जी ने हमको बुलाया और हमसे कहा कि तुम मेरे चेले बन जाओ। खैर चेला तो क्या बनना ? दो चार दिन वहां रहा और फिर वहां से  चल दिया। चलते चलते फिर रास्ते में एक साधू मिले। उन्होने मुझसे कहा कि देखो! कहीं अटकना नहीं, चलते रहो। तुम्हें सच्ची चीज मिलेगी। वहीं टिक जाओगे। 

ऐसा लगता था कि कोई हमें किसी से कुछ कहलवा दिया करता था और मैं अपने खोज में लगा रहा। आपने सुना नही कि होशियार हो जाओ कम्प्यूटर में बीमारी लग गई। तो बताओ जब ऐसे ऐसे यंत्रों में बीमारी लग गई तो यह शरीर तो बीमारी का घर है और आप इसको बीमारियों का घर बनाते चले जा रहे हो। इसलिए खान पान में, रहन सहन में, थोड़ा संयम बरतो। शाकाहारी रहो, नशा मत करो, अच्छे लोगों की सोहबत करो फिर साधना के मार्ग में तुम्हें सफलता मिलेगी।

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अच्छे काम का संकल्प पूरा हो जाता है अच्छे काम में लगो और लोगों को लगाते भी रहो।  


जयगुरुदेव 


BABA JAIGURUDEV JI MAHARAJ


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