*सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज का रक्षाबंधन संदेश- जीव जीवन रक्षा हो, ऐसा कोई काम न करो जिससे अकाल मृत्यु में और जीवात्मा को नरकों, चौरासी में जाना पड़े*

जयगुरुदेव

19.08.2024
प्रेस नोट 
सीकर (राजस्थान)

*सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज का रक्षाबंधन संदेश- जीव जीवन रक्षा हो, ऐसा कोई काम न करो जिससे अकाल मृत्यु में और जीवात्मा को नरकों, चौरासी में जाना पड़े*

*रक्षा सूत्र का मतलब इसे बराबर देखकर याद करते रहो की हमारे शरीर, जीवन और जीवात्मा की रक्षा कैसे होगी*

वक़्त के समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन से पधारे सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के सीकर राजस्थान में चल रहे दो दिवसीय रक्षाबन्धन सतसंग कार्यक्रम में गुरु महाराज ने रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर प्रातः कालीन सतसंग में देश-विदेश से पधारें हज़ारों भक्तों को सतसंग सुनाते हुए बताया कि जन्मते और मरते समय इंसान को बहुत तकलीफ होती है। तो इस शरीर की रक्षा कैसे होगी? जीवात्मा की रक्षा कैसे होगी की कहीं ये नरकों में न चली जाए। मनुष्य को 96 करोड़ साँसें गिनकर मिलती है। 

यदि जीव को समय रहते जानकारी नहीं हुई, अच्छे बुरे की समझ न हुई तो अंत समय में यमदूत मार-मार कर इस जीवात्मा को शरीर से बाहर निकालते है, नरकों में डाल देते है। और वहां से निकलने के बाद 84 लाख योनियों में जाना पड़ता है। उसके बाद जाकर मनुष्य जन्म मिलता है। बहुत लम्बे समय तक जीवात्मा फंसी रहती है। इसलिए ऐसा कोई काम मत करो कि फिर नरकों में जाना पड़े। 

*रक्षा सूत्र को बराबर देखते रहो कि हमारी रक्षा कैसे होगी*

देखो आपको राखी यहां भी मिलेगी। रक्षा सूत्र का मतलब क्या होता है? इसको जान लो, समझ लो तो ये समस्या आपकी सुलझ जाएगी, काम आपका हो जाएगा। यह रक्षा सूत्र, धागा क्या रक्षा करेगा। अगर तीर-तलवार हाथ में हो तो वो रक्षा भी करे। धागा का मतलब यह है कि इसको बराबर देखते रहो की ये रक्षा का सूत्र है। हाथ में कोई चीज रहती है तो जल्दी दिखती है। गले कमर आदि पर बंधा हो तो अपने को नहीं दूसरे को दिखता है। हाथ पर बंधा हो तो चलते-फिरते आदि निरंतर दिखता रहता है। तो आप इस रक्षा सूत्र को बराबर देखते रहो कि यह हमारा रक्षा सूत्र है, याद करते रहो कि हमारी रक्षा कैसे होगी, इस शरीर की, जीवात्मा की, रक्षा कैसे होगी, इसलिए ये बाँधा, बंधवा दिया जाता है, बराबर इसको देखते रहो।

*ऐसा कोई काम न करो जिसकी वजह से अकाल मृत्यु में जाना पड़े*

असली चीज को पकड़ो, जिसको लोग छोड़ रहे हैं। असली चीज यही है कि रक्षा, किसकी? जीव जीवन रक्षा। जीवात्मा की रक्षा हो और इस जीवन की रक्षा हो। ऐसा कोई काम न हो की अकाल मृत्यु में, प्रेत योनि में जाना पड़े। लाखों-करोड़ों वर्षों तक पड़े रह जाना पड़े, कोई सुनवाई न हो, परेशान रहो, इधर-उधर भटकते रहो, खाने के चक्कर में ही सब समय निकलता रहे। होशियारी से रहो, चलो। सोच-समझ कर आगे कदम बढ़ाओ जिससे अकाल मृत्यु न हो जाए। और जीवात्मा की भी रक्षा करो कि ये चौरासी, नरकों में न चली जाए। इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों के अलावा विशेष रूप से कल्याण आरोग्य सदन के ट्रस्टियों द्वारा महाराज जी से आशीर्वाद लिया गया।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ