*जिनको नामदान मिल गया है, नाम की कमाई करो और इस परदेश से निकल चलो, अभी मौसम अनुकूल है*

जयगुरुदेव

17.08.2024
प्रेस नोट
रेवाड़ी (हरियाणा) 

*वक़्त के समर्थ सन्त ही नाम जहाज को चलाने वाले होते हैं*

*जिनको नामदान मिल गया है, नाम की कमाई करो और इस परदेश से निकल चलो, अभी मौसम अनुकूल है*

कलयुग में इस समय लगे नाम जहाज के कप्तान, कर्णधार, जवानी में ही अपना आत्म कल्याण का काम कर लेने की प्रेरणा देने वाले, जिनके रूप में ही अभी प्रभु धरती पर जीवों को उबारने के लिए आये हुए हैं, ऐसे इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

सतगुरु ने तो भवसागर से पार होने का जहाज लगा दिया है। इतना बड़ा जहाज लगा दिया है कि दुनिया संसार के सभी आदमी भी उस नाम जहाज पर बैठ जाए तो भी कुछ न कुछ जगह खाली ही रहेगी। तो कहा गया- कर्णधार सतगुरु गहनावा, जहाज को खेने वाले, चलाने वाले सतगुरु हैं। आप जिनको नामदान मिल गया है, आपको जहाज पर बिठाकर पार करने वाले सतगुरु मिल गए और मौसम भी अनुकूल है। 

जैसे समुन्द्र में जहाज या गाड़ी या साइकिल चलाते समय प्रतिकूल/उलटी दिशा में हवा चले तो दिक्कत आती है। तो पार होने का समय कब तक रहता है? जब तक शरीर में ताकत रहती है। अगर ताकत न होता तो आप घर से कैसे (यहां सतसंग में) चल कर आ पाते? तो आपके पार होने का यह अनुकूल समय है। 

जब बुढ़ापा आई, हाथ-पैर ढीला हुआ तो फिर वह मौसम प्रतिकूल हो जाएगा और पार नहीं हो पाओगे। फिर इसी में डूबोगे-उतराओगे। इसलिए जो गुरु ने नाम की डोर पकड़ाई है, नामदान जो आपको मिल गया है, दे दिया गया है, उस डोर को पकड़ो, नाम की कमाई करो और निकल चलो। जोगिया! रम चलो देशवा वीराना है। वीराना देश किसको कहते हैं? जो दुसरे का देश हो। जिसके देश में आदमी रहता है, उसके मालिक के अनुसार आदमी को चलना पड़ता है, उसके नियम का पालन करना पड़ता है। यदि नियम का पालन अगर नहीं हो पाया तो सजा मिल जाती है।

*शब्द रूप में ही प्रभु का चेहरा-मोहरा-शरीर है*

महात्माओं का काम क्या होता है? जीव उबरन आए। जीवों को उबारने के लिए इस धरती पर सन्त का अवतार होता है। समझो वो प्रभु मनुष्य शरीर में ही आता है। क्योंकि वह शब्द रूप में ही सब कुछ है। चेहरा मोहरा शरीर जो भी है, शब्द रुप है। तो वह मनुष्य शरीर में आता है। और मनुष्य शरीर में ही जब आएगा तभी तो मनुष्य को समझाएगा, बताएगा। तो सन्त इसी काम के लिए आते हैं। तुमको घर पहुंचावना, एक हमारो काम। यह मिट्टी-पत्थर का घर तुम्हारा घर नहीं है। इसको छोड़ कर के बहुत से लोग चले गये। 

जमीन-जायदाद जिसको आप अपना कहते हो, यह आपका नहीं है। आपके बाप-दादा भी यही कहते-कहते चले गए। वो भी रहे, जोते, बोए, खाए और चले गए। उनसे पहले कुछ लोगों के हक में जमीन थी। इसी तरह से यह दुनिया किसी की नहीं हुई तो तुम किस लिए आये हो और क्यों इस मनुष्य शरीर में भेजे गए हो? इस बात को समझो। देव दुर्लभ शरीर क्यों कहा गया? इसलिए कि जीवात्मा इसमें जो बैठी हुई है, इस शरीर के रहते-रहते इस जीवात्मा को जगा लो। 

क्योंकि इसका मुंह इधर इंद्रियों के घाट की तरफ, खाने, पीने, सोने की तरफ हो गया। तो इधर से हटाओ और उस प्रभु की तरफ लगाओ। वो प्रभु तुमको बुला रहा है। आ रही धुन, धुर से बुलाने के लिए। वो धुरी जहां से सारा संसार दुनिया अंड पिंड ब्रह्मांड जुड़ा हुआ है, वहां वो प्रभु बैठा हुआ, आवाज लगा रहा है कि आओ मेरे पास। तो जीवों को याद दिलाने, उबारने के लिए ही सन्त इस धरती पर आते हैं। 






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