आर्थिक संपन्नता का प्रतीक शाकाहारी भोजन :
दुनिया भर में बढ़ते मांसाहार के कारण जानवर पालन बढ़ रहा है। इससे उपलब्ध पृथ्वी की भूमि पर दबाव बढ़ रहा है। डाउन टू अर्थ के अनुसार पृथ्वी की कुल कृषि योग का 70% भाग पशुपालन या इनके चारे में काम आता है। इससे दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसेस रिसाव में वृद्धि हो रही है। इस भूमि पर मनुष्य के लिए शाकाहारी भोजन उगाया जा सकता है। या पर्यावरण को सुदृढ़ करने के लिए जंगल उगाए जा सकते हैं।
अमेरिका के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के किए गए शोध के अनुसार दुनिया भर में शाकाहार को बढ़ावा देने से 66 लाख 73 हजार करोड रुपए हर साल बचेंगे। वही ग्रीनहाउस गैसेस में रिसाव मे कमी होने से 33 लाख 36 हजार करोड़ रुपए हर साल बचेंगे। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसार भोजन में शाकाहार को अपनाने से दुनिया भर में हर साल 72 लाख करोड रुपए की बचत होगी। मांसाहार छोड़ने से मोटापे में कमी आएगी जिससे स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च कम होगा। फल और सब्जी का उत्पादन से विकासशील देश भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा।
अंडा शाकाहारी नहीं
अंडे दो प्रकार के होते हैं एक वे जिनसे बच्चे निकल सकते हैं तथा दूसरे वे जिनसे बच्चे नहीं निकलते मुर्गी यदि मुर्गे के संसर्ग में न आए तो भी जवानी में अंडे दे सकती है। इन अंडों की तुलना स्त्री के रजःस्राव से की जा सकती है जिस प्रकार स्त्री के मासिक धर्म होता है उसी तरह मुर्गी के भी यह धर्म अंडों के रूप में होता है।
यह अंडा मुर्गी की आंतरिक गंदगी का परिणाम है आजकल इन्हीं अंडों को व्यावसायिक स्वार्थवश लोग अहिंसक, शाकाहारी, वैज आदि भ्रामक नामों से पुकारते हैं, किंतु ये शाकाहारी नहीं होते। ऐसे अंडों की प्राप्ति भी एक जीव के अंदर से ही होती है किसी वनस्पति से नहीं। शाकाहारी पदार्थ मिट्टी, सूर्य की किरणों व जल वायु से विभिन्न तत्व प्राप्त कर उत्पन्न होते हैं जबकि किसी भी प्रकार के अंडे ऐसे प्राप्त नहीं होते। दोनों प्रकार के अंडों की उत्पत्ति मुर्गी से ही होती है व दोनों के रसायनिक तत्व (Chemical Composition) में भी कोई भिन्नता नहीं होती। यदि कोई भेद करना ही हो तो ऐसे अंडों को अपरिपक्प (Immeture) मुर्दा (Dead) या भ्रूण (Still Born) भले ही कह लें, किंतु शाकाहारी कभी नहीं कह सकते।
विश्व इतिहास पर दृष्टि डालने से पता चलता है कि संसार के सभी प्रसिद्ध महापुरुष चिंतक, वैज्ञानिक, कलाकार, कवि, लेखक जैसे पाइथागोरस, प्लूटार्क, प्लॉटीनस, सर आईंजन न्यूटन, महान चित्रकार लिनाडों डाविंसी, डॉक्टर एनी बेसेंट अलबर्ट आइंसटाइन, रेवरेंड डॉ० वाल्टर वाल्श व जार्ज बर्नार्ड शा टॉल्स्टॉय, कवि मिल्टन, पोप, शैले, सुकरात व यूनानी दार्शनिक अरस्तु सभी शाकाहारी थे। शाकाहारी ने ही उन्हें सहिष्णुता, दयालुता, अहिंसा आदि सद्गुणों से विभूषित किया।
↪ शराब एक ऐसा नशा है जो अपनी स्त्री पराई स्त्री, अपनी लड़की पराई लड़की, अपनी मां, पराई मां को नहींपहिचानता।विषयविकारों के भूत शराबी व्यक्ति के ऊपर सवार रहते हैं
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Jaigurudev