स्वामी जी के संस्मरण

एक फकीर किसी महात्मा के पास जाया करते थे। उनकी पत्नि उनको रोकती टोकती थी पर सज्जन नहीं मानते थे। इस तरह से कुछ साल गुजर गए। जब उनकी पत्नि ने देखा कि उसके रोकने टोकने का कोई असर उन पर नहीं है तो वो एक दिन बोली कि चलो तलाक ले लिया जाय। और फिर बह कुछ लिखकर रख दिया और अपने माइके चली गई।  

एक दूसरा आदमी आया। उसने फकीर से कहा कि मेरी बेटी से शादी करलो। उन्होने उसको स्वीकार कर लिया और उस लड़की के साथ उनका निकाह हो गया। उस लड़की ने कहा कि जहां आप जाते हैं मैं भी आपके साथ चलूंगी और वो साथ रोज जाती और फकीर को रोज वहां चलने की प्रेरणा देती रहती। 

ऐसे जाते जाते एक दिन महात्मा जी ने उनको रास्ता दे दिया और वो दोनों भजन करने लगे। गुरु महाराज कहा करते थे कि गृहणी ऐसी हो हमेशा पति का साथ दे। जो अच्छे काम में साथ न दे विरोध करे उसको फौरन छोड़ देना चाहिए। अच्छी बात हमेशा सुननी चाहिए। 


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कल एक देवी आई और हमसे कहने लगी कि हमारे बड़े लड़के ने हमको मारकर निकाल दिया और छोटा लड़का कहीं भाग गया।  मैंने कहा कि परेशान क्यों होती है तुझे रोटी कपड़ा मिलेगा। जिसने मारा उससे तो बात नहीं करती छोटे लड़के के लिए रो रही है। तो मतलब ये कि तरह तरह की परेशानियां सबको हैं। लड़का है तो दुःख, बच्चा भाग गया तो दुःख। 


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एक और स्त्री आई कहने लगी कि मेरे पति ने मार मारकर शरीर में घाव कर दिया। घर घर की यही हालत है। 

गुरु महाराज कहा करते थे कि अच्छी बातें किया करो जिससे सब प्रसन्न रहें, हमेशा खराब बातों में लगे रहोगे तो क्या मिलेगा ? कलह, झगड़े-झंझट।


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एक आदमी एक साधू के पास गया और बोला कि हमको चेला बना लीजिए। साधू ने पूछा कि काम करोगे ? बोला कि हां। गुरुजी ने उसको कुल्हाड़ी दी और कहा कि जा लकड़ी काट के ले आ। पर वह बैठा रहा। रोटी बनी तो खा लिया और कोई काम नहीं करना। एक दिन गुरु जी ने उठाया चीमटा बोला कि चेला बनने आया है अभी बनाता है तुमको चेला और चिमटे से मारा। वह भागा फिर वापस लौटकर नही आया। 

जयगुरुदेव 




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