महाराज जी के सत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 54.

वक्त के पूरे समर्थ संत सतगुरु दुखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज के कुछ महत्वपूर्ण वचन

1290. गुरुमुख और मनमुख की पहचान।

1291. मन कैसे रुकेगा।

1292.  साप्ताहिक सतसंग समय से शुरू हो और समय से खत्म हो।

1293.  चमत्कार महात्मा नहीं दिखाते हैं पर चमत्कार हो जाता है।

1294. आपकी बातों का असर क्यों नहीं पड़ता है ?


1295. सेवाभाव, सहयोग भाव होना चाहिए।

1296. सतसंग वचनों को अमल करने पर ही कुछ फायदा दिखेगा।

1297.  मुक्ति-मोक्ष गंगा में स्नान करने से नहीं होता है।

1298.  इसी मनुष्य शरीर में खुदा का नूर है मगर देखा वही जो मुर्शीद पूर है।

1299. शरीर छूटने के बाद क्या नहीं मिलेगा और क्या मिलेगा ?

1300. आपकी तकलीफ को सुन-सुन करके हम तो ऊब गए।


1301. कुछ तो दया गुरु की करती है काम, कुछ अपने को भी करना पड़ता है।

1302. सन्तों, साधकों, भक्तों की होली दीवाली रोज की होती है।

1303. इसी जीवन में पार होना है यह आपके ऊपर निर्भर करता है।

1304. गुरु महाराज बोलकर, लगाकर जिस नाव (जहाज)को गए हैं उसमें जो बैठ जाएगा पार हो जाएगा।

1305. ज्यादा लोभ-लालच करने वाले ठग जाते हैं।


1306. सन्तों का हृदय कोमल होता है।

1307. सतसंग सुनने से हर तरह की जानकारी होती है।

1308. कुछ न कुछ भक्ति करते रहोगे तो दीनबंधु एक न एक दिन दया कर ही देगा।

1309. कान फूंकने वाले, कंठी बांधने वाले, छाप लगाने वाले गुरु से कोई काम बनने वाला नहीं है।

1310. भारत देश के बच्चे और बच्चियों के चरित्र का गिरना एक बहुत बड़ा अभिशाप बन जाएगा।


1311. मन पर काबू पाना बड़ा कठिन होता है।

1312. कान फूंकने वाले, कंठी बांधने वाले, छाप लगाने वाले गुरु से कोई काम बनने वाला नहीं है।

1313. भारत देश के बच्चे और बच्चियों के चरित्र का गिरना एक बहुत बड़ा अभिशाप बन जाएगा।

1314. मन पर काबू पाना बड़ा कठिन होता है।

1315. अगर लोगों को तीसरे दिन बाद भोजन मिलेगा तो आपको दूसरे दिन मिलेगा।


1316. साध संग मोहि देव नित परम् गुरु दातार।

1317. सन्त और सन्तमत हमेशा रहा है।

1318. हमेशा विरोध हुआ है भक्तों का।

1319. सतगुरु जाने से पहले अपने जीवों का चार्ज, अधिकार देने वाले को देकर जाते हैं।

1320. धरती की ये व्यवस्था है कि परोपकारी कहीं भी रहते हैं सुखी रहते हैं।


1321. कर्मों को लोग खत्म नहीं कर पाए।

1322. नदी में स्नान करने से क्या होता है ?

1323. जब ऊपरी लोकों में जीवात्मा रहती है तब खाना-पीना और टट्टी-पेशाब महसूस ही नहीं होता है।

1324. जब सच्चे समर्थ गुरु मिल जाते हैं तब गुरु के आदेश का पालन किया जाता है।

1325. जीवात्मा शब्द को कब पकड़ पाती है ?


1326. असली समर्थ गुरु की भक्ति जब आ जाती है तब शब्द के खिंचने में दिक्कत नहीं होती है।

1327. अच्छे-बुरे दोनों कर्म खत्म होते हैं तब जीवात्मा अपने घर पहुंच पाती है।

1328. कनफूंका गुरु सुरत को शब्द से नहीं जोड़ पाते हैं।कंज गुरु ही सुरत को शब्द से जोड़ते हैं।

1329. असली समर्थ गुरु मिल जाने पर अपना सारा ध्यान उनके चरणों में लगा देना चाहिए।

1330. महात्मा राज्य करते नहीं बल्कि राज्य कराते हैं।

1331. समर्थ गुरु बराबर मदद कब करते रहते हैं ?

साभार:


साधना टीवी चैनल
1042- विश्व विख्यात परम संत बाबा जय गुरुदेव जी महाराज की कुछ जीवन स्मृतियां भाग 1


साधना टीवी एपिसोड
1043- बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के जीवन की कुछ स्मृतियां भाग दो

साधना टीवी चैनल
एपिसोड 1044- होली का मतलब


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TV Episode - 1045 | क्या आने पर सब चला जाता है ?

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TV Episode 1055 - ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की उत्पत्ति कैसे हुई और उनके कार्य क्या हैं ?



🙏जयगुरुदेव 🙏

*सेवा से जी नहीं चुराना चाहिए।*
*01.01.2023 को परम संत बाबा उमाकान्त जी महाराज द्वारा फरमाए गए सतसंग वचन -*

- सेवक हमेशा हाथ जोड़े खड़ा रहता है कि सेवा का अवसर मिले।
- सेवा से जी नहीं चुराना चाहिए।
- आपको नहीं मालूम है कि मालिक सेवा मिलने की दया आप पर कर रहे हैं।
- दया लेने का तरीका होता है। दया लेने का घाट यही है - सेवा और भजन ।

Sant umakant ji maharaj, ujjain


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