महाराज जी के सत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 50.

1158. समर्थ गुरु का दया देने का माध्यम।

1159. साधना में जिस चीज की इच्छा करो वह चीज दिखाई पड़ती है।

1160. मनमुख को जल्दी मुक्ति - मोक्ष नहीं मिलता है।

1161.नरकों की मार, पीड़ा, तकलीफ से बचने का उपाय.…

1162. मन नियंत्रण (कंट्रोल) में कैसे रहता है।

1163. प्रेमियो! अच्छा बनो, अच्छा समाज बनाओ।

1164. पहले के समय में औरतें पति के पैरों को पूजकर मुक्ति पा लेती थी।

1165. तड़प जगाने,याद दिलाने,इच्छा पैदा करने के लिए सतसंग सुनाया जाता है।

1163. जयगुरुदेव नाम बोलकर गलत काम मत करना।

1164.शिव जी किस नशे में रहते हैं।

1165. सबके सिरजनहार की याद कब आती है?

1166.धार्मिक भावना है पर धर्म को नहीं समझ पाते हैं।

1167. धार्मिक लोगों को इस समय पर धर्म समझने की जरूरत है।

1168. ध्यान,भजन मन को रोककर, लगातार करोगे तो अन्तर में दिखाई-सुनाई पड़ेगा।

1169. भगवान के दर्शन और ब्रह्म में विचरण के हकदार कब हो जाओगे ?

1170.देवता हमेशा देते हैं, लेते नहीं।

1171. समर्थ सतगुरु पापों की गठरी को लेकर अपनी ज्ञान अग्नि से जलाया करते हैं।

1172. जो तेरे गुरु ने कहा वोही सत्य है।

1173. पैसा देने के बजाय रोटी खिला दो, पानी पिला दो।
https://www.youtube.com/clip/Ugkx3UEadL13XP1Tf8NRWo5z-jf-bVKNHgah

1174. धन से कैसे पाप होता है ?
https://www.youtube.com/clip/UgkxbfQ87n74McG0lmUvnCpMAqdUPlWBBANA

1175. आगजनी, हड़ताल, तोड़फोड़ से कोई काम बनने वाला नहीं है।

1176. पैसा देने के बजाय रोटी खिला दो, पानी पिला दो।


1177.पाठ-पूजा करने के बाद भी फायदा क्यों नहीं हो रहा है ?

1178.समर्थ गुरु बाधाओं को हटा देते हैं।

1179.परलोक बनना कैसे शुरू होता है ?

1180.अंतर के घाट पर गुरु की दया लेना सीख जाओ तो कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। 

1181. कुछ लोग साधक बन करके दूसरों की साधना की बातें पूछ लेते हैं तो नुकसान हो जाता है।


साधना टीवी चैनल पर परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज का सतसंग कार्यक्रम प्रतिदिन सुबह 8:40 बजे से 9:15 बजे तक आता है।

ये एपिसोड अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम की प्लेलिस्ट "टीवी एपिसोड" पर भी उपलब्ध है :-

मांस मनुष्य का भोजन नहीं है (04.02.2024)

रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा

समरथ गुरु को हाथ पकड़ा देने से जीव की सम्हाल हो जाती है |

राजा जनक ने अपना तन-मन-धन गुरु अष्टावक्र को अर्पण कर प्रभु दर्शन किया।

साभार:

आध्यात्मिक संदेश


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ