♛ आने वाले संकट से पहले ही आगाह कर बचाने का उपाय बताने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समस्य सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज का समाज के हर वर्ग के लिए सन्देश-
✧ देशभक्त बनें
↳ देश भक्ति छोटी-मोटी भक्ति नहीं होती। याद करो देश भक्ति में भगत सिंह, चंद्रशेखर, अशफाक उल्ला खा. सुखदेव, राजेंद्र लाहिड़ी जैसे वीरों ने कुर्बानी दे दी। स्वार्थपरता में पढ़कर जिस धरती पर पैदा हुए माटी में पलकर बड़े हुए, बुद्धि आई विवेक आया, रोटी मिली ऐसे देश को संपत्ति को अपना समझकर हडताल, तोड़फोड़, आंदोलन, आगजनी हरगिज मत करना।
क्योंकि इसके नुकसान से देश का विकास तो रुकता ही है और नुकसान का खामियाजा अपने को ही भोगना पड़ता है। सब लोग नियम-कानून का पालन करें। पालन कराने वाले अधिकारियों कर्मचारियों का सहयोग व सम्मान करो और हमेशा देश की आन-बान-शान बनाए रखो भारत विश्व का सिरमौर बने इस पर विचार-विमर्श करते रहो।
✧ व्यापारी
↳ अपने भाग्य (प्रारब्ध) पर भरोसा रखो हमेशा जायज मुनाफा लो और उस मुनाफे का उपयोग परिवार की परवरिश अच्छे ढंग से साधन-सुविधा से करने के साथ ही साथ कुछ अंश गरीब गुरबों के भोजन, वस्त्र व औषधि में भी खर्च कर दिया करो, इससे बरकत बढ़ जाएगी। मिलावट न करो । मिलावट से कमाया हुआ धन आप अस्पताल में दे आओगे, मुकदमों में फस जाओगे। दवा भी मिलावटी खाने को मिलेगी फिर खूब दवा खाओगे आराम नहीं आएगा। जिस नाम को बढ़ाने के लिए मिलावट की वह नाम भी खत्म हो जाएगा।
✧ अधिकारी/कर्मचारी
↳ जनता को अपना बच्चा मानकर सेवा (सर्विस) करें। ऐसा भाव रखें जैसे पिता अपने बच्चों का पालन पोषण, शिक्षा दीक्षा व उनके उत्तम भविष्य के लिए करता है। रिश्वतखारी से हमेशा बचें । दिल दुखाकर लाया हुआ धन फलदाई नहीं होता है। गृहस्थ जीवन में गृह कलह रोग, मुकदमेबाजी, चारित्रिक पतन, दहेज़ व तलाक खून कतल जैसे मुक़दमे में खर्च हो जाता है.
ये गलत तरीके से लाया धन जहाँ भी लगता है नाश करता है। सेवाकाल के मिले कार्य को यथा सम्भव तुरंत निपटा दिया करे। आप लोग अपनेप्रारब्ध , भाग्य, बाहुबल और प्रभु पर पूरा विश्वास करो अपना दिल दिमाग लगा करके अपने विभाग को आगे बढाओ।
✧ शिक्षक गण
↳ जिस तरह से पिता अपने बच्चे के अंदर उच्च भावना उच्च विचार भरने उच्च स्थान पाने का प्रयास करते हैं ऐसे ही शिक्षणों का कुछ समय के लिए विद्याध्यन के लिए माता-पिता के द्वारा सौंपे गए बच्चे बच्चियों के लिए प्रयास होना चाहिए न कि शारीरिक सुख सुविधा के लिए धन कमाने के लिये। गुरु का स्थान सर्वोपरि रहा है, इसलिए मर्यादा बनाए रखना जरूरी है। विद्यालय के बच्चे हैं तो दूसरों के लेकिन उनको अपना बच्चा समझकर पढ़ाना चाहिए।
✧ विद्यार्थी
↳ बुरी सोहबत से बचें। किसी के कहने या देखा-देखी में नशे का सेवन तथा देशद्रोही काम कभी भी नहीं करे, शाकाहारी और चरित्रवान रहें, माता-पिता की सेवा करें, गुरुजन व बूढ़े -बुजुर्गों का सम्मान करें. मेहनत से पढ़ाई करें ऊंचे विचार और ऊंची सोच रखें। तरक्की करने के लिए हमेशा अपने बड़ों के मेहनत तथा उनके चरित्र का अनुकरण करें।
हड़ताल तोडफोड, धरना, घेराव से किसी भी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है. इसे भूलकर भी न करें। इसके नुकसान का खामियाजा अपने को ही भोगना पड़ता है इसलिए किसी के भी उकसावे में आकर ऐसा काम कभी भी नहीं करें। हिम्मत रखें कभी भी निराश न हों, कम खाना कम बोलना कम सोना, बर्दाश्त करना सदैव लाभकारी तो रहता ही हैविकास का भी पथ प्रशस्त करता है।
माता-पिता बच्चों को शुरू से ही शिक्षा के साथ औद्योगिक शिक्षा भी सिखायें व्यापार में कामयाबी तब मिली जब जानकारी रहती है। सीखकर व्यापार करेंगे कारखाना लगायेंगे तो कामयाब हो जायेंगे। काम मिल जाने पर बच्चे नौकरी के लिए नहीं भटकेंगे अपना व्यवसाय कर लेंगे । पहली दूसरी तीसरी, पाचवी दर्जा से ही बच्चों को हुनर सिखाने को व्यवस्था बना दी जाए तो विदेशियों को बुलाकर व्यापार व कारखाने लगाने आदि की जरूरत नहीं पड़ेगी सरकार प्रयास तो कर रही लेकिन थोड़ा और करे तो सोने में सुगंध जैसा हो जाएगा।
✧ किसान
↳ सर्वविदित है कि एक मजदूर से लेकर सेठ साहूकार, चपरासी से लेकर के राष्ट्रपति तक को रोटी खिलाने वाले दिन-रात पसीना बहाकर के खेतों में काम करने वाले काश्त कारों के महनत के हिसाब से पैदा किए हुए अन्न की कीमत लागत के मुकाबले बहुत कम मिल पाती है, जरूरत पूरा ना होने पर कर्ज के बोझ से दबना पड़ता है।
रोटी रोजी न्याय, सुरक्षा भरपूर ना मिल पाने की वजह से जीवन से ऊब कर आत्महत्या जैसा अज्ञानी कदम उठा ले रहे। परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि इसके लिए हमको हार्दिक कष्ट है और बराबर आपकी सुख सुविधा और शांति के लिए इस समय पर देश की व्यवस्था की बागडोर जिनके हाथों में है उनसे तो कहता ही रहता हूँ साथ ही साथ ख़ुदा भगवान से भी प्रार्थना करता रहता हूँ. इसलिए भूमिजोतक काश्तकारो आप कभी भी आत्महत्या मत करना।
यह मेरी बात मान लो और अपने खर्च पर अंकुश रखना, जुआ, शराब तथा व्यभिचार जैसे बुरे व्यसन से बचना, मालिक पर भरोसा रखना और परिस्थितियों का मुकाबला शांतिपूर्ण ढंग से कर लेना, कुछ समय में व्यवस्था सही हो जाने पर सब ठीक हो जाएगा। हमें मालूम है कि आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है लेकिन आगे दवाओं की कमी पड़ेगी तो जिनसे दवाएँ बनती है ऐसी जरूरत वाली चीजों पर ध्यान दो जैसे अदरक हल्दी घृतकुमारी तुलसी आदि इनकी खेती करो. धान, गेहूं की खेती में जो कम मुनाफा हुआ पूरा पड़ जाएगा जिस क्षेत्र में जो चीज ज्यादा हो सकती है उसे करो। सरकार से प्रार्थना है कि जड़ी-बूटियों, गोमूत्र गाय के गोबर आदि का. इन दवाओं का लोगो को सिखवाकर उत्पादन शुरू कराएं तो अच्छा रहेगा।
✧ मजदूर
↳ मजदूरों! दिन रात धूप-छांव भीषण गर्मी ठंडी, बरसात न देखते हुए आश्रित परिवार व स्वयं के पापी पेट के लिए आप घर-घर खेत-खेत जा करके मजदूरी मेहनत करते हो, आप इस चीज का ध्यान रखना कि आप लोग ईमानदारी से काम करना, आपके घर में मेहनत का ही पैसा आवे जिससे बरकत मिले, बच्चे तरक्की करें घर में धनलक्ष्मी की कमी न होने पाये।
जिसके यहाँ भी काम करो अपने काम के द्वारा उनके दिल को जीत लो, उनकी उम्मीद से भी ज्यादा अपने तन से सेवा करके हक और हलाल का पैसा लाओ। मांस, मछली अण्डा और नशीली चीजों से दूर रहना और शराब तो भूलकर भी मत पीना, बात मान लेने पर आपके साथ उस मालिक की दया जुड़ जाएगी।
राजनेता
↳ राजनेताओं कुर्सी जाने में देर नहीं लगती है. सजग रहो । चाहे पक्ष के हो या विपक्ष के हो जनता विश्वास करके उम्मीद के साथ आपको प्रतिष्ठित स्थान पर भेजती है इसलिए जिस पद का आप शपथ लो, मेहनत इमानदारी से सेवा भाव रखकर उसको पूरा करो. यह बात सत्य है कि यदि भारतीय संस्कृति आ गई तो पूरे विश्व को हरा-भरा बना देगी। अच्छी बातों को ही बताओ। अंग्रेज और मुसलमान शासकों में भी अच्छे और बुरे रहे हैं। अच्छों का नाम है, बुरों का कोई नाम लेवा नहीं। पॉजिटिव बोलो। अपशब्दों का प्रयोग मत करो क्योंकि बुरा लगने वाला शब्द खून बहा देता है।
✧ धर्मगुरु, पंडित, मुल्ला, पुजारी, मठाधीश, महंत
↳ आप सबसे यह कहना है कि इस समय कलयुग में जड़ माया (धन-दौलत), चेतन माया (स्त्रियों) का बड़ा जोर है. गृहस्थ का अन्न खाने, उनका दान दिया हुआ धन उपयोग करने, दाताओं की भलाई के लिए सेवा-भजन न करने व कराने से दोनों का जोर तेज हो जाता है, कारागार व नर्क का दरवाजा खुल जाता है. इसलिए आप बुराइयों से बचने के लिए मौत और समरथ गुरु के वचन को हमेशा याद रखो।
जो स्थान आपको मिला है उसकी गरिमा को बनाए रखो। गृहस्थ का खाया हुआ नमक अदा करो उनके बीच जा करके उनका खान-पान चाल-चलन, विचार व्यवहार सही रखने का ईश्वरवादी खुदा परस्त बनने का पाठ पढ़ाओ और इस मानव शरीर से सच्ची पूजा इबादत कर के अंतर में जो देवी देवताओं का दर्शन ख़ुदा का दीदार होता है उसको करो और लोगों को कराओ। और अगर आपको तरीका नहीं मालूम है तो किसी जानकार के पास उनको जाने की प्रेरणा दो। याद रहे धृतराष्ट्र को 106 जन्म पीछे के बुरे कर्म के कारण अँधा होना पड़ा था। चूक जाने पर आप को भी कहीं कर्मों की सजा न मिल जाए।
जयगुरुदेव
साभार, (पुस्तक) स्मारिका सन 2012 से सन 2022 तक
smarika 2012 to 2022
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