*स्वार्थी कभी भी बड़ी चीज नहीं पा सकता है*

जयगुरुदेव

02.08.2023
प्रेस नोट
भिखारीपुर (उत्तर प्रदेश )


*बच्चों को नाम दान न दिला कर बहुत भारी गलती करते हो -सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*हुनर वाला आदमी कभी भूखा नहीं मरता है*

*स्वार्थी कभी भी बड़ी चीज नहीं पा सकता है*

सृष्टि की उत्पति से लेकर अंत तक सब भेज जानने और बताने वाले, दुःख का कारण बताने वाले, युवाओं के सर्वंगीण विकास का समाधान बताने वाले, परोपकार में लगने और स्वार्थ छोड़ने की शिक्षा देने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 11 अप्रैल 2023 प्रातः भिखारीपुर (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

काल भगवान जिनको लोगों ने गॉड, ईश्वर, खुदा कहा, उनको दुनिया, सृष्टि बनाने का मसाला मिला, उन्होंने यहां का नियम बनवाया। अच्छा कर्म, बुरा कर्म की जानकारी करवाई कि बुरा करोगे तो बुरे की सजा मिलेगी, नरकों में जाना पड़ेगा, चौरासी (लाख योनियों) में कीड़ा, मकोडा, सांप, बिच्छू आदि के शरीर में बंद होना पड़ेगा। अच्छा कर्म करोगे स्वर्ग बैकुण्ठ जाओगे। उससे भी ऊपर के लोकों में जा सकते हैं। ऐसा उन्होंने नियम बनाया। तो यह नियम इनके एक स्थान ऊपर, जिसको ब्रह्मस्थान कहा गया, वहां से ब्रह्मा को आवाज सुनाई पड़ी। काल भगवान के तीन पुत्र हैं- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। फिर उन्होंने ब्रह्मा को आदेश दिया कि ऋषि, मुनि जो इस वक्त पर ध्यान लगाए हुए तपस्या कर रहे हैं, उनको सुना दो और उनसे कह दो कि आम लोगों को, जनता को बता दें कि यह अच्छा और यह बुरा है। उसका ज्ञान करा दें। अब वो लोग ज्ञान कराने लगे। 

उस समय न तो प्रिंटिंग प्रेस थी, न यह किताबें थी। उस समय पर पेड़ की छाल के ऊपर पेड़ से निकले हुआ रंगीन पानी से लिखते थे जिसको भोजपत्र कहा गया। उसी पर लिख दिया। और जो लिख दिया, वही वेद बन गया। और वह जो आवाज उतरी थी, उसी को लोग वेद वाणी (आकाशवाणी) कहते हैं। आज भी वह वेदवाणी, आकाशवाणी हो रही है। उस समय पर जब लोग उस आकाशवाणी को सुनने की कोशिश करते थे तब उनको वह सुनाई पड़ता था। पढ़ने, सुनने की भी जरूरत नहीं थी, वह तो अपने घरों में ही नियम-कानून को सुन लिया करते थे क्योंकि उनके अंदर के कान, जो जीवात्मा में है, वह खुला रहता था। आवाज सुनकर भी उसी तरह से संयम-नियम का पालन करते थे। लेकिन युग बदला, त्रेता आया, द्वापर आया और इस समय पर यह कलयुग आ गया। इस समय पर यह सब बदलता चला गया। 

आवाज तो विरले को ही सुनाई पड़ती है। बाकी ऊपर की आवाजें सुनाई नहीं पड़ती है। और वह जो जो पेड़ की छाल पर लिखा गया था वह भी मिट गया। उसी को लोग लिखते, अपने-अपने मन से उसका अर्थ बनाते, लगाते चले गए। इसलिए असली चीज छूट गई और बनावटी चीजों, देखा-देखी में लोग फंस गए। जो फायदा उससे होने का था, वह नहीं हो पा रहा है। खान-पान, चाल-चलन लोगों का बदल गया। सत्य, परोपकार, सेवा रूपी धर्म का ह्रास हो गया। ऐसे समय पर कर्म ख़राब होने से लोग दुखी हो गए।

*हुनर वाला आदमी कभी भूखा नहीं मरता है*

महाराज जी ने 9 फरवरी 2020 सांय बावल रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि हुनर वाला आदमी कभी भूखा नहीं मरता है। अगर बच्चों को पढ़ाई में हुनर सिखाया जाने लगे तो कोई भी बच्चा कागज का टुकड़ा लेकर ही नहीं रह जाएगा। हुनरमंद हो जाएगा और कहीं भी रहेगा अपना कमायेगा, खाएगा। उसको पूछने वाले बहुत ग्राहक रहेंगे। तो इस तरह की व्यवस्था के बारे में आप लोग सोचो। ऐसी कुछ योजना बनाओ कि गुरु महाराज का नाम पूरे देश-दुनिया में फैले।

*बच्चों को नाम दान न दिला बहुत भारी गलती करते हो*

महाराज जी ने 11 अप्रैल 2023 प्रातः भिखारीपुर (उत्तर प्रदेश ) में बताया कि बहुत से लोग तो घर के बच्चों को, परिवार वालों को नामदान नहीं दिलाते हैं, बहुत भारी गलती करते हैं। उनको पूरे परिवार को जोड़ना चाहिए। और मान लो जोड़ भी लेते हैं तो वह परोपकार नहीं माना जाता है। दूसरे को समझाना, दूसरे को रास्ता बताना, भटके हुए को रास्ता बताना, उसको सुख-शांति दिलाना, उसकी आत्मा का कल्याण करना जिससे आपका कोई स्वार्थ न हो, वह परमार्थ और परोपकार है। सब मिला करके आप समझो कि आप प्रचार-प्रसार करो। अपने सन्तमत का, गुरु के मिशन को पूरा करने काम करो। इस काम में आप लोग लगो।

*स्वार्थी कभी भी बड़ी चीज नहीं पा सकता है*

स्वार्थी तो छोटी चीजों के लिए ही दौड़ता, उसी में अकल लगाता रहेगा, छोटी ही चीज पाने की इच्छा रखेगा। और जब वह (इच्छा) पूरी हो जाएगी तब दूसरी तरफ उसका मन चला जाएगा। जैसे धन हो गया तो व्यापार कर लो। आदमी साथी अपने बन गए तो इलेक्शन लड़ करके कुर्सी पर बैठ जाओ, जीत जाओ। उधर दुनिया की तरफ मन चला जाता है।






taklifo me aram dilane wale baba umakantji maharaj

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