जयगुरुदेव
28.08.2023
प्रेस नोट
शाहजहांपुर (उ.प्र.)
*गुरु हमेशा आपके फायदे की बात बताते हैं -सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज*
*गुरु का दर्शन अंदर होने पर फोटो की जरूरत नहीं रहती है उसका विषय अलग हो जाता है*
निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जिन्होंने केवल गुरु भक्ति यानी गुरु के आदेश के पालन को ही अपना लक्ष्य बनाया और गुरु दया से प्राप्त भी किया, हमेशा फायदे की बात बताने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 12 अप्रैल 2023 प्रातः कुंडा (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
जो यह इच्छा लेकर के जाते हैं कि गुरु का दर्जा, गुरु का काम, गुरु का दाम हमको मिल जाए, वो पीछे रह जाते हैं। और जो इस काम के लिए जाते हैं कि लाभ और मान क्यों चाहे? पड़ेगा फिर तुझे देना। जो यह कहते हैं कि हम कुछ नहीं चाहते हैं, हमको तो बस आपकी भक्ति, गुलामी, आदेश का पालन करके जीवात्मा का कल्याण कर लेना है। तो समझो गुलाम की अपनी कोई ख्वाहिश (इच्छा) नहीं रहती है। गुलाम को जो उसका मालिक खिलाता, पिलाता, पहनाता, करवाता है, वैसा ही गुलाम खाता, पीता, पहनता, करता है। तो उस पर मालिक की विशेष दया हो जाती है। जो हर चीज की डिमांड ( मांग) करते हैं, उनको जल्दी आदमी कोई चीज नहीं देता है। और अगर वह हाथ जोड़ दिया कि आपकी इच्छा के ऊपर है, आप जैसा चाहो, आप पानी पिला दो, रोटी खिला दो, उसके अंदर देखो दूसरे के प्रति प्रेम भाव पैदा हो जाता है।
*गुरु हमेशा आपके फायदे की बात बताते हैं*
महाराज जी ने 16 अप्रैल 2023 प्रातः श्रावस्ती (उ.प्र.) में बताया कि आपको यह नहीं पता है कि आगे खाई, कुआं है या क्या है। अगर कोई रोक दे तो सोचना चाहिए। यह जो बता रहा है, इसमें गुरु की शक्ति बता रही है कि भाई संभल कर जाना नहीं तो कुएं में गिर जाओगे। पत्थर, पहाड़ पड़ा हुआ है, रास्ता बंद है, सोच विचार लेना चाहिए, रुक जाना चाहिए। जब आपसे कहा जाता है कि भजन पर बैठ जाओ तो बैठ जाना चाहिए। फिर यह नहीं कि आंख खोलकर देखते रहो। इससे आपको क्या मिलेगा? जब कोई चीज मिलने, बंटने लगती है तब तो आप मौजूद नहीं रहते हो, लेते नहीं हो। एक अंधा आदमी जेल में (कैद) था। काफी दिन हो गया, काम उसका अच्छा था।
तो यह हुआ कि दरवाजा है, तू अगर दरवाजे को खोज ले तो बाहर निकल जा। तू दीवार के किनारे-किनारे चला जा और दरवाजा जब मिल जाए तो तू बाहर निकल जाना। अब वो दीवार के किनारे-किनारे टटौलता हुआ जाए और जैसे ही गेट के पास पहुंचे तब उसके सिर में खुजली होने लग गई। और लगा खुजलाने, दरवाजा छूट जाए और वो आगे बढ़ जाए। गेट के अंदर हाथ न जाए और ऐसे चक्कर काटता रह जाय। जब गेट के पास पहुंचे तो बस सिर में खुजली हो जाए। खुजली हो जाती है। बाबा (भजन में) बिठाए हैं तो बाबा उतर के कहां गए? क्या बता रहे हैं? कौन क्या कर रहा है? यह सब क्या है? खुजली है। जब सिर में खुजली हो जाएगी तो बाहर निकल पाओगे? फिर से जेल। तब तो मनुष्य शरीर रूपी इस काल कोठरी में यह जीवात्मा बंद रहेगी।
इसीलिए जो भी बात कोई कहे, हम आपके गुरु नहीं है, जो पुराने सतसंगी हो। लेकिन गुरु महाराज मान्यता दे गए, कह करके गए तो आपको सोचना चाहिए कि भाई यह कुछ बात बताएंगे, बोलेंगे, हमारे फायदे की ही बोलेंगे। क्योंकि गुरु महाराज इनको कह कर के गए थे, संभाल करने की। तो आपको बैठना चाहिए कि नहीं बैठना चाहिए? और यहाँ नहीं बैठ पाओगे तो घर पर क्या बैठोगे? करोगे नहीं तो आपको क्या मिलेगा? कहने से नहीं होता है, करने से होता है। करता है आदमी तो ज्यादा मिल जाता है।
*बोध नहीं कराते हैं कि ये तुमको करना है*
महाराज जी ने 23 नवंबर 2022 प्रातः पतराजपुर (उ.प्र.) में बताया कि समर्थ गुरु होते हैं, उनके अंदर आध्यात्मिक ताकत आती है तब वह इस काम को कर पाते हैं। हमेशा इस धरती पर रहे। जब जाने को हुआ तब दूसरे को बता कर के गए कि अब (हमारे बाद) यह काम करेंगे। पहले से ही उनको सिखाते, बताते रहते हैं, बोध नहीं कराते हैं कि यह (काम आगे) तुमको करना है। लेकिन जो वह बताते जाते हैं, यह जो करते जाते हैं तो उनकी आत्मा में इतनी ताकत आ जाती है कि जो प्रभु में ताकत होती है। यही जीवात्मा प्रभु में जब पहुंच जाती है, ताकत उसमें आ जाती है। कैसे? यह भी बता दें। आग के करीब आप आगे बढ़ते चले जाओ तो बदन गर्म होता चला जायेगा। बर्फ के ऊपर आप हाथ रख दो तो हाथ बिल्कुल ठंडा हो जाएगा। तो वह ताकत (उनमें, उत्तराधिकारी में) आ जाती है। फिर वह काम शुरू कर देते हैं। जाने से पहले गुरु बता करके जाते हैं कि अब ये इस काम को देखेंगे। कभी-कभी इशारा भी करते हैं। फिर लोग उनकी पहचान कर लेते हैं।
*गुरु का दर्शन अंदर होने पर फोटो की जरूरत नहीं रहती है, उसका विषय अलग हो जाता है*
महाराज जी 23 अप्रैल 2023 प्रातः बुराड़ी (नई दिल्ली) में बताया कि गुरु का दर्शन अंतर में होने लगता है तब फोटो-वोटो की, किसी भी चीज की कोई जरूरत नहीं रहती है। तब तो फिर दूसरा पाठ, दुसरा विषय शुरू हो जाता है। जैसे कोई बच्चा किताब कॉपी लेकर के पढ़ने जाता है। वही जब अफसर हो जाता है तब वो केवल सुनता, बोलता है, उसके बगल में रहने वाले मुंशी पीए लिखा-पढ़ी करते हैं। उसका दर्जा अलग हो जाता है। ऐसे ही गुरु की पढ़ाई में जब उधर चला जाता है, जब गुरु पढ़ा देते हैं तब कोई जरूरत नहीं रहती है।
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samrath sant satguru baba umakantji maharaj |
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