जयगुरुदेव
21.09.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
*प्रभु सन्त को आदेश देकर भेजते कि लोगों को समझाओ, खान-पान शुद्ध करो, बरकत पाने का तरीका बताओ*
*आदमी कितना भी प्रयास करता रहे, गुरु की दया के बगैर कुछ नहीं होता है*
निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, अपने जाने के बाद की व्यवस्था पहले ही तैयार कर देने वाले, अब तो चार की बजाय एक ही जन्म में जीवों को पार करने, मुक्ति मोक्ष दिलाने वाले, अपनी दया देकर भक्तों के सब काम बनाने वाले, संकट से बाहर निकालने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 6 जनवरी 2023 दोपहर सूरत (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
जब लोग परेशान हो जाते हैं तब वह प्रभु ऐसे सन्तों को आदेश देकर के भेजता है कि अब जाओ लोगों को समझाओ, बताओ, इनका खान-पान, चाल-चलन सही करो, इनको प्रभु की याद कराओ। इनको जो बरकत नहीं हो रही है उसको बताओ कि मेहनत ईमानदार की कमाई करोगे तो उसमें तुम्हारी बचत होगी। लूट कर, मार कर, काट कर के लाओगे तो बरकत नहीं होगी। बहुत कमाओगे लेकिन (बचत) रहेगा नहीं, हाय-हत्या लगी रहेगी। खान-पान को सही करो नहीं तो कितना भी पूजा-पाठ, यज्ञ जप तप करेंगे लेकिन वो कबूल नहीं होगा। आजकल देखो कितना पूजा-पाठ लोग कर रहे हैं लेकिन कबूल नहीं हो रहा। पहले- जो इच्छा किन्हीं मनमानी, हरि प्रताप कछु दुर्लभ नाही।
*अभी हमारी जाने की कोई इच्छा नहीं है, अभी तो हमको काम करना है*
महाराज जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि (अभी) शरीर तो कमजोर है लेकिन दिल दिमाग बुद्धि कमजोर नहीं है और न मनोबल डाउन है। कल गुरु महाराज का उदाहरण देकर बताया था कि सन्त का किन परिस्थितियों में जाना होता हैं। अभी हमारी जाने की कोई इच्छा नहीं है।
अभी तो हमको काम करना है। व्यवस्था बनाई जाती है। बुजुर्ग लोग भी पहले ही व्यवस्था बना देते थे कि मान लो अचानक ही कोई बात हो जाये, अचानक भी हो जाता है, (उपर से) हुकुम हो जाए कि छोड़ चलो, अब आ जाओ तो भी जाना पड़ जाता है। तो व्यवस्था सब बनाई जा रही है। मैं चिल्लाता इसलिए हूँ और यह नजदीक वाले और हमारे अस्पताल के डॉक्टर लोग यही सोचते हैं कि तकलीफ है, कोरोना में लोग बीमार हैं, चिल्ला रहे हैं, दया मांग रहे हैं, महाराज जी दया कर रहे हैं। उनके कर्म महाराज जी के ऊपर आ रहे हैं। दया यहां से जा रही है, कर्म वहां से आ रहे हैं।
वो तकलीफ ये झेल रहे हैं। (बिमारी) कुछ नहीं है इनको। टेस्ट भी कराते हैं तो कुछ नहीं निकलता है। वह कहते हैं यह कर्म है। लेकिन जब चिल्लाता हूं, बुलाओ-बुलाओ, अच्छे डॉक्टर को दिखाओ नहीं तो बड़ा मुश्किल है तब यह सब दौड़ पड़ते हैं। नजदीक वाले डॉक्टर लोग भी सब लग जाते हैं। अब यह खबर पहुंच जाती है कि बहुत तबीयत खराब है, बस जाने वाले हैं, तरह-तरह की बातें फैल जाती है। अभी हमारी जाने की कोई इच्छा नहीं है। लेकिन शरीर की क्षमता है। उम्र के हिसाब से शरीर अब ज्यादा मेहनत नहीं कर सकता है। तो थोड़ी तकलीफ है। कमजोरी ज्यादा आ गई है। बोलने में दिक्कत होती है। लेकिन मोटी-मोटी बातें आपको सब बताऊंगा।
*चार-चार जन्मों में जीवों को पार करने का प्रमाण मिलता है*
महाराज जी ने 8 फरवरी 2020 दोपहर रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि प्रमाण मिलते हैं। प्रथम जन्म गुरु भक्ति कर, दूसरे जन्म में नाम, तीसरे जन्म में मुक्ति पद, चौथे में निजधाम। जिन जीवों को दर्शन दिए, दया किए, उनको भी सेवा करवा करके रास्ते पर चला करके दूसरे जन्म में नाम दान देकर के चार-चार जन्मों में गुरु पार किये है। लेकिन उस समय का माहौल वातावरण अलग था। कर्म लोगों के ज्यादा गंदे नहीं थे।
अब कर्म लोगों के गंदे हो गए। उस समय इतने अच्छे कर्म रहते थे कि एक जन्म छूटा तो फिर मनुष्य शरीर मिल जाता था। लेकिन अब इस समय पर लोगों के कर्म ज्यादा खराब होने लगे हैं तो जीव सीधे नरकगामी होने लग गया। तो नरकों में तो बहुत दिन रहना पड़ता है। चार युग है- सतयुग त्रेता द्वापर और कलयुग। चारों युगों की उम्र है। चारों युग बीत जाते हैं तब एक चौकड़ी होती है। बहत्तर चौकड़ी का एक मनवंतर, चौदह मनवंतर का एक कल्प होता है। एक-एक कल्प तक कर्मों के अनुसार नरकों में रहना पड़ता है।
तो जीव अगर नर्क चला गया तो निकल पाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए गुरु महाराज ने कहा, हम यह चाहते हैं कि जो बगीचा आप लगाओ, उसका फल भी खाओ। ऐसा काम आप करो कि इसी जन्म में पार हो जाओ, दोबारा इस दु:ख के संसार में आना न पड़े। कहने का मतलब अगर गुरु की दया मिल जाए, गुरु से प्रेम हो जाए तो गुरु सब कुछ देते हैं।
*दया से ही सब काम होता है*
महाराज जी ने 8 जुलाई 2017 प्रातः जयपुर (राजस्थान) में बताया कि जीव मौत को जब भूल जाता है तो कल की चिंता में फंसता चला जाता है। जैसे लोग अपराधी कैसे बन जाते हैं? छोटी-मोटी गलती किये फिर ऐसे लोग मिल जाते हैं, कहते हैं कि तेरी गलती से तुझको छुटकारा दिला देंगे, तू मेरे साथ आ जा और दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी गलती करने लग जाते हैं और फिर उसी में फंस जाते हैं। फिर कहते हैं अब हम निकल नहीं सकते हैं।
ऐसे भी लोग आते हैं, (अर्जी लगाते हैं कि) किसी तरह से (मुझे बाहर) निकालो, मैं बहुत फंस चुका हूं, निकल नहीं सकता हूं, जान का खतरा है। हमारे गुरु महाराज के पास ऐसे बहुत आते थे। अब यह है कि गुरु महाराज दया कर देते थे। दया से सब काम होता है। आदमी कितना भी प्रयास करता रहे, दया के बगैर कुछ नहीं होता है।
https://www.youtube.com/clip/UgkxHa00eQ4TZuaiYVb7jnPx5m2ivTSpRKfG
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Lok parlok ki puri jankari rakhne wale baba umakantji maharaj |
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Jaigurudev