✩ जयगुरुदेव ✩
हड़ताल, तोड़फोड़, आंदोलन, मार-काट से अपना ही नुकसान होता है।
देखो ! उकसावे में आकर हड़ताल कर देते, तोड़फोड़ कर देते, आंदोलन कर देते हैं, अधिकारियों को मार देते हैं, कर्मचारियों को मार देते हैं, किसका नुकसान होता है? अपना, संपत्ति का व जनता का नुकसान होता है ।
जो जनता हमको आपको भी कमा करके, खेती करके, रोटी खिलाती है, उनका नुकसान होता है। अधिकारी को मार दिया, कर्मचारी को मार दिया, पुलिस के सिपाही को मार दिया, यह सब हैं कौन? हमारे आपके ही तो बच्चे हैं, हमारे आपके ही तो भाई हैं, नुकसान तो अपना ही होता है। अपना मान करके, अपना समझ करके, अपनत्व की भावना लोगों के अंदर में हम आपको लाने की आवश्यकता है ।
जिनके भंडारा का दिन है, जो बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के नाम से जाने जाते थे, आज भी लोग उनको इसी नाम से जानते हैं। वक्त के वो महापुरुष थे, मुर्शिद-ए-कामिल, सच्चा गुरु, सतगुरु, समर्थ गुरु, आला फकीर जिनको कहते हैं वह थे।
ऐसे लोग इस जमीन पर, धरती पर आते ही रहे हैं। आते नहीं रहे बल्कि भेजे जाते हैं। कब भेजे जाते हैं, कि जब उस खुदा की खिलकत में लोगों को परेशानी होने लगती है। उसकी रूह, उसके जीवों को जब सताया जाने लगता है, रास्ता जब बदल जाता है, काल जिसका यह देश है वो अपना दांव मारता है उन पर, तो वो दुखी जब होते हैं तो ऐसे समय पर भेजे जाते हैं ।
कहा गया-
'जब नींव धर्म की हिलती है, कोई हस्ती खुदा से उतरती है।
भूले भटके इंसानों पर, रहमत की नजर वो करती है ।।'
गुरु महाराज आए, कब आए, जब धर्म का हास हो रहा था। कौन सा धर्म ? धर्म तो उसने उस मालिक ने एक ही बनाया। खिलकत एक ही है, सबके लिए है। जिस्म सबका एक ही है। हड्डी, खून, गोश्त, मांस जिसको कहते हैं, सबके अंदर है। लैट्रिन पेशाब का रास्ता एक ही जैसा है।
यह जो चीजें बनाई हवा, पानी, सबके लिए बनाई। नदी, नाल, पानी, समुद्र सब इंसान के लिए बनाया। तो इसी तरह से उसने इंसानी मजहब बनाया। इंसानी मजहब इंसान बनाया। न की हिन्दू बनाया, मुसलमान बनाया, न की सिख, ईसाई बनाया, उसने इंसान बनाया।
तो जब इंसानी मजहब खतरे में पड़ा, जब सत्य रूपी धर्म से लोग अलग हुए, जब हिंसा-हत्या होने लग गई, दया धर्म, रहम, जिसके लिए फकीरों ने कहा रहम करो उसकी रूहों पर, उसकी रूहों को मत सताओ, लेकिन जब उस , रास्ते से अलग होने लग गए, लोग खिदमत, सेवा जिसको कहते हैं, परोपकार जिसको कहते हैं कि मदद करना, इससे जब लोग अलग हो गए और दुःख झेलने लग गए तब इन्हीं चीजों को सिखाने के लिए वक्त वक्त पर इस जमीन पर उस खुदा भगवान ने इन फकीरों के रूप में, औलिया का रूप में, पीर पैगम्बरों के रूप में भेजता रहा है, तवारीख इसका साक्षी है, तवारीख इसका गवाह है।
तो गुरु महाराज हमारे ऐसे वक्त पर आए कि जब लोग दुखी थे। दुःख दूर किया, लोगों को तौर तरीका सिखाया । रूहों को निजात दिलाने का रास्ता ही नहीं बताया बल्कि रास्ते पर चलाकर मंजिल तक भी पहुंचा दिया ।
इंसानियत लाना जरूरी है
आज हमको आप लोगों से यही गुजारिश करनी है, यही प्रार्थना करनी है कि भई इंसानियत लाना जरूरी है। इंसानियत कौम-कौमियत से अलग होती है। जो हैवानियत आ रही है लोगों में वो खत्म होकर के इंसानियत आ जाए, लोग खुदापरस्त हो जाएँ, अपने-अपने तौर तरीके से ही लेकिन उस मालिक को, खुदा को, भगवान को, गुरु को याद करने , लग जाएँ क्योंकि यह चीज खत्म होती चली जा रही है। कारण क्या है ? कि तालीम नहीं मिलती है, शिक्षा नहीं मिलती है, शिक्षा का अभाव है।
बताने वाले, सिखाने वाले इस चीज को अगर बताने सिखाने लगेंगे कि भई खान-पान, चाल-चलन, चरित्र सही रखो। किसी भी धर्म में नहीं लिखा है झूठ बोलो, किसी भी धर्म में नहीं लिखा है बेईमानी करो, हिंसा - हत्या करो, यह किसी में नहीं लिखा है।
लेकिन तालीम की कमी की वजह से, शिक्षा के अभाव की वजह से यही बच्चे भटकते चले जा रहे हैं। जो देश के कर्णधार बन सकते हैं, मुल्क की उन्नति, तरक्की करा सकते हैं, वही बच्चे अब नशे में धुत, वही बच्चे अब हथियार चलाने में लगे हुए हैं। मानव हत्या, इंसानी हत्या करने में लगे हुए हैं तो इनको रास्ते पर लाने की जरूरत है।
देश की जनता के हित के लिए सबको एक होने की जरूरत है।
इसके साथ ही साथ हम यह नहीं कहते हैं कि जो अपना कोई धर्म मान लिया है, जिसको अपना आराध्य या गुरु मान लिया है या जिसको पीर पैगम्बर-औलिया मान लिया है, खुदा-अल्लाह मान लिया है, हम यह नहीं कहते हैं कि आप उनको छोड़ दीजिये।
लेकिन जहाँ तक जनहित की बात है, जनता की बात है, जहाँ तक लोगों का फायदा होने का है, जिस जमीन पर हम रहते हैं, जहाँ का अन्न खाते हैं, पानी पीते हैं, इस मुल्क की बात है वहां पर सबको एक होकर के आगे बढ़ने की अब जरूरत है।
कुदरत अपनी आँख दिखावे, कुदरत अपना प्रकोप दिखावे, इससे पहले हमको तैयारी कर लेनी है, कुदरत को खुश करना है, कुदरत को विश्वास दिलाना है कि हम लोगों को कुदरत के अनुकूल, आपके लायक बनाने में लगे हुए हैं और आप हमको थोड़ा मौका दे दीजिए।
तो वो मालिक, रहमान जिसको कहा गया, वो रहमान है, दयावान है, वो मदद करेगा। देखो यह भारत देश आध्यात्मिक देश रहा है। यहीं से इल्म, यहीं से रूहानी शिक्षा, रूहानियत की गिजा यहीं से लोगों को मिलनी शुरू हुई। असली चीज तो वो है ।
बावल हरियाणा में गुरु महाराज का मंदिर बन रहा है । सबको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि हमारा मंदिर बन रहा है, हमारे गुरु का मंदिर बन रहा है और हम बनवा रहे हैं। हमको ज्यादा कुछ नहीं कहना है । बस अपना मान कर उसको चलो। जैसे अपना कोई घर बनाता है, अपने बच्चे के लिए कोई कमरा बनाता है, अपने बच्चे के लिए कोई काम करता है, अपने पिता के लिए कोई काम करता है ।
पैसे वाले लोग क्या करते हैं, पिताजी का कमरा, माताजी का कमरा, लड़कों का कमरा, बहू का कमरा, नाती-पोता का कमरा, सब बनाते हैं । ऐसे ही समझ लो कि हमारे गुरु महाराज, हमारे माता-पिता, हमारे ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्थान बन रहा है, दार्शनिक स्थान बन रहा है।
महापुरुष आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन उनका कोई स्थान बन जाता है तो उससे उनकी पहचान होने लगती है। वैसे तो संतमत में मंदिर का कोई स्थान नहीं है। मानव मंदिर ही प्रमुख माना गया है लेकिन यादगार के लिए, यह जानने के लिए कि इन्होंनें ऐसा काम किया था, प्रेमियों की इच्छा थी तो बनवाना शुरू कर दिया गया है और तेजी से काम बढ़ता चला जा रहा है। अब और तेजी आ जाए, जल्दी तैयार हो जाए, वहां लोग दर्शन करने लग जाएँ, लोगों को लाभ मिलने लग जाए, उसके लिए आपको भी तेजी लाने की जरूरत है । उदारता लाने की जरूरत है|
देखो! किस तरह की सेवा की जरूरत है वहां, तन की सेवा की, मन लगाने की, धन की सेवा की जरूरत है, इसकी आप फिक्र करो । और जैसा भी जिससे बने आप बना लो, मंदिर को तैयार कर लो जल्दी से जल्दी ।
देखो ! अगर आदमी दिल-दिमाग बुद्धि लगा दे, देखरेख करने वाले मिल जाएँ, जरूरत पड़े तो शरीर से सेवा कर दें, धन की कमी न होने पावे, तो रात-दिन काम चलकर के जल्दी तैयार हो सकता है । इसकी भी आपको चिंता करनी है, याद मैंने आपको दिला दिया ।
प्रार्थना
यही वंदना है गुरु से बारंबार । हमारा देश फूले फले,
कि प्यारा देश फूले फले ।। 1 ।।
शाकाहार प्रचार की बजे शहनाई, गूंज उठे उपवन बाग अमराई,
बहे मन्द मन्द चांदनी बयार ।। 2 ।।
फूले पलाश बन बाग अमराई, कोयल शुक पपीहा की बोली सुहाई,
एक तार में अनेक झंकार ।। 3 ।।
नये वर्ष की नयी भावना जगाओ, प्रेम थाल लेके नयी आरती सजाओ,
मिले गुरु चरण कमलों का प्यार ।। 4 ।।
मृदुल मोहिनी रूप गुरु जी तुम्हारा, सुभग सलोना रूप लगे अति प्यारा,
बहे नैनों से अमृत की धार ।। 5 ।।
मिला है इशारा समय अच्छा नहीं हैं, भूत है सवार लोग सुनते नहीं है,
कहीं नैया ना डूबे मझधार ।। 6 ।।
होगा नरसंहार सुनकर हृदय कांपता है,
भारी भयंकर दृश्य नैन भांपता है,
कैसी होगी ये कुदरत की मार ।। 7 ।।
दुखों का पहाड़ जब टूट ही पड़ेगा, त्राहिमाम त्राहिमाम जग में मचेगा,
दुखों की ये बदली दो टार ।। 8 ।।
चारों तरफ प्रभु के जब भीड़ लग जाएगी,
इन्ही को निहारने की होड़ मच जाएगी,
होगी बेबसी में तेरी ही पुकार ।। 9 ।।
बंदे रो पड़ेंगे तो निदान क्या होगा,
दया के निधान का विधान क्या होगा,
अब फूट पड़े तेरी रहमत की धार ।। 10 ।
धार्मिक सामाजिक राजनैतिक परिवर्तन,
आर्थिक दशाओं से मचेगा जब क्रंदन,
याद आएगें प्रभु बारंबार ।।11 ।।
पापी गुनहगार हम सब यही चाहते हैं,
बार बार दया की भीख प्रभु से मांगते हैं,
क्षमा करना हमें सरकार ।। 12 ।।
बोलो जयगुरुदेव आप सन्मुख मिलेंगे,
रक्षा सम्हाल दुःख दर्द सब हरेंगे,
यही महिमा है सतगुरु तुम्हार ।। 13 ।।
यही वंदना है गुरु से बारंबार । हमारा देश फूले फले,
कि प्यारा देश फूले फले ।।
साभार, (पुस्तक) मार्गदर्शक वार्षिक भंडारा 2023
Margdarshak-bhandara-2023
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Baba Jaigurudev Satsang Ujjain MP
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