परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-
668. यदि कानून बन जाए।
669. संतों की बातों को लोग अटपटा मान लेते हैं।
670. अहंकार कब खत्म होता है ?
671. नरकों में सजा देने के लिए बड़े-बड़े समुद्र हैं।
672. स्वभाव में भी बदलाव लाने की जरूरत है।
673. जो अपने लिए नहीं कर पाता है वह दूसरों के लिए क्या कर पाएगा।
674. सतसंगी सेवादारों को अपनी ताकत का पता नहीं चलता है।
675. सन्तों का बहुत विरोध हुआ।
676. गुरु पूर्णिमा पूजन कार्यक्रम श्रावण पूर्णिमा तक बराबर चलेगा।
677. आत्मा का काम हो जाए, इसलिए थोड़ी बहुत तो तकलीफ लगी रहेगी।
678. जिनमें गुरु की पॉवर होती हैं, उन्हीं से जीवों का कल्याण होता हैं।
679. आध्यात्मिक सन्त रहते ही रहते हैं धरती पर।
680. सेवा और भजन से कर्म नहीं काटोगे, तो गरीब घर में जन्म मिलेगा।
681. बराबर साधना करते रहो।
682. बराबर साधना करते रहो।
683. सेवा और भजन से कर्म नहीं काटोगे तो गरीब घर में जन्म मिलेगा।
684. आध्यात्मिक सन्त रहते ही रहते हैं धरती पर। इस परंपरा को कोई खत्म नहीं कर सकता है।
685. जिनमें गुरु की पावर होती है उन्हीं से जीवों का कल्याण होता है।
687. आत्मा का काम हो जाए इसलिए थोड़ी बहुत तकलीफ तो लगी रहेगी।
688. भारत के जटिल संविधान से न्याय, सुरक्षा, सुखशांति दिलाना बहुत कठिन है।
689. जब से ये प्रचार प्रेमियों का शुरू हुआ, जगह-जगह पानी बरसने लगा।
700. बहुत से साधक नकली सतलोक में ही रह जाते हैं।
701. कभी-कभी काल, सतगुरु का रूप धारण करके भी आ जाता है।
702. सन्त जिस जीव को पकड़ते हैं उनको नर्कों में नहीं जाने देते हैं।
703. जीवात्मा अपने साक्षात्कार करने पर कहती है अहम् ब्रह्मास्मि।
704. संतमत को समझने-जानने वाले शिष्य मुख्यधारा से अलग हो रहे हैं।
705. उल्टा नाम जपने का सही मतलब।
706. पशु-पक्षी के सामने भी इन पाँच नामों को नहीं बताना है।
707. जब से सेवा भाव खत्म हुआ लोग दुखी हो गए।
708. माया के लोक में गुरु को भी भूल जाता है साधक।
709. शुरुआत में केवल अनामी प्रभु का अनामी लोक था।
710. ऊपरी लोकों का नशा हर पल हर क्षण रहता है उतरता ही नहीं जल्दी।
711. काल भगवान के पास जीवात्मा डालने- निकालने का रास्ता बंद करने का मसाला है ही नहीं।
712. गृहस्थी की गाड़ी कौन चला रहा है ?
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sant umakantji maharaj |
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