जयगुरुदेव
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के
हस्तलिपि सन्देश-भाग-1
चर्चायें देवताओं की पार्लियामेन्ट में
थे चर्चे आसमानों में, जमीं वालों का क्या होगा?
खबर आई खुदा खुद जाएगा, खुद रहनुमा होगा।
तो पूछा कैसे जाएगा, खुदा बन्दों की बस्ती में?
जवाब आया कि बन्दों के लिए बन्दा बना होगा।
तो पूछा कैसे पहचानोगे, बन्दे तो जवाब आया।
वो यक्ता हुस्न में होगा, व औरों से जुदा होगा।
गुनाहगारों पै जो वाजिब सजा है, उसका क्या होगा?
कहा वो बक्श दे रहमत से, उन सबको तो क्या होगा।
प्रकाशक की ओर से
पचास के दशक से पहले बाबा जयगुरुदेव जी महाराज प्रभु की प्राप्ति के बाद जीव कल्याण की वीणा उठाकर मैदान में उतर पड़े। जीवों को चेताने और उनको अध्यात्मवाद के रास्ते पर लगाने वाले महान सन्तों की परम्परा में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण व ऊंचा है।
महात्माओं ने कहा कि-
गूढ तत्व न साध दुरावें, जो आरत अधिकारी पावें।
बाबा जी ने आरत अधिकारी की बात समाप्त कर दी और जो कोई भी इंसान अच्छा-बुरा, पापी आया उसे नामदान देकर, गुनाह को माफ कर साधु बना दिया और हाथ में माला पकड़ा दी। डाकू बाल्मीकि का एक इतिहास है किन्तु बाबाजी के दरबार में दर्जनों बाल्मिकियों ने यह प्रमाणित कर दिया
जो महात्मा पल्टुदास जी ने कहा कि-
गाली कोई दे जाए छमा कर चुप होय रहना,
पल्टू वही सुहागिनी, हीरा झलके माथ।
मन महीन कर लीजिए जब पिऊ लागे हाथ।।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज जहां कहीं भी कुछ दिन ठहरे तो कागज के पन्नों पर प्रार्थनायें, संदेश, पर्चे आदि लिखते रहे। जो लेख मिल गए उन्हें संकलित करने का इस ब्लॉग में प्रयास किया गया है।
बाबाजी की लिखी चन्द पंक्तियांः
जन जन में होगी क्रान्ति, हम तुम्हें दिखा देंगे,
रुढ़ि धर्म विवादों को, हम मिटा के दिखा देंगे।
जगेगा भारत जगेगा भारत, भारत जगाने आ रहा। आओ प्यारे आओ प्यारे जमाना बदलने जा रहा।
जोर लगाले अहले जमाने, कब तक जोर लगायेगा। जग में जयगुरुदेव का झण्डा, लहर लहर लहरायेगा।।
सभी जाति हिन्दु, मुसलमान, सिख, इसाई आदि सभी भाई बहिनों से प्रार्थना है कि कहीं भी एक बार बाबाजी के संदेशों को सुन लें। कुदरत तैयार खड़ी है और कहीं भी किसी दिन कुछ कर सकती है। रात को कुछ और सुबह कुछ और नजारा देखने को मिलेगा।
-मंत्री शाकाहारी सदाचारी बालसंघ
स्वामी जी का संदेश
महात्माओं को अवसर मिला है धर्म प्रचार का। प्रथम सदाचार का प्रचार सभी महात्माओं को करना चाहिए। महात्माओं की योग सेवा हमेशा प्रशंसनीय रहीं। प्रत्येक महात्माजनों जो अपना दायित्व समझते व धर्म में विश्वास है सभी को मिलकर जन साधारण की बुराईयों को छुड़ाने में लगना चाहिए जैसे शराब आदि नशीली वस्तु मांस आदि व कुरीतिओं से जनता को मुक्त रखना। बुद्धि आदि विकास ज्ञान रूप में चाहते हैं। बुरे कर्मों को समझकर छोड़ें।
जयगुरुदेव
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युग प्रवर्तक बाबा जयगुरुदेव जी महाराज
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