*आध्यात्मिक ज्ञान से दुनिया की सारी विद्या आ जाती है*

जयगुरुदेव

02.03.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (मध्य प्रदेश)

*आध्यात्मिक ज्ञान से दुनिया की सारी विद्या आ जाती है तब सारा काम उसी से हो जाता है* 

*घट का ताला जल्दी क्यों नहीं खुलता है, अंत:करण की सफाई कौन करता है?*

*निकल चलो इस दुःख के संसार से - बाबा उमाकान्त जी*


परम सन्त निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी जिनको अपने जैसा बना कर गए हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, अंतरात्मा की सफाई करने की शक्ति रखने वाले, दुनिया की साड़ी विद्यायें जिसमें समाहित है वो आध्यात्मिक विद्या देने वाले, स्थाई सुख दिलाने वाले, इस दुःख के संसार से निकाल कर अपने असली घर ले चलने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 दिसम्बर 2022 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि-

 संयम नियम से रहने, काफी कोशिशों के बावजूद कुछ लोगों के घट का ताला जल्दी नहीं खुलता है। कारण यही है कि गुरु से ज्यादा कुटुंब परिवार धन मान-प्रतिष्ठा से प्रेम रहता है। तो ये घट के ताले को कभी खुलने नहीं देते हैं। यह चीजें, जिनके लिए कहा गया- लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना। लाभ और मान का सवार भूत घट का ताला नहीं खुलने देता है। 

जितना प्रेम कुटुंब परिवार धन से है, उतना ही प्रेम अगर गुरु से किया जाए तो राह कोई रोकने वाला नहीं होता है, कहीं भी दिक्कत नहीं होती है। यानी गुरु से करो प्रेम, गुरु को करो खुश। प्रेम में क्या होता है? एक-दूसरे की बात को मानते हैं। जब एक-दूसरे की बात को मानते हैं तब वह खुश होते हैं। देखो पति-पत्नी का संबंध अटूट होता है। 

एक बार रिश्ता हो गया तो जब तक (जीवित) रहते हैं, निभाते हैं। अब उसमें अगर आपस में प्रेम नहीं है तो समझो कारण क्या है? आदेश का पालन नहीं होता है। मां-बाप से प्रेम नहीं हो पाता है। प्रेम होने पर आदेश का पालन करता है। चार बच्चों में से आदेश पालन करने वाले बच्चे से बाप का प्रेम ज्यादा होता है और उसकी बात को बाप नहीं टालता है। इसी तरह से जब गुरु से प्रेम करेंगे, उनके आदेश का जब पालन करेंगे तब वह खुश होंगे। इसलिए प्रेमियों! जो भी समय-समय पर आदेश हो, उसका पालन करते रहना चाहिए।

*आध्यात्मिक ज्ञान से दुनिया की सारी विद्या आ जाती है*

महाराज जी ने 29 दिसंबर 2022 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि आदमी को आध्यात्मिक विद्या का ज्ञान होने पर दुनिया की सारी विद्या आ जाती है। फिर इसकी (इस मृत्युलोक की विद्या की) कोई जरूरत ही नहीं पड़ती है। उसी विद्या से काम हो जाता है। जैसे किसी को हीरा या सोना मिल जाए तो वह कागज के नोट को कोई तवज्जो नहीं देगा, मिले न मिले, जरूरत ही नहीं रहेगी नोट को रखने की, संभालने की। हीरे या सोने का छोटा सा एक टुकड़ा जेब में रख लिया और पूरा गाड़ी भरकरके सामान ले आयेगा।

*अंत करण की सफाई कौन करता है*

महाराज जी ने 4 सितंबर 2021 प्रातः बाड़मेर (राजस्थान) में बताया कि मांस खाने पर अंतःकरण गंदा होगा। अंतःकरण में क्या रहता है? वहीं पर ही शरीर में ही मन रहता है। तो मन गंदा हो जाता है। शरीर की सफाई आप कर लेते हो लेकिन मन की, अंतःकरण की, अंतरात्मा की सफाई आप कर नहीं सकते हो। तो अंतरात्मा की सफाई कौन करता है? जिसके लिए पलटू साहब ने कहा- धोबिया वह मर जाएगा, चादर लीजिए धोये; चादर लीजिए धोये भई वो बहुत पुरानी, चल सतगुरु के घाट बहे जहाँ निर्मल पानी। सन्त सतगुरु, सच्चे गुरु, समरथ गुरु जिनको कहा गया, जब वह मिलते हैं तब। जब बाबा जयगुरुदेव जी जैसे गुरु मिलते हैं तब वह अंतरात्मा की सफाई कर देते हैं।

*निकल चलो इस दुःख के संसार से*

महाराज जी ने 3 जनवरी 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि एक-दूसरे का लेना-देना, कर्जा अदा कर लो और निकल चलो इस दुःख के संसार से। यहां सुख नाम की कोई चीज है ही नहीं। सुख तो इससे परे की चीज है। उसे असली सुख को भूलने की वजह से इन्ही चीजों में सुख महसूस करके, सुख की खोज में समय बर्बाद कर रहे हो। सोचते हो कि खाने में, पहनने में, मोटे गद्दे पर सोने आदि में ही सुख है। लेकिन सुख तो यहाँ है ही नहीं। तो जब तक सुख के सागर में नहीं पहुँचोगे तब तक दुःख झेलना ही पड़ेगा, जनम-मरण की पीड़ा बर्दाश्त करनी पड़ेगी। इसलिए अब यही संकल्प बनाने की जरूरत है कि दुबारा इस मृत्युलोक में, जहां सुख नाम की चीज नहीं मिलती है, यहां दुख के संसार में अब नहीं आना है।






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