*पार्टनरशिप में झगड़ा होता है* - sant umakantji maharaj

जयगुरुदेव

01.03.2023
प्रेस नोट
राजसमंद (राजस्थान)

*बाबा उमाकान्त जी ने बताये देश में शराबबंदी और मांसबंदी के फायदे*

*वक्त के वैद्य डॉक्टर टीचर और सतगुरु की जरूरत पड़ती है, सन्तों ने दुनिया की समस्याओं को दूर किया*

*पार्टनरशिप में झगड़ा होता है*


निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में भी अब तो बाय डिफ़ॉल्ट पूरी दया जारी कर रखने वाले, अपने भक्तों की भौतिक हो या आध्यात्मिक- तरक्की की राह प्रशस्त करने वाले, पूरे जीवन के अनुभव के निचोड़ को पहले ही बता, सिखा कर अनेकानेक तकलीफों से बचाने वाले, भारत देश की जल्दी और स्थाई तरक्की के सरलतम उपाय बताने वाले, दुनिया की समस्याओं को दूर करने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 अक्टूबर 2021 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि-

वक्त के वैद्य, डॉक्टर, टीचर और सतगुरु की जरूरत पड़ती है। आपके दादाजी को किसी मास्टर जी ने पढ़ा कर कलेक्टर कमिशनर बना दिया, ऊंचे ओहदे पर पहुंचा दिया था लेकिन अब तो वह नहीं रहे। तो अब दूसरे मास्टर के पास आपको जाना ही पड़ेगा। वक्त के गुरु को खोज, तेरे भले की कहूं। वक्त के गुरु की जरूरत होती है। गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव) पूरे समरथ गुरु थे। इन्होंने जीवों के लिए जितना काम किया, जितनों को अपनाया उतना आज तक आये हुए सभी सन्तों ने नहीं किया।

 जीवों को अपनाने में, उनकी अंतरात्मा की सफाई करने में बहुत मेहनत पड़ती है। शरीर, कपड़ा, गाड़ी गंदी हो जाए तो आप धो सकते हो लेकिन अंतरात्मा की सफाई हर कोई नहीं कर सकता है। उसके लिए पलटू साहब ने कहा- धोबिया वह मर जाएगा, चादर लीजिए धोये; चादर लीजिए धोये, भाई वो बहुत पुरानी; चल सतगुरु के घाट, बहे जहाँ निर्मल पानी। उनके अंदर ऐसा निर्मल पानी होता है कि अंतरात्मा की सफाई कर देते हैं। जब तक अंतरात्मा की सफाई नहीं होगी, कर्म साफ नहीं होंगे तब तक यह जीवात्मा ऊपर नहीं जा सकती है।

*पार्टनरशिप में झगड़ा होता है*

महाराज जी ने 1 अक्टूबर 2021 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि आपको सब बात (सतसंग में) बताई जाती है। लालच में पड़ कर पार्टनरशिप में धंधा कर लेते हो, रुपया-पैसा दूसरे को दे देते हो। समय पर वापस नहीं देता है, हजम कर जाता है। पार्टनरशिप में झगड़ा होता है, लालच में पड़ोगे तो घर का भी चला जाएगा। बताई गयी चीज को अमल नहीं करते हो। छोटी-छोटी चीज को पूछते हो कि घर बना लें? घर नहीं बनाओगे तो कहां रहोगे? घर बना लो। कहा जाता है कि आपको मिल जाए तो नया घर बना लो, पुराना घर मत लो। झगड़े की जमीन, मकान, प्रोपर्टी मत खरीदो। एक्सीडेंटल या पुरानी ज्यादा चली हुई गाड़ी मत खरीदो। और भी सब बातें बताई जाती है लेकिन आप सतसंग सुनो तो आपको जानकारी होगी। जो गाँव में यूट्यूब पर पड़े सतसंग नहीं सुन पाते हैं, उन्हें जिम्मेदार लोग मोटी बातें बता दो तो बहुत समस्यायें सुलझ जाएँगी।

*देश में शराब मांस बंद होने से क्या फायदा है*

महाराज जी ने 6 सितंबर 2021 सायं राजसंमद (राजस्थान) में बताया कि देश में अगर शराब और मांस को बंद कर दिया जाए तो रोग, लड़ाई-झगड़ा, अपराध और भ्रष्टाचार कम हो जाएगा। शराब, मांस विनाश का कारण बन जाता है, खून को यह बेमेल कर देता है क्योंकि यह मनुष्य का भोजन नहीं है। मांस तो उनका भोजन है जो चाट कर पानी पीते हैं, जिनके दांत नुकीले, आंखे गोल होती है। मछली तालाब की सफाई के लिए बनाई गई। कोई भी गंदी चीज तालाब में डाल दो, मछली खा जाती है। खंखार करके थूक दो, लेट्रिन के टुकड़े, जानवरों का गोबर सब मछली खाएगी। कुदरत ने सफाई के लिए उनको बनाया। जब कुँए के पानी में कीड़े पड़ जाते हैं, पी नहीं सकते तब मछली लाकर लोग उसमें डाल देते हैं। मरने पर पानी के ऊपर तैरती है तो गिद्ध, कौआ खाते है। मछली गिद्ध, कौवे का भोजन है, आप मत खाना। जो शाकाहारी चीजें मनुष्य का भोजन है, उसको खाओ।

*सन्तों ने दुनिया की समस्याओं को दूर किया*

महाराज जी ने 16 अगस्त 2021 सांय सीकर (राजस्थान) में बताया कि कैसे भी लोगों को रिझा, समझा लो। सन्त ही आए। वो अगर दुनिया की समस्याओं को दूर न करते तो लोगों के अंदर आकर्षण पैदा नहीं होता। गुरु महाराज ने बहुत से बीमारों को ठीक करने के लिए निमित मात्र दवा बताई, दया किया और ठीक हो गए। बहुतों की तकलीफें, गरीबी दूर हो गई। जिनके पैर में जूते नहीं रहते थे, बिवाइयाँ फट जाती थी, कपड़े फटने पर सिलवा नहीं पाते थे, आज मोटर कार में चल रहे हैं। आप जितने लोग पुराने सतसंगी हो, अपने को ही देख लो। तो अगर इसमें (दुनिया की चीजों में) कमी आती तो (आप न जुड़ते) जैसे कहते हैं- भूखे भजन न होय गवाला, लेव गवाल कंठी माला। ऐसे ही आप रिझाओ, किसी तरह से अभी, जीव अपने घर अपने मालिक अपने वतन पहुंच जाएं और दुबारा इस दुःख के संसार में न आना पड़े, ऐसा ही काम आप लोग करो ।






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