6. कबीरदास जीे ने हिंसा का क्या फल मिलेगा ? उसका इशारा किया है।

जयगुरुदेव 
*क्या आपको पता है कि-*
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 कबीर साहब ने कहा है कि- 
*जीव जन्तु सब मार खात हौ, तनिक, दरिद ना आई।*
*पग-पग पर तोहिं कांटा मिलिहें, यह फल आगे आई।।*

कबीरदास जीे ने हिंसा का क्या फल मिलेगा ? उसका इशारा किया है। सभी महात्माओं ने किसी भी जीव हिंसा को सबसे बड़ा गुनाह माना है। सन्तमत में तो शाकाहारी होना पहला और कट्टर नियम है। 

स्वामी जी महाराज सत्संग में सुनाया करते हैं कि चोरी, झूठ, लूटपाट, इस तरह के गुनाह छोटे तो नहीं हैं। पर इसमें आप अपने ऊपर बुराईयों को बोझा लादते हो लेकिन जीव हिंसा में आत्माओं की पीड़ा है जो अक्षम्य है। 

यह ठीक है कि इस सृष्टि में जो जन्म लेता है वह मरता है लेकिन उसका जिम्मेदार ऊपर वाला है, हम नहीं हैं। हमें भी स्वांस की पूंजी थोड़े दिनों के लिए मिली है। हम अपनी रक्षा कर लें। मनुष्य जीवन मिला है तो दूसरों की भलाई कर लें अगर भलाई नही कर सकते तो किसी का बुरा भी न करें। लेकिन हिंसा का पाप सबसे बड़ा है। 

और कहा गया है कि हिंसा का पाप किसी एक के सिर पर नही लगता। इसमें हिंसा करने वाला, खरीदने वाला, बनाने वाला, उकसाने वाला, बताने वाला, मान्स ले जाने वाला, बेचने वाला, खरीदने वाला, बनाने वाला, खाने खिलाने वाला सब दोषी हैं और उनकी जीवात्माओं पर भारी पाप लदता है। जीवन काल में एकबार भी मांस का टुकड़ा खा लिया तो मरने के बाद जीव सीधे नरकों में भेज दिया जाता है।

-- (शाकाहारी पत्रिका 21 से 27 जनवरी 2013)

(शेष क्रमशः अगली पोस्ट 7. में...)👇🏽https://www.amratvani.com/2023/02/Vishv-guru-ho-bharat-desh.html

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