पांचों देवता मनुष्य के कर्मों की सजा देने को तैयार, वक्त के सन्त बाबा उमाकान्त जी चाहते हैं बचाना

जयगुरुदेव

11.02.2023
प्रेस नोट
डिंडिगल (तमिलनाडु)


*अगर पाँचों देवताओं के मालिक शंकर जी को मनाया नहीं जाएगा तो ये भूकंप आंधी तूफान, ओला पत्थर बरसाएंगे, जानवरों को भी उड़ा देंगे*

*पांचों देवता मनुष्य के कर्मों की सजा देने को तैयार, वक्त के सन्त बाबा उमाकान्त जी चाहते हैं बचाना*

*मंदिर का मतलब क्या होता है, सेवा करने की होड़ लगानी चाहिए*

पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, त्रिकालदर्शी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 5 फ़रवरी 2023 सायं डिंडीगुल (तमिलनाडु) में दिये व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि

 प्रयागराज जहां पर त्रिवेणी संगम का स्थान है। गंगा जमुना सरस्वती तीन नदियां बहती हैं, धार्मिक किताबों में प्रयाग का बड़ा महत्व है। 3 दिन का वहां बड़ा शिवरात्री कार्यक्रम होने जा रहा है 16, 17,18 फ़रवरी 2023 को पूर्व और उत्तर भारत के लोग वहां इकट्ठा होंगे। 

आने वाला समय बहुत खराब है। जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश यह देवता नाराज हैं और सजा देने के लिए तैयार खड़े हैं। अगर इनको मनाया नहीं जाएगा तो यह बड़ा मुश्किल करेंगे। भूकंप आएगा, बहुत नुकसान करेगा। आंधी-तूफान में तमाम घर उजड़ जाएंगे, जानवर भी उड़ जाएंगे। बादल ऊपर से ओला पत्थर बरसा देगा। जगह-जगह आग लगेगी, लोग जलेंगे, घर जलेगा। इसलिए इन देवताओं को मनाना जरूरी है। इन देवताओं के मालिक शिव जी को भी मनाया जाएगा। शिवजी, जो संहार का काम करते हैं, उनको वहां साधक लोग साधना करके अंतर में प्रार्थना करके मनाएंगे। साधक प्रेमी तो पहुंचेंगे लेकिन और कोई भी अगर पहुंचना चाहे तो उसमें पहुंच सकता है। 
उसमे वहां से कार्यक्रम करने के बाद बीच में और कार्यक्रम करते हुए उज्जैन आ जाऊंगा जहां पर 5, 6, 7 मार्च को होली का कार्यक्रम होगा।

*मंदिर का मतलब क्या होता है* 

महाराज जी ने 9 दिसंबर 2022 प्रातः बावल रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि मंदिर का मतलब यह होता है कि जहां बैठकर के पूजा साधना किया जाए आत्मा को अपनी जगाया जाए वह होता है तो आप लोगों ने मंदिर कहने का अर्थ समझा और जब कहा गया कि अपने अपने घरों में सब जगह मंदिर का रूप दे दो, छोटा, बड़ा ,लकड़ी का, प्लास्टिक का, ऐसे, नहीं कुछ है तो एक ही कमरा है कई लोग रहते हो रखने की जगह नहीं है तो दीवार में ही मंदिर आकार का बना दो, गुरु का फोटो लगा दो और वहां थोड़ी देर ध्यान भजन करो। तो लगाया तो खूब लोगों ने और अभी जरूरत है घर घर में। क्योंकि यह तो यहां बनेगा यहां तो आना जाना कभी-कभी रहेगा। लेकिन घर में तो रोज जरूरत है आपको, गुरु का फोटो लगाओ मंदिर टाइप बनाकर के, ध्यान भजन वहां बैठकर के करो। मंदिर भी यहां बावल में बन रहा है गुरु महाराज का। यहां आना-जाना लोगों का लगा रहेगा आप लोग समय मिले जब आते रहो। 

*सेवा करने की होड़ लगानी चाहिए*

सेवा जो कर सकते हो किसी भी विभाग में जिसमें जानकारी है आपको, तो वहां पर व्यवस्था कार्यालय का बोर्ड लगा हुआ है। वहां पर आप अपना नाम अपने जिला प्रांत के आदमी को नाम लिखा दो। और आपके लायक जो सेवा उचित समझेंगे तो सेवा का अवसर आपको देंगे। सेवा तो छीन-छीन कर की जाती है। नहीं-नहीं हम झाड़ू लगाएंगे। आप मत लगाओ आप तो बहुत लगा चुके हो। सेवा की होड़ लगाई जाती है। अभी अगर हलवा, बूंदी ,मिठाई बटने लग जाए तो उसकी होड़ तो लग जाती है लेकिन सेवा की होड़ नहीं लगती है। अपना भी दौना-पत्तल दूसरो से उठाने की सोचते रहते हैं। जबकि हम लोग दूसरे का ही पतल उठाते थे। 

जो असहाय, बुजुर्ग या बड़े का कभी उठाने नहीं दिया, हैं, बच्चा का भी उठा लिया, बगल वाले का उठा लिया, जबरदस्ती छीना-झपटी होती थी। आज तो रोटी की छीना छपटी हो जाए लेकिन उस समय पतल उठाने की छीना छपटी होती थी। दूसरे का बिस्तर उठाके पहुंचाते थे। प्रेमियों यह है संतमत। इसमें सेवा का बड़ा लाभ मिलता है। सेवा बहुत तरह की मिलती है। कोई यह कहे सेवा है ही नहीं, इसमें मिलती ही नहीं, इनके भगत, प्रेमी लोग कर लेते हैं। न करना चाहो तो वह कर लेंगे। उनसे हाथ जोड़ लो, हमको सेवा का मौका दे दो, आप तो करते रहते हो तो मिल जाएगी सेवा।

*बाबा उमाकान्त जी महाराज के कतिपय वचन*

- शिव नेत्र सबके पास है। समरथ गुरु की दया से खुल सकता है।
- शंकर भगवान ने कभी भी गांजा भांग नहीं पीया। गंजेड़ी पीने से पहले बमबम बोल कर उनको बदनाम कर रहे हैं।
- देशभक्त बनो और देश हित में काम करने वालों की मदद करो।
- सन्त कोई दाढ़ी बाल का नाम नहीं होता है। सन्त वह होता है, जिसके अंदर परमात्म शक्ति आ जाती है।
- मांस, मछली, अंडे, शराब व तेज नशों की चीजों का सेवन करने वाला स्वप्न में भी न परमात्मा को देख सकता है और न ही उनकी शक्ति पा सकता है।
- गांजा, भांग, अफीम, चरस, कोकीन व शराब जैसा नशा करने वाला दीन और दुनिया का सुख प्राप्त नहीं कर सकता।
- दिखावा व बनावटीपन स्थिर नहीं रहता है। परमार्थी को इससे दूर रहना चाहिए।
- परमार्थ की कमाई में बाधक लोगों से दूर रहना चाहिए।
- जड़ और चेतन माया में फंसा जीव लोक व परलोक नहीं बना पाता।
- लाभ और मान क्षणिक है, इसकी इच्छा रखने वाले को काल का कर्जा चुकाना पड़ता है।
- सतसंगियों को गुरु का कर्जा चुकाने का समय आ गया यदि नहीं चुकाओगे तो काल अपने कर्जा का हिसाब मांगेगा जो बहुत महंगा पड़ेगा |
- माता-पिता, बूढ़े, बुजुर्गों, आधिकारी, कर्मचारी सबका सम्मान करो।
- किसी भी जाति, धर्म व धार्मिक पुस्तक की निंदा अपमान मत करो, सब के दिल में प्यार मोहब्बत का जज्बा पैदा करो।
- नामदान बड़े भाग से मिलता है, यह हैवान से इंसान, इंसान से भगवान और भगवान से परमात्मा बना देता है, नामदान से काल का प्रकोप कम हो जाता है।
- मनुष्य शरीर के अंदर सारी सृष्टि की रचना भरी हुई है।
- गरीबी अमीरी कर्मों की देन है। अच्छे बुरे कर्मों से बढ़ घट जाती है लक्ष्मी।


1 घंटा 27 मिनट से

Sant vachan



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