4. शाकाहारी जीवों की प्राकृतिक पहचान

जयगुरुदेव 
शाकाहारी जीव -

मनुष्य, गाय, घोड़ा, हाथी, बकरी, गैंडा, हिरण

पहचान -
शाकाहारी
शांत, मिलनसार
पानी खींच कर पीते हैं
आते लंबी
दांत भोटे

मांसाहारी जीव - 
शेर, चीता, भालू, भेड़िया

पहचान -
मांसाहारी
हिंसक, क्रूर तथा चालाक
चाट कर पानी पीते हैं
आते छोटी 
दांत नुकीले 

मानव का प्राकृतिक आहार क्या है? 
क्या मनुष्य प्राकृतिक मांस खाने वाले है ? त्वरित परीक्षण: 

जब आप सड़क के किनारे मरे हुए जानवरों को देखते हैं, तो क्या आप रुकने और उन पर नाश्ता करने के लिए ललचाते हैं? 
क्या आप गायों को नंगे हाथों से मारने और उन्हें कच्चा खाने का सपना देखते हैं? 
यदि आपने इन प्रश्नों का उत्तर "नहीं" में दिया है, तो इसे पसंद करें या नहीं। लेकिन आप शाकाहारी हैं। 

यह कहना है पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) दुनिया के सबसे बड़ा पशु अधिकार संगठन का।

जर्मनी के प्रसिद्ध पोषाहार विशेषज्ञ प्रोफेसर क्लॉस सीटजमैन के अनुसार पशु जो मांस खाते हैं तथा पशु जो पौधों पर निर्भर है उन के शरीर रचना का तुलनात्मक अध्ययन करने से ही पता चलता है की पौधे खाने वाले पशुओं के मनुष्य नजदीक है।


मनुष्य एक शाकाहारी प्राणी है:
सरलता से समझें–

1. मांसाहारी जीवों के दांत नुकीले व पंजे तेज नाखून वाले होते हैं जिससे यह आसानी से अपने शिकार को चीर-फाड़ कर खा सकें।
शाकाहारी जीवों के दांत चपटी दाढ़ वाले होते हैं, पंजे तेज' नाखून वाले नहीं होते जो चीर फाड़ कर सकें अपितु फल आदि आसानी से तोड़ सकने वाले होते हैं। 

2. मांसाहारी जीवों के निचले जबड़े केवल ऊपर-नीचे ही हिलते हैं और वे अपना भोजन बगैर चबाए ही निगलते हैं।
शाकाहारी जीवों के निचले जबड़े ऊपर, नीचे, दाएँ, बाएँ सब ओर हिल सकते हैं और ये अपना भोजन चबाने के बाद ही निगलते हैं।

3. मांसाहारी प्राणियों की जीभ खुरदुरी होती है, ये जीभ बाहर निकाल कर उससे पानी पीते हैं।
शाकाहारियों की जीभ चिकनी होती है, ये पानी पीने के लिए जीभ बाहर नहीं निकालते अपितु होठों से पीते हैं।

4. मांसाहारी जीवों की आंतों की लंबाई कम, करीब करीब उनके शरीर की लंबाई के बराबर और धड़ की लंबाई से 6 गुनी होती है। आंते होने के कारण वे मांस के सड़ने व विषाक्त होने से पहले ही उसे शरीर से बाहर फेंक देती हैं। 
शाकाहारी जीवों की आँतों की लंबाई कम, करीब-करीब इनके शरीर की लंबाई से चार गुनी व धड़ की लंबाई से 12 गुनी होती है, इस कारण वे माँस को जल्दी बाहर नहीं फेंक पाती।

5. मांसाहारी जीवों के जिगर (Lever) व गुर्दे (Kidney) भी अनुपात में बड़े होते हैं ताकि मांस का व्यर्थ मादा आसानी से बाहर निकल सके।
शाकाहारी जीवों के जिगर (Lever) व गुर्दे (Kidney) अनुपात में छोटे होते हैं और मांस के व्यर्थ मादे को आसानी से बाहर नहीं निकाल पाते। 
 
6मांसाहारी जीवों के पाचक अंगों में मनुष्य के पाचक अंगो की अपेक्षा दस 10 गुना अधिक हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है जो मांस को आसानी से पचा देता है। 
शाकाहारी जीवों के पाचक अंगों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड कम होता है व मांस को आसानी से नहीं पचा पाता ।

7.  मांसाहारी जीवों की (Saliva) लार अम्लीय (Acidic) होती है । 
शाकाहारी जीवों की लार क्षारीय (Alkaline) होती है व उनकी लार में (Ptyaline) टायलिन रसायन जो कार्बोहाइड्रेट को पचाने में उपयोगी होती है, पाया जाता है।

8. मांसाहारी जीवों का (Blood-PH) (खून की एक रसायनिक स्थिति) कम होता है यानि उसका झुकाव अम्लीय (Acidic side) होता है। 
शाकाहारी जीवों का (Blood-PH) अधिक होता है यानि उसका झुकाव क्षारीय ओर (Alkaline side) को होता है।

9. मांसाहारी जीवों के (Blood Lipo-Protiens) अलग किस्म के होते हैं। 
शाकाहारी पशु व मनुष्य के (Blood Lipo-Protiens) एक-से होते हैं व मांसाहारी जीवों से भिन्न होते हैं। 

10. मांसाहारी जीवों की सूँघने की शक्ति अत्यंत तीव्र होती है, आँखें रात्रि में चमकती हैं व रात में भी दिन की प्रकार देख पाती हैं। ये शक्तियाँ उसे शिकार करने में सहायक होती हैं।
शाकाहारी जीवों की सूँघने की शक्ति अत्यंत कम होती है, आँखें रात्रि में चमकती नहीं  हैं व रात में दिन की प्रकार देख नहीं पाती हैं। 

11. मांसाहारी जीवों के शब्द कर्कश व भयंकर होते हैं।
शाकाहारी जीवों के शब्द कर्कश नहीं होते।

12. मांसाहारी जीवों के बच्चे जन्म के बाद एक सप्ताह तक प्रायः दृष्टि शून्य होते हैं।
शाकाहारी जीवों के बच्चे प्रारंभ से ही दृष्टि वाले होते हैं।

उपरोक्त तथ्यों से यह पता लगता है कि प्रकृति ने मनुष्य की बनावट शाकाहारी पशुओं गाय, घोड़ा, ऊँट, जिराफ, सांड आदि शाकाहारी पशुओं के समान ही की है.

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(शेष क्रमशः अगली पोस्ट 5. में...)👇🏽  



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