सन्त सतगुरु पर भरोसा रखकर जीवन बनाया जावे यह जीवन उत्तम जीवन है। परन्तु संसार में रस आनन्द है ही नहीं। प्रारम्भ में उपदेश देकर होगा लेकिन उपदेश पर ही मालिक का भरोसा कर लिया जाये और सुरत शब्द की साधना पांच नामों की न की जाये तो यह सत्य है कि वह ठहरेगा नहीं, क्योंकि कोई उल्टी सुल्टी आंधी आ गयी तो डिग जायेगा और ऐसी हालते अक्सर आया करती हैं। जैसे- धन हानि, बीमारी, किसी की मौत होना, कारोबार में नुकसान होना, और राज्य के झगड़े यह हालतें जरूर आवेंगी। इस में वही ठहरता है जो गुरु में विश्वास करता है तथा सुरत शब्द की साधना में लगा हुआ है।
ऐसी हालत भी आ सकती है कि खाने को तरसे और तड़पे। स्थाई और समझौती के अतिरिक्त और सत्य वस्तु है जो साधना से आती है जिसमें कभी धीरज और मालिक का भरोसा नहीं जाता है। और उसकी रजा में राजी रहता है यह हालत कर्म काटने के लिये आया करती है सतगुरु की समर्थता पर अन्तर में विश्वास होना चाहिये। उसे सोचना चाहिये कि जो हालत आयी है उससे ज्यादा खराब अपनी थी उसमें कम कर दी गयी है। और आगे गुरु कृपा से और आराम मिलेगा।
सिब्बो और बुक्को दो देवियां हमेशा स्वामी जी की सेवा में रहती थी और भक्ति भाव में प्रवीण थी।
प्रभु पथ में बहुत कठिनाइयां
संसार को विराम करके जीव यदि पूर्ण सुख की तरफ जाना चाहता है, तो उसे किसी टिके हुये पथ अनुगामी पूरन पुरुष महात्मा का साथ लेना ही पड़ेगा और कठिनता पाने वाले को अपना निशाना गुरु तथा गुरु की बताई हुई मंजिल बनाना होगा फिर बाधा न आवेगी। निशाना चूका कि बाधा सामने खड़ी है साधक की सफलता का परिचय यह होगा कि गुरु को अपना निशाना बनाये रहे।
गुरु में श्रद्धा प्रेम अटूट हो और सतसंग की चाह बराबर लगी रहे। गुरु के दर्शन उनके वचन सुनने के वास्ते हृदय व्याकुल होता रहे। तथा समय निकालने का प्रयास लगातार करता रहे कि किस दिन सतसंग सुनुं।
गुरु का दिया हुआ पांच नामों का सुमिरन हमारी तरह लगन के साथ ध्यान पूर्वक करता रहे और विधि पूर्वक हरनाम के साथ सुमिरन करें सुमिरन करना एक तरह मेहनत करना है।
अब ध्यान पर बैठे हमारी तरह प्रथम पांच नाम ले और स्थानी पांच स्वरूपों को याद करे साथ ही जिस स्थान पर गुरु को याद करे वही स्थानी स्वरूप् में दृष्टि से मत्था टेक ले एक मिनट के बाद ध्यान पर बैठे करता था। मेरे ऊपर गुरु की दया हुआ करती थी।
जब जब समय मिले भजन करें आवाज का सुनना और आवाज आना यही भजन का बनना है फिर लगन के साथ आवाज को सुन कर रह जाना और आवाज के साथ अंदर में जाना अवश्य है। आवाज को सुनते समय यह ध्यान रखना कि यह आवाज किस किस्म की है और किस धनी में से आ रही है।
कहता था भाग्य होगा जब सुनाई देगी। लेकिन गुरु की दया के सहारे से यह आवाज सुनी जावेगी बिना दया के जो आवाज सुनेगा वह किसी भी आावाज को पकड़ सकता है और सफलता को न पा सकेगा।
उपदेश लेकर मान्स का असर
जो लोग गुरु के पास पहुंचकर उपदेश ले लेते हैं और संगदोष से या अपनी स्वः इच्छा से मान्स मछली अण्डा शराब खाने पीने लगते हैं उन्हें बिल्कुल ज्ञान नहीं है कि आगे चल कर इसका क्या असर होगा।
मुझे अपने जीवन के कितने अनुभव अन्तरी चढ़ाई में जो प्राप्त हुए हैं गुरु कृपा से उनको सुनाता हूं.
जब जब लोग गुरु के पास आये और मान अहंकार में अपनी सफाई देते हैं कि हम बहुत साफ है गुरु ने एकाएक खाता मांगा धर्म राय से उन्होंने दिया। उसी दिन से कर्मों की तोड़ फोड़ हुई अब चिल्लाया कौन सुनता है । याद रक्खो चतुराई छोड़ कर हमारी तरह हर वक्त सच्चे दिल से यह कहते रहो कि हम गुनहगार हैं। दया करो।
आदमी उन्हें अन्धा समझता है और कम अकल समझ कर उसकी बात पर ध्यान नहीं देते हैं पर मेरा अनुभव है कि वह सब समझते हैं तुम होशियार रहना। नहीं तो तुम्हारा कचूमर न निकल जाये, जिन्होंने मांस खाया है उपदेश लेकर उनका सब कचूमर उनके रहते निकाला जायेगा तुम कोई यह न समझ बैठो कि निकल कर बचा जा रहा है। बचेगा नहीं तुम जरूर देखोगे ।
शिव तीर्थ बिल्डिंग बाम्बे ता0......को एक पारसी ने जहर खा लिया अपनी स्त्री से झगड़ा करने पर, कभी-कभी स्त्रियां बहुत क्रूर होती हैं स्त्री के सामने उसने जहर कह कर पिया है और स्त्री ने कुछ कहा नहीं अन्त परिणाम कि वह तुरन्त मर गया।
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Jaigurudev