जयगुरुदेव इतिहास के पिछले पन्ने

जयगुरुदेव 
वो दिन जब याद आते हैं 
अगस्त 1993 में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज गुजरात में थे। 5 अगस्त को बाबाजी ने कृषि मण्डल एमार्टमेण्ट में रात्रि विश्राम किया। 9 तारीख की सुबह श्री पी. के. पटेल के निवास स्थान पर ग्राम अमरोली में दर्शन दिया और वहां से ग्राम डुंगरा तहसील कामरेज जिला सूरत के लिए प्रस्थान किया। इस ग्राम मे सत्संगी भाई बहिनों की संख्या काफी है। बस स्टैण्ड पर एक जीप को सजा कर रथ का रूप दिया गया था। 
रथ मे आगे घोड़े लगे थे। जीप का बोनट नही दिखाई पड़ता था । बहने नारा बोल रही थीं। 
नारे थे- 'एक दो तीन चार, बाबा जी की जय जयकार।' दूसरा नारा था- 'गली-गली में नारे हैं, बाबा जी हमारे हैं।'

इस गांव में केवल दस मिनट के लिए दर्शन देने की मंजूरी थी। ग्राम वासियों के भाव और प्यार को देख कर स्वामी जी महाराज ने सत्संग पूरा सुनाया और साथ ही सबको नामदान भी दिया। 

गांव में स्वामी जी दो घण्टे रुके और सबको व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद भी दिया। कार्यक्रम का आयोजन नगीन भाई पटेल, वारडोली सरकारी कृषि फार्म वाले उनकी पत्नी शारदा बहन पटेल ने किया। उन्होने अपनी तरफ से दोपहर भोजन प्रसाद में सारे गांव को आमंत्रित किया था। संख्या लगभग चार हजार की रही होगी। 

विशेष बात यही थी नगीन भाई ने एक दिन पहले 5 अगस्त 93 को ही सूरत में नामदान लिया थां और उन पर सत्संग का इतना जबर्दस्त प्रभाव हुआ और भाव जाग उठा कि उन्होंने पूरे के पूरे गांव को परमार्थ के रास्ते पर लगा दिया।

6 अगस्त को ही दोपहर में स्वामी जी बसन्त लाल जी के निवास स्थान पर बड़ौदा से आठ किलोमीटर पहले हरसाली गांव में पहुंच गए और सबको दर्शन दिया। दोपहर बाद बड़ोदा शहर में जयेन्द्र भाई ठक्कर के निवास स्थान पर पत्रकार सम्मेलन किया। शाम को 6 बजे सत्संग हुआ। उसके बाद स्वामी जी ने अहमदाबाद की ओर प्रस्थान किया और रात्रि में 9 बजे को सुमन पटेल के यहां आसोपालन नगर में पहुंचे । रात्रि विश्राम यही पर किया। 

7 तारीख को स्वामी जी ने सुमन भाई पटेल के यहां प्रातः सत्संग किया और शाम को भी सत्संग किया। दूसरे दिन प्रातः 8 अगस्त को पत्रकार सम्मेलन भी हुआ। व्यवस्था बहुत अच्छी थी। विशेष बात यह रही कि सौराष्ट्र से कई पगड़ी वाले प्रेमी आये और कार्यक्रम में भाग लिया। स्वामी जी ने मंच से घोषणा किया और कहा कि अगली दफा सौराष्ट्र में हम सैकड़ों गांवों का मेला लगा देंगे। 

8 तारीख को ही शाम के समय मेधानी नगर मे सत्संग हुआ। उसके बाद स्वामी जी की मनुभाई पटेल के निवास पर पहुंचे और रात्रि विश्राम किया। 
9 अगस्त को प्रातः 6 बजे स्वामी जी ने जयपुर के लिए प्रस्थान किया। साथ में चार गाड़ियां थीं। रास्ते मे सिरोही शहर में भी आर. आर. गुप्ता जी ने स्वामी जी की अगवानी की। 

भोजन का प्रबन्ध श्री विमल कुमार जैन के यहां था। 2 बजे यहां से चलकर रात्रि दस बजे स्वामी जी जयपुर पहुंच गए। 10 अगस्त को यहां सत्संग हुआ और नामदान भी दिया। स्वामी जी ने उर्दू भाषा में भी नामदान दिया। बुर्का वाली औरतों ने भी सत्संग सुना और नामदान लिया। बुर्का हटाकर उन्होने पेगाम को सुना और कहा कि उन्हें एक आला फकीर का दीदार हुआ और उनके द्वारा खुदा का पैगाम सुनने को मिला।

जय गुरु देव
Jai Guru Dev



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