जयगुरुदेव
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परमार्थ का उद्देश्य लेकर बाबा जी ने 10 जुलाई 1952 को वाराण्सी से सत्संग का शुभारंभ किया। बाबा जी की वाणी जनमानस में उतरने लगी। सत्संग की धार चौमुखी होकर बहने लगी। आत्म कल्याण, लोक कल्याण समाज सुधार देश सुधार चारों ओर से सत्संग की धार फूटी। इसके लिए बड़े बडे कार्यक्रम आयोजित किये गये। सन् 1970 से 75 तक कार्यक्रमों की धूम सारे देश में मच गयी।
1200 मील की साईकिल यात्रा 26 नवम्बर 1970 में गोरखपुर से प्रारम्भ हुयी और अनेक स्थानों पर पड़ाव डालती हुई दिल्ली पहुंची। बाबा जी ने कहा कि आप सभी लोग इस जनजागरण को देखकर स्वयं पता लगा लें। विश्व में एक परिवर्तन होगा। लोगों को शाकाहारी सदाचारी बनना होगा।
तोड़फोड़ हड़ताल निन्दा एवं अनशनों से अलग रहकर अपनी भूली हुई आत्मा को परमात्मा तक पहुंचायें। अगर ऐसा आप नही करेंगे तो एक समय ऐसा भी आने वाला है जबकि आदमी की लाश उठाने के लिए आदमी नही मिलेगा। सभी राष्ट्रों में भारी कलह होगा। सन् 1971 तक मुसलमान आपस में लड़ना शुरु कर देंगे।
सन् 1971 में 7 नवम्बर से 1500 मील की साइकिल यात्रा पचास हजार प्रेमियों की सोनपुर बिहार से निकाली गई। जगह जगह पड़ाव डालती हुई यह यात्रा दिल्ली तक गई। 1970 में 4 करोड़ तथा 1971 में 6 करोड़ अर्थात 10 करोड़ लोगों का धार्मिक जन जागरण देश में हुआ। इन यात्राओं ने यह सिद्ध कर दिया कि मानव मात्र अव शान्ति चाहता है, प्रेम चाहता है, सद्भावना चाहता है।
रास्ते में खड़े दर्शनार्थीयों की लम्बी कतारें, भागते दौड़ते भोले ग्रामीण इन सबने अपनी श्रद्धा और सद्भावना का जो प्रदर्शन किया उससे यह आभास मिला कि समय अब करवट लेगा। बाबा जी ने प्यार भरी आवाज जो सन् 1952 में लगाई वो कुछ कानो तक गई और धीरे धीरे उसकी स्वर लहरी वायु मण्डल में तैर तैर कर एक से अनेक कानों मे गूंजने लगी जिसका परिणाम यह हुआ कि करोड़ों नर नारी उस वाणी के पीछे मंत्रमुग्ध होकर चल पड़े।
1500 मील की लम्बी यात्रा ने यह दिखा दिया कि वास्तव में प्यार और शान्ति का नारा किस तरह बुलन्द किया जा सकता है। जगह जगह के पड़ाव स्थानों पर विद्धान कहे जाने वाले लोगों ने यह कहा कि जरूर कोई ताकत है जयगुरुदेव जी में जिससे प्रभावित होकर लाखों का हजूम जिसमें स्त्री, बच्चे, बूढ़े यहां तक कि नवजात शिशु भी भाग ले रहे हैं।
बाबा जी ने घोषण किया कि 1972 तक देश में 20 करोड़ नर नारियों के जागरण का अभियान पूरा हो चुका है। जमाना अवश्य बदलेगा ध्यान रहे। 1 जनवरी 1973 को प्रेमियों ने अपने अपने घरों पर जयगुरुदेव का झण्डा फहराया। बाबा जी ने कहा कि परिवार नियोजन गर्भपात चरित्र गिराने के साधन हैं इसे भविष्य में बन्द कर दिया जाएगा। दिल्ली की भूमि अपवित्र है।
दिल्ली की गद्दी पर बैठकर कोई भी माई का लाल जनता को सुखी नही कर सकता। भविष्य मे आने वाले शासक दिल्ली से राजधानी हटा देंगे। साथ ही वे भारत के संविधान को भी बदल देंगे। देश व दुनिया में भारी परिवर्तन होगा जिसकी अभी कल्पना नही की जा सकती। नंगे सिनेमे, नंगे नाच ये सब बन्द कर दिए जायेंगे। भारत वर्ष आध्यात्मिक देश है। संसार के सारे मुल्क एक साथ मिलकर भी भारत पर आक्रमण करें फिर भी वो भारत को जीत नही सकेंगे।
चित्रकूट में मन्दाकिनी तट पर आध्यात्मिक शक्तियों का सम्मेलन 18 से 22 फरवरी 1973 तक हुआ। बाबा जी ने घोषणा किया कि राम की तरह, कृष्ण की तरह औतारी शक्तियों ने भारत में जन्म ले लिया है और समय आने पर प्रगट होकर वो अपना काम करेंगी, अधर्मियों का विनाश करके धर्म की स्थापना करेंगी। आगे चलकर सम्पूर्ण विश्व पर भारत का अखण्ड राज्य होगा।
मुसलमान भाईयों से
मुसलमान भाईयों! ऐसा मालूम होता है कि खुदा को अपने हुक्म में चला रहे हो। जिस्मानी जो रियाज करते हो ताकत इकट्ठी कर रहे हो सब फना हो जायेंगे। अच्छा तो यह होगा कि रूहानी ताकत पैदा करो। जब रूहानी रियाज करोगे तब खुदा की ताकत हासिल होगी।
पैगम्बर और फकीर औलिया और सन्त अपने अपने वक्त में आये। उस समय के लोगों ने उनको पहचान नही पाया। जो खुदाई रूहानी ताकत देना चाहते थे उससे सभी लोग महरूम रहे और शैतान के शिंकंजे में कस लिये गये हैं। अब रूहों को आजाद नही कर सकते हो, न रूहानी रियाज लगा सकते हो।
दिमाग बददिमाग हो गया। इन्सानी कौल बदल गयी तो रूहानी खुदायी जुबान की आवाज को कैसे समझ सकते हो। शैतान ने गुनाहों के अम्बार को लगा दिया, रूह खुदा से बेखबर हो गयी। रूह को जगाते तब मुहम्मद साहब को पहचान पाते। इस्लामी आवाज है कि रूहों की हिफाजत करो। अल्लाह ताला क्या पता कहां है । खुदा के दर पर सिजदा कर रहे हैं। रूह का दरवाजा आने और जाने का अलग है जिससे तुम बेखबर हो।
शराब के नशे में रूहों के कत्ल करने में जो नामबद कर रहे हो वह खुदा देख रहा है। जिस्म फना होने ही वाला है। तुम्हारी रूह को गिरफ्ता कर फ़रिश्ते ले जाने ही वाले हैं, तब तुम मुहम्मद साहब और खुदा को भूल जाओगे।
अभी वक्त है होशियार हो जाओ जिस्मों की रूहो पर रहम करो।
दूसरों के लिए मेहनत ईमानदारी से रहकर जिखमत करो। खुदा ने कहा मुहम्मद साहब ने कहा जो हमारी जिस्मों की रूहों को आराम देता है उससे मैं खुश रहता हूं। ऐसे शख्स के लिए मैं वक्त ला देता हूं कि वह फकीरों के पास पहुंच जायेगा। वह फकीर जो मेरे पास आते जाते हैं वह तुमको रास्ता बताकर मेरे पास पहुचा देंगे।
शैतानी शैतानी है, नेक काम नेक काम है, रहम रहम है जुल्म जुल्म है, सच सच है, झूठ झूठ है, जिनाखोरी जिनाखोरी है, दूसरी औरतों को नेक निगाह से मां बहन की तरह से समझों। वह सूरते हाल पैदा न होने दो जब किसी की अक्ल काम न आये। खुदा अल्लाह ताला की इबादत के लिये दिल दिमाग में रहम और ईमान रक्खो। ये मोहम्मद साहब और हमारे खुदा इन पर रहम करो और बद दिमाग दारों को दिमागदार बनाओ। ये आपसे हमारी आरजू है। खुदा के नाम पर हर रोज दो आंसू बहा दिया करो।
अक्टूबर 2001
जयगुरुदेव
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mere hujur baba jaigurudev |
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Jaigurudev