जयगुरुदेव
28.10.2022
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)
➽ सन्त कबीर के प्रसंग से समझाया गिनती की सांसे खत्म होती जा रही है, चेतो, अपना असला काम करो
➽ आलस्य सबका लेकिन परमार्थी का तो बहुत भारी दुश्मन होता है
➽ पैदल चलने से भोजन हजम होता, विकार नहीं आते
निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 31 मई 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आलस्य सबका दुश्मन होता है। खेती गृहस्ती व्यापार नौकरी विद्यार्थीयों मजदूरों सबके लिए आलस्य दुश्मन ही होता है लेकिन परमार्थीयों के लिए बहुत भारी दुश्मन होता है। आलस्य में ही समय निकल जाता है और जीवन के कर्मों की सजा मिल जाती है।
➽ पैदल चलने से फायदे
घूमना, पैदल चलना मनुष्य के लिए बहुत जरूरी होता है। कोई भी काम न हो तो घर में ही घूमता रहे, पैदल चलता रहेगा तो भोजन हजम हो जाएगा, भोजन का विकार शरीर पर नहीं पड़ेगा। मेहनत करेगा, भोजन पसीना बनकर के बाहर निकल जाएगा,विकार निकल जाएगा। नहीं तो अंदर ही अंदर विकार पैदा कर देता है, रोग बना देता है।
➽ सन्त कबीर का प्रसंग
कबीर साहब काशी में रहते थे। कभी घूमने के लिए चले जाते थे। एक किसान अपने खेत पर बैठा रहता था।
देखते ही उठता, प्रणाम, सम्मान करता, बैठाता भी था। कभी बैठ भी जाते थे। तो उसको समझाते थे। देख यह क्षणभंगुर शरीर है। इसका कोई ठिकाना नहीं है। कब आंख बंद हो जाए और इसको छोड़ देना पड़े। यह भगवान के भजन के लिए, भगवान को याद करने के लिए मिला है तो तू याद करा कर। हां हां महाराज याद करेंगे। बहुत अच्छी बात आप बता रहे हो। भजन भाव भक्ति में ही अब लगेंगे। बस थोड़ा सा हमारे खेत की सिंचाई हो जाए। फिर। जब सिंचाई हो गई तो बोला चिड़िया से रखवाली जरूरी है। फसल कटे बाद। जब उधर जाए तब कहे लग गए? लग जाओ। बोला क्या लग जाए, अभी बच्चे थोड़ा काम धंधे में सेट हो जाए, शादी ब्याह हो जाए फिर तो हमको लगना ही लगना है। फिर कोई चिंता फिकर नहीं। अब बच्चों की शादी ब्याह हो गए, पोते भी पैदा, बड़े हो गए। उसका प्रेम देख कर के कबीर जी सेठ को बराबर कहते रहे, कर लिया कर कि कभी चेत जाए, कभी कोई बात लग जाए, समझ में आ जाये। इसके संस्कार अच्छे हो, बात को पकड़ ले। लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। उसका मन तो गृहस्थी की तरफ ही लगा हुआ था। बोला महाराज पोतों की शादी हो जाए बस उसी में लग जाएगे। तब कड़क शब्दों में बोले, अरे कहता था फसल तैयार हो जाए, बच्चों की शादी हो जाये, सेट हो जाये, अब तो पोतों का ब्याह भी हो गया। तू कब करेगा? बोला महाराज हम क्या करें, यह सब सो जाते हैं? हम ही रात को जागते हैं। अभी हम अगर भजन ध्यान में लग जाए तो घर में चोरी हो जाएगी। मेहनत हमारी सब खत्म हो जाएगी। कई दिनों बाद जब जाना हुआ तो बुड्ढा नहीं दिख। लोगों में बताया वह तो मर गया। एक दिन अपने भक्त प्रेमी के साथ गांव के किनारे से निकले तो सुना कि जमींदार के पोता पैदा हुआ है, उसमें बज रहा है। तो एक कपित्र उन्होंनें पढ़ा-
तिली तेरा बैल भय।
बैल भय हल में जुते और फिर गाड़ी में दीन।
तिली के कोल्हू फिरे, उन्हें घेर कसाई दीन।
मांस कटा बोटी बिकी और चमड़ा बने नगाड़।
चारों तरफ कुछ बाकी रहा तब पड़ती है मार।।
भक्त बोला गुरुजी समझ में नहीं आया। बोले बहुत कहता था किसान से भजन करले। तो केवल वादा करता रहता था। जीवन का समय उसका निकल गया। वो एक गाय पाले हुए था जिससे उसको बड़ा प्रेम था। जब शरीर उसका छूटा तो उसी के पेट में बच्चा बन गया। बच्चा बन करके जीवात्मा आ गई। बैल बन गया, हल में चला। कमजोर पड़ने पर बैलगाड़ी वाला खरीद कर ले गया। बैलगाड़ी में जब और बुड्ढा कमजोर पड़ा तो खरीदकर कोल्हू में चलकर तेल निकलने में लगा दिया। फिर कमजोर पड़ने पर कसाई को बेच दिया। कसाई ने मांस काटा बोटी बेचा। चमड़े का बना नगाड़ा। और कुछ और कर्म उसके बाकी रह गए थे तो अब खाल के ऊपर मार पढ़ रही है।
➽ समय की कीमत होती है
समय के साथ जो नहीं चलते, वो पीछे रह जाते हैं। इसलिए समय के साथ चलने की जरूरत है। वक़्त के सन्त सतगुरु की खोज समय रहते कर लो, उनसे आत्म कल्याण का रास्ता नामदान लेकर अपनी जीवात्मा के उद्धार मुक्ति-मोक्ष के रास्ते में भी लगो।
https://youtube.com/clip/UgkxyAJVGsNuig6V-No3cbnS6JAWSrzqemHT
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Ujjain wale babaji |
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