2001 मथुरा भण्डारा

मथुरा भण्डारे की यादगारें

वर्ष 2001 का वार्षिक भण्डारा मथुरा के मधुबन क्षेत्र में 21 से 29 दिसम्बर तक विधिवत शान्ति के साथ सम्पन्न हुआ। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने पहले से ही कह रक्खा था कि भीड़ सन् 2000 के भण्डारे से चार गुना अधिक आयेगी और वही देखने को मिला।

मन्दिर की उसके तीनों द्वारों की 6 मीनारों की, मुख्य गुंबद की यानी चारों तरफ जो बिजली के रंग बिरंगे झालरों का जाल बिछाया गया था वह अपने आप में अद्भुत था। दिल्ली के कई लोगों के मुख से सुना गया कि राष्ट्रपति भवन में भी ऐसी सजावट नही देखी गयी। मन्दिर के पूजा गृह में जो पत्थरों के भीतर से चलता फिरता कई रंगों का प्रकाश निकलता था वह दृश्य लोगों के लिए नई चीज थी।

लगभग डेढ़ माह पूर्व स्वामी जी महाराज ने स्वयं अपनी देख-रेख में एक कैन्टीन बनवाया। विशेष रूप से यह व्यवस्था विदेशी पर्यटकों के लिये बनाई गयी। भांति भांति के फूलों के गमलों से उसकी सजावट की गयी फिर स्वामी जी महाराज के सामने उद्घाटन भी काफी पिलाकर किया गया। पूरे मेले मे चर्चा थी कि बहुत उम्दा बनती है।

आज भी लोग कैन्टीन के सामने चबूतरे पर कुर्सियों पर बैठकर काफी पीने का आनन्द लेते हैं। कैन्टीन मन्दिर के पश्चिम वाले गेट के सामने है जिसके बगल में कार पार्किंग की भी जगह है। इसमें चार मार्डन किस्म के शौचालय एवं बाथरूम भी बने हैं। विदेशी एवं विशिष्ट लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर यह व्यवस्था की गई है जो कुछ समय के लिए मन्दिर पर रुकना चाहते हैं।

मेले में प्रान्तों और जिलों की तरफ से दर्जनों विशाल द्वार बनवाये गये हैं। सबके अपने अपने भण्डारे चल रहे थे और कोई भी व्यक्ति किसी भी भण्डारे में भोजन कर सकता था। अलवर राजस्थान का हो या बरेली, लखनऊ, गुजरात बिहार, का कैम्प हो सभी स्थानों में नये विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था की गई थी। देशी विदेशी सभी विशिष्ट लोगों ने इन अतिथि गृहों में अपनी राते गुजारीं और बढ़िया भोजन किया। 
स्वामी जी महाराज ने मंच से कहा कि मैं बरेली कैम्प में गया था। उसे देखकर मुझे ऐसा लगा कि फाइव स्टार होटल भी उसके आगे फीका है।

अबकी बार स्वामी जी महाराज को मंच पर जाने के लिए लिफ्ट की व्यवस्था की गई थी। लिफ्ट द्वारामंच पर पहुंच कर स्वामी जी जब बन्द कोठरी से बाहर निकलते थे तो असंख्य जन समुदाय इस प्रकार हाथ जोड़कर प्रणाम करता था जैसे लोग प्रातः लाल सूर्य को नमन करते हैं।

6 मील के क्षेत्र में 35 ट्यूब बेल लगे थे, दर्जनों हैण्डपाइप अलग लगे थे। डेरे रावटियों की तो कोई संख्या नही थीं दो डेरे के बीच में जो जगह थी उसमें भी परिवार बसे थे। ऊपर पालिथिन डाल लिया और कमरा तैयार । स्वामी जी महाराज के शब्दों में प्रेमियों को वहां टेन्टों से अधिक आराम था। छोटी बड़ी कितनी दुकानें लग गई थी इनकी कोई गिनती नही थी।

इस बार नये लोग बहुत आए पुराने लोग उसमें छुंप गए। नवयुवक बहुत दिखाई दिए। स्वामी जी ने भी इस बात को मंच से कहा और बताया कि कोई बात तो जरूर है। लोगों ने सुन रक्खा था कि बाबा जी के पास जाने पर बीमारियां दूर होती हैं, भूत प्रेत भाग जाते हैं, नौकरी लग जाती है, झगड़े झंझट समाप्त हो जाते हैं, शादी ब्याह हो जाता है। अनेक कामनाओं मनोकामनाओं को लेकर लोग आये। बाबा जी ने पहले ही घोषणा कर रक्खी थी और कहा था कि 25 दिसम्बर तक जो लोग अपने गुनाहो को मन्दिर के देवता पर चढ़ा देंगे उनको माफी मिल जाएगी।

बरक्कत बंटेगी। बीमारियों के बारे में बाबा जी ने कहा कि आश्रम का गन्ना जो लोग रोज पेट भर कर चूसेंगे उनकी बीमारियों में लाभ होगा। यह भी कहा कि कैन्सर भी ठीक हो जाएगां कार्यक्रम के बाद कई लोगों ने बताया कि उन्हें पूरा पूरा लाभ हुआ। कोई न कोई जरिया बनाकर महात्मा दया व दुआ देते रहते हैं।

,उस भीड़ में कौन आया कौन गया कुछ पता नही। झांसी डिवीजन की कमिश्नर श्रीमति स्तुति नारायन पहली बार आई। उनके पति भी सीनियर आई.ए.एसत्र अधिकारी हैं। रात्रि में वो मेले में आईं घूमकर देखा। मन्दिर भी देखा। बड़ी प्रभावित हुई। स्वामी जी महाराज के दर्शन की इच्छा व्यक्त कीं कुटी पर पहुंची तो स्वामी जी महाराज के दर्शन हुए स्वामी जी ने थोड़ी देर में बात चीत के दौरान सत्संग भी सुना दिया। उन्होंने आश्रम में रहने की इच्छा  की और सर्किट हाउस से सामान मंगवाकर रात्रि में वो आश्रम मे अतिथि गृह में रुकी।

इनका कहना था कि करोड़ों से कम जनता नही है और सबसे विशेष बात यह है कि एक भी सिपाही नजर नही आता यह असाधारण बात है उन्होने यह भी कहा कि कुम्भ की व्यवस्था भी उन्होने की है और उन्हें सभी बातों का अनुभव भी हे किन्तु यहां का दृश्य कोई पुलिस नही, कोई घटना नही ये सब बातें उनके मस्तक को झकझोर रही हैं। दूसरे दिन प्रातः उन्होने सत्संग सुना और कहा कि जल्दी वे फिर बाबा जी का दर्शन अपने पति के साथ करेंगी।

लखनऊ में नियुक्त डाक्टर अशोक आई.ए.एस. आयुक्त एवं प्रशासक भी परिवार सहित सत्संग मे आए। सत्संग का गहरा असर उनके दिल दिमाग में हुआ। और स्वामी जी का आशीर्वाद भी उन्होंने प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी भी 22 दिसम्बर को अपने हेलीकाप्टर से आए। जन सैलाब देखकर वो हतप्रभ थे। उन्होने मन्दिर को देखा, फिर लिफ्ट द्वारा मंच पर गए। स्वामी जी ने उनका परिचय जनता को कराया। 

मुख्य मंत्री जी ने कहा कि मैं पहले भी बाबा जी के दर्शन करने के लिए आना चाहता था और प्रयास भी किया किन्तु नही आ सका। जब बाबा जी की कृपा हुई तो उन्होने बुला लिया। मैं उनका दर्शन करने और आशीर्वाद लेने के लिए आया। उसके बाद बाबा जी से उन्होंने एकान्त मे बात किया।

मुख्यमंत्री के आने की खबर दैनिक जागरण में इस शीर्षक से छपी बाबा जयगुरुदेव ने तीन घण्टे तक मुख्यमंत्री की प्रतीक्षा की मुख्य मंत्री के अपने निश्चित समय से देर से आने पर जनता की प्रतिक्रिया थी कि मुख्यमंत्री जी को क्षमा मांगनी चाहिए थी। बाबा जी ने उनके आने से पहले एक बार कहा कि समय का ध्यान रखना चाहिए।
एक दैनिक पत्र ने इस आयोजन की जन अपस्थिति दादा गुरु महाराज की फोटो मुख्य द्वार का एक फोटो प्रकाशित किया इस शीर्षक के साथ- ई है कान्हा नगरिया तूं देख बबुआ।

baba jaigurudev ji maharaj



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