कलयुग में सतयुग आयेगा

जयगुरुदेव 
⌾ काश हम ईमानदार होते 

आज से अनेक वर्ष पूर्व बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा था कि कलयुग में सतयुग आयेगा ? पर कैसे ? क्या हमने ईमानदारी से स्वामी जी की बातों को माना ? स्वामी जी ने तो केवल इतना कहा था बच्चे और बच्चियों यह सीधा सरल रास्ता  है। इस पर चल पड़ो। 

दो घण्टा जीवात्मा को जगाने के लिये अपने सच्चे घर पहुंचाने के लिये दो। 22 घण्टा शरीर रक्षा के लिये, जो भी काम करते हो, खेती मजदूरी उसे ईमानदारी से करो। शाकाहारी रहो। क्या हमने उनकी बातों को माना? क्या हम उस  पर चले ? कदापी नहीं, कोई नहीं । फिर कैसे आयेगा सतयुग ?

आज मानव मूल्य बदल गये हैं। मनुष्य के आचरण में गिरावट आई है। लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। ईमानदारी ही एक ऐसा गुण है जिसे यदि जीवन में उतार लिया जाये तो तमाम समस्याओ से मुक्ति पायी जा सकती है। इससे न केवल व्यक्ति का बल्कि पूरे समाज एवं राष्ट्र का भी कायाकल्प हो सकता है। 

अर्थात्  कलयुग में भी सतयुग आ सकता है। यह गुरुमंत्र तो बाबा जयगुरुदेव जी ने पचास साल पहले दे दिया था पुनः हमेशा उसे वे दोहराते रहे आज तक दोहराते हैं सचेत भी करते हैं भजन करलो समय कम रह गया है। परन्तु हम न समझ उनकी बात मानते कहां हैं ? क्या ईमानदारी से हम उनकी बात मानते हैं भजन करते हैं सच्चा भजन ? हम दिखावा करते हैं।

बिना ईमानदारी के सच्चा भजन हो ही नही सकता। जब गुरु आज्ञा का पालन ही नही करेंगे, तो गुरु संकल्प कैसे पूरा होगा ? यदि हम सभी वास्तव में बाबा जयगुरुदेव जी के सच्चे प्रेमी हैं तो आज से नहीं अभी से ईमानदारी से काम करें उनकी आज्ञा का पालन करें तो कोई कारण नहीं कि जो समय शेष है उसी में गुरु संकल्प पूर्ण हो।

कलयुग में सतयुग आयेगा। यदि जीवन में ईमानदारी होगी तो मनुष्य अपनी भूलों को छिपाने के लिये झूठ का सहारा नहीं लेगा। समाज में खुलापन होगा। लोग बिना किसी लागलपेट के खुली बात करेंगे। यदि किसी से कोई तकरार हो गयी तो खुलेपन से एक दूसरे की शिकायतों को समझा  जायेगा एवं अन्त में दोनों को मान्य समाधान मिल सकेगा। न जजों की आवश्यकता होगी, न वकीलों की। जो भी तकरार होगी ईमानदारी से आपसी बातचीत में सुलझ जायेगी।

लोग कारखानों एवं कार्यालयों में ईमानदारी से कार्य करेंगे तो इससे उत्पादन बढ़ेगा, माल की गुणबत्ता बेहतर होगी। समाज भी समृद्ध होगा एवं देश भी। जनता ईमानदारी से कर देगी। सरकार का खजाना भर जायेगा और अपनी रक्षा के लिये समुचित हथियार भी उपलब्ध होंगे, जिससे किसी अन्य देश की हम पर आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं होगी।

न कोई किसी की जेब काटेगा, न धोखा देगा। घरों में ताले लगाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। क्योंकि न चोरी का डर, न डकैती का। स्विटजरलैण्ड जैसे देश के अंदरूनी भागों में लोग आज भी ताले नही लगाते। वहां चोरियां नही होती। ऐसी ईमानदारी यदि हमारे देश में आ जाये तो राम राज्य की कल्पना पुनः साकार हो जायेगी। यदि समाज एवं राष्ट्र समृद्ध होगा तो भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश ही नहीं होगी। जब प्रजा कंगाल एवं राष्ट्र कमजोर होता है तब भ्रष्टाचार पनपता है।

पारिवारिक जीवन में भी सर्वत्र सुख, शांति एवं आनंद होगा अपनी भूलों को ईमानदारी से स्वीकार कर लेने से न पति पत्नि में तनाव, न पिता पुत्र में अशांति, न तलाक की नौबत, न परिवारों का विघटन। पूूरा परिवार आपसी सद्भाव एवं  प्रेम की डोर में बंधा होगा। जब परिवार सुखी तो समाज सुखी एवं समाज सुखी तो पूरा देश सुखी।
ईमानदारी को अपना लेने से मनुष्य का व्यक्तिगत जीवन भी सात्विक पवित्र एवं महान बन सकेगा। ये ही तो सतयुग में होता है।


- Antardhwani masik patrika nov. 2012
जयगुरुदेव 
baba jaigurudev ji maharaj


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